विभागीय जाँच में डॉ कफील हुवे निर्दोष साबित, क्या कोई लौटा सकता है डॉ कफील का ये वक्त ?
तारिक आज़मी
नई दिल्ली: डॉ कफील, नाम लेते ही ख्याल आने लगता है कि वही डॉ कफील जो एक रात में जनता के दिलो पर राज करने वाला एक हीरो बना डाला था। मगर वक्त के पहिये ने ऐसा चक्कर चलाया कि वक्त भी पलट गया और डॉ कफील जो कल तक हीरो की भूमिका में थे इसके बाद वही डॉ कफील एक विलेन की भूमिका में आ गए। डॉ कफील को लापरवाही बरतने के अलावा अन्य आरोपों में आरोपी बनाकर उनको निलंबित कर दिया गया। इसके बाद इसी प्रकरण में उनको जेल भी जाना पड़ा।
सरकार ने डॉ कफील के प्रकरण की जाँच हेतु एक विभागीय टीम का दथान किया गया। अब डॉ कफील को उनके पर लगे आरोपों से विभागीय जाँच ने दोषमुक्त करार लिया जायेगा। गौरतलब है कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के निलंबित शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कफ़ील ख़ान विभागीय जांच में निर्दोष पाए गए हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 10 अगस्त 2017 को ऑक्सीजन की कमी से कई बच्चों की मौत हुई थी। डॉक्टर कफ़ील को लापरवाही, भ्रष्टाचार और ठीक से काम नहीं करने के आरोप में सस्पेंड किया गया था। लेकिन अब विभागीय जांच रिपोर्ट में डॉक्टर कफ़ील को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है।
Those parents who lost their infants are still waiting for the justice.I demand that government should apologize and give compensation to the victim families.@PTI_News @TimesNow @myogiadityanath @narendramodi @ndtv @ravishndtv @abhisar_sharma @yadavakhilesh @RahulGandhi @UN pic.twitter.com/WaTwQSCUuZ
— Dr kafeel khan (@drkafeelkhan) September 27, 2019
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 अगस्त 2017 को ऑक्सीजन की कमी के चलते कई बच्चों की मौत हो गई। अखबारों और सोशल मीडिया में डॉ कफील को हीरो बताया गया क्योंकि उन्होंने बाहर से सिलेंडर मांगकर कई बच्चों की जान बचाई। अचानक डॉ कफील लोगो के दिलो में राज करने लगे। मगर ये दिलो पर हुकूमत ज्यादा वक्त नही चली और दिलो पर चल रही डॉ कफील की हुकूमत का तख्ता पलट 22 अगस्त हो गया जब डॉ। कफील को लापरवाही बरतने और तमाम गड़बड़ियों के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया। यहाँ से डॉ कफील के जद्दोजेहद का दौर शुरू होता है।
हर जगह हीरो की भूमिका वाले डॉ कफील कुछ मीडिया हाउस के निशाने पर आ गए और फिर वह जिस तेज़ी के साथ दिलो पर मुहब्बत और सम्मान की हुकूमत पर काबिज़ होकर हीरो के ओहदे तक पहुचे थे, शायद उससे ज्यादा तेज़ी के साथ वह नीचे के पायदान पर आने लगे और डॉ कफील को अचानक हीरो से विलेन समझा जाने लगा। जिस सोशल मीडिया पर डॉ कफील की तारीफे हो रही थी उसी मीडिया और सोशल मीडिया पर उनकी बुराइयों और कमियों को गिनाया जाने लगा।
इसी मामले में दर्ज हुवे मुक़दमे में डॉ कफील को आरोपी बनाते हुवे पुलिस ने 2 सितंबर 2017 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। वह लगभग 8 महीने जेल में रहने के बाद 25 अप्रैल 2018 को ज़मानत पर रिहा हुवे। इस दौरान वक्त ने डॉ कफील के ऊपर खूब कहर बरपा किये। परिवार आर्थिक रूप से टूट चूका था। परिवार के और रिश्तेदारों के बयानों को माने तो इस दौरान परिवार में ऐसी आर्थिक स्थित हुई कि एक एक रुपया उनके लिए महंगा होता गया। डॉ कफील के भाई पर जानलेवा हमला हुआ।
डॉ कफील के सम्बन्ध में भ्रामक बाते होने लगी। लोग जो कफील को हीरो समझते थे अचानक विलेन समझने लगे थे। इसके बाद जेल से ज़मानत पर रिहा हुवे डॉ कफील ने हाई कोर्ट की शरण में गए और खुद के लिए इन्साफ की दरखास्त किया। इसके ऊपर हाई कोर्ट इलाहाबाद ने मार्च 2019 को प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि डॉ। कफील की जांच पूरी होने के बाद 90 दिन के अंदर उनको सौंपी जाए। इसके बाद विभाग ने जाँच पूरी किया। यह जांच रिपोर्ट 18 अप्रैल 2019 को आ गई थी। लेकिन डॉ। कफील को 26 सितंबर को दी गई।