साहेब ये है विकास, ठेकेदार की जेब हुई गरम भले 6 माह भी न चल सकी इंटर लॉकिंग

फारुख हुसैन।
पलिया कलां( खीरी) अपना काम बनता और भाड़  में  जाये जनता हां यह कहावत सिद्ध  हो रही है हमारे  यहाँ नगर  पालिका  के ठेकेदारों  पर जिन्हें केवल रूपयों  से मतलब है और किसी  चीज से नहीं। यदि आप ध्यान देगें तो आपको हमारे  पलिया नगर की इन ठेकेदारों द्वारा बनाई कोई भी ईटर लाकिंग सड़कें ऐसी नहीं  होगी जो मुश्किल  से छः माह भी चल पायी हो आपकी नजर जहाँ जहाँ  जायेगी वहाँ  आपको केवल  सड़को पर गण्ढे और  किनारे धसे हुए ही मिलेंगे और कहीं कहीं  सड़कें ऐसी धस गयी हैं जहाँ  पर कई बार  लोग गिरकर घायल भी हो जाते हैं । परंतु  इससे हमारे  ठेकेदारों से क्या मतलब कोई  घायल हो जा ये या फिर  वह•••••••।उनकी बला से// उनकी बनवाई सड़कें तो वार्ड प्रतिनिधि के द्वारा और नगर पालिका अध्यक्ष के द्वारा पास ही कर दी जाती हैं और कुछ दिनों  के बाद उसका रूपया भी उन्हें प्राप्त ही हो जाता है पर हैरानी  की बात यह है कि आयोग से जो अधिकारी  सड़कें चेक करके गये तो उनके अनुसार  वह सड़कें  बिल्कुल सही पायी गयी ।यह सब देखकर ऐसा लग रहा है कि हमारे  लोकतंत्र निर्माण आयोग ने  पहले से ही अपनी आंखे बद कर रखीं है ।उल्लेखनीय है कि पलिया नगर में अभी जल्द  ही लगभग तीस प्रतिशत सड़कें  बनवाई गयी हैं जिसमें  मोहल्ला सिघईया , मो0 अहिरान प्रथम, मो0 बाजार, मो0 माहीगिरान द्वितीय, मो0 इकराम नगर आदि ऐसे कई मोहल्ले  है जिनमें  सड़कें बनवाई गयी हैं परंतु  अधिकतर सड़कें  बिल्कुल  ही खस्ताहाल हो चुकीं हैं  जिन्हें देखते ही लग रहा है कि इन सड़कों पर कोई भी कार्य  बिना गड़बड़ी  के नहीं  हुआ है  ।ठेकेदारों के द्वारा हो रहा कार्य  भी  अनोखा  ही लगता है अभी तक जो भी सड़कें  बनाई गयी हैं उसमें  केवल  खानापूर्ती ही हुई है पूरानी बनी हुई सड़कों पर केवल बालू डलवा दी और उसके ऊपर ऐसे ही इंटर लाकिंग ईटें बिछवा दी गयीं उसमें  न तो पूरानी सड़कों  के टूटे हुए मलबे को बाहर निकाल कर फिकवाना और न ही उसकी सही से कुटवाई करवाना । और फिर  क्या बस हो गयी सड़कें तैयार ।पर  सबसे ज्यादा  हालत तो मोहल्ला  अहिरान और मोहल्ला  किसान(गडरिया)की हालत खराब हैं जो बिल्कुल  ही जर्जर  हो चुकी है सबसे ज्यादा तो हैरानी  की बात यह है अहिरान प्रथम के वार्ड प्रतिनिधि  की दुकानों के ही सामने बड़े बड़े गण्ढे हो गये हैं जबकि इन सड़कों  को बहुत  ही अच्छी  तरह से जांच  भी हुई थी पर कोई फायदा  नही हुआ अधिकारी  आये और पास करके चले गये। परंतु  यह सब देखकर लोकतंत्र निर्माण आयोग पर सवालिया निशान खड़े हो रहें हैं । वैसे आपको यह जानकर  और हैरानी  होगी कि ज्यादा तर ठेकेदार नगर पालिका परिषद् के ही बन  बैठें हैं  ।

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