उत्तर प्रदेश के हापुड़ में किसान की हिरासत में मौत प्रकरण – क्षेत्राधिकारी, थाना प्रभारी और उपनिरीक्षक सहित एक अज्ञात पर हत्या का मामला हुआ दर्ज

आदिल अहमद

हापुड़: उत्तर प्रदेश के पुलिस मुखिया ओपी सिंह की बात बात में एनकाउंटर करने वाली पुलिस पर गंभीर आरोप तो पहले ही लगते रहे है। इसी क्रम में हापुड़ में एक किसान की पुलिस चौकी में कथित हिरासत के दौरान हत्या के मामले ने तुल पकड़ लिया है। इस प्रकरण में उच्चाधिकारियों के आदेश पर तीन पुलिस कर्मियों क्रमशः क्षेत्राधिकारी संतोष सिंह, थाना प्रभारी योगेश बालियान उप नितिक्षक अजब सिंह और एक अज्ञात पर हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ है। सम्बंधित अधिकारियो ने बताया कि मृतक प्रदीप तोमर जो पेशे से एक किसान था के भाई की लिखित तहरीर पर एक अज्ञात सहित तीन पुलिस कर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ है।

इस सम्बन्ध में हापुड़ के पुलिस अधीक्षक यश वीर सिंह ने पीटीआई-भाषा को दिए गये अपने एक बयान में बताया है कि इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 323 (हमला) के तहत क्षेत्राधिकारी संतोष कुमार, थाना प्रभारी योगेश बालियान, उप-निरीक्षक अजब सिंह और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

घटना के सम्बन्ध में प्राप्त समाचारों के अनुसार करीब डेढ़ महीने पहले 35 वर्षीय प्रदीप को एक महिला की हत्या के मामले में पूछताछ के लिए हापुड़ के पिलखुवा इलाके में छिजारसी पुलिस थाने में कथित हिरासत में लिया गया था। द हिंदू की रिपोर्ट की मुताबिक 30 अगस्त को पिलखुवा इलाके के लाखन गांव में एक महिला की लाश जली अवस्था में मिली थी। इस सिलसिले में पुलिस ने गांव के ही प्रदीप तोमर (35) को पूछताछ के लिए कथित हिरासत में लिया था। पुलिस ने बताया कि मामले में प्रदीप के रिश्तेदार और भाड़े के दो हत्यारों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था।प्रदीप के परिजनों ने दावा किया है कि प्रदीप तोमर पिलखुआ में अपने घर पर पत्नी से यह कहकर बाहर निकले थे कि उनके छोटे भाई की बाइक का टायर पंचर हो गया है और वह उसकी मदद को जा रहा है। तोमर अपने 10 वर्षीय बेटे को साथ ले गए थे। रास्ते में उन्हें पुलिस पूछताछ के लिए उठा कर ले गई।

मृतक के परिवार ने आरोप लगाया था कि प्रदीप को पूछताछ के दौरान बेरहमी से पीटा गया, जिससे उसकी हालत बुरी तरह बिगड़ गई। आरोप ने यह भी कहा गया कि प्रदीप से पूछताछ के दौरान उसका 10 साल का बेटा पुलिस चौकी के बाहर इंतजार करता रहा। इतना ही नहीं, बच्चे को पूरी रात बाहर बैठाकर रखा और उसे खाने के लिए चिप्स देकर चुप रहने को कहा। परजनो का कहना है कि उन्हें बिजली के झटके दिए गये। लाठियों से मारा और उस पर पेचकस से भी वार किया। आरोप यह भी है कि पुलिसवालों ने पी रखी थी।

पुलिस के मुताबिक, थाना प्रभारी योगेश बालियान और उप-निरीक्षक अजब सिंह को पहले ही एक कांस्टेबल के साथ निलंबित कर दिया गया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और राज्य के पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी कर मामले पर उनकी रिपोर्ट मांगी थी, जिसके बाद यह कार्रवाई की गयी। आयोग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया था कि किसान की पुलिस हिरासत में 13 अक्टूबर को मौत हुई थी। उसे हत्या के एक मामले में पूछताछ के दौरान बर्बरता से पीटा गया था।

बयान के अनुसार, पूछताछ के दौरान उसको लात मारी गई, घूंसे से प्रहार किया गया, डंडों से पीटा गया, बिजली का करंट दिया गया और पेंचकस से छेदा गया। उसके शव के एक वीडियो में उसके शरीर पर गंभीर चोटों के निशान साफ नजर आ रहे हैं। आयोग ने इस संबंध में मीडिया खबरों पर संज्ञान लेते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि पुलिस हिरासत में उक्त व्यक्ति के मानवाधिकार का घोर उल्लंघन हुआ है। इसके लिए राज्य के पुलिस बल की जवाबदेही बनती है। एनएचआरसी ने पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह को निर्देश दिया है कि वह आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में जानकारी दें।

आयोग ने मुख्य सचिव से पीड़ित परिवार की, खास तौर पर मृतक के नाबालिग बेटे की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है, जो हिरासत में अपने पिता की कथित यातना और मौत के आघात से गुजर रहा है। एनएचआरसी ने कहा कि चार सप्ताह में दोनों प्राधिकरणों से विस्तृत रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है।

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