हंस के जोड़ों को देखकर हर्षित हुए लोग
बापूनंदन मिश्र
मऊ आज सुबह कुछ लोग ताल रतोय के किनारे खड़े होकर बड़े ध्यान से ताल की तरफ देख रहे थे। पता किया तो पता चला कि हंसों का जोड़ा देखकर प्रातः काल की प्राकृतिक छटा का आनंद ले रहे हैं। वैसे भी यह अत्यंत दुर्लभ दृश्य था। क्योंकि यह दृश्य समुद्री इलाकों में अथवा जंगल में, चिड़िया घरों में ही देखने को प्राप्त हो सकता है।
बताया जाता है कि हंस पक्षियों में बुद्धिजीवी पक्षी है, जो नीर और क्षीर, अर्थात पानी और दूध को अलग- अलग करने की क्षमता रखता है। इतना ही नही इन्सान जब तपस्या या साधना करता है और करते करते जब आत्मज्ञान की प्राप्ति हो जाती है, तो उस स्थिति (अवस्था) को ही हम हंस या परमहंस कहते हैं। ऐसी मान्यता शास्त्रों में उल्लेखित है। इस मायने में भी श्रेष्ठ कहा गया है कि यह विद्या की देवी माँ सरस्वती का सवारी भी हैं।
ऐसी मान्यता है कि हंस अपना साथी बहुत ही सूझ बूझ के साथ चुनता है और जीवन पर्यंत निर्वहन करने का प्रयास रखता है। ये जब भी दिखते हैं जोड़े में ही दिखाई देते हैं। अपने साथी के दिवंगत हो जाने के बाद दूसरा भी सिर पटकर अपना प्राण दे देता है, अथवा किसी तरह कष्टमय जीवन काटता है।
हर साल की भांति इस साल भी बिहार के लिए यह पक्षी आए हुए हैं और लोग इस मनोहर छटा को देखकर आनंदित हो रहे है, और आपस में हंस के गुणों का वर्णन भी कर रहे हैं।