वाराणसी – दलदल में धसे मासूम गर्ग को ले गई ज़ालिम मौत, अपनी आँखों के सामने बेटे को तड़पते हुवे मौत के मुह में जाता देख बचाने को तड़पता रहा एक बेबस बाप
तारिक आज़मी
वाराणसी. दिवाली में अपने घरो को रोशन करने की तैयारी में हम लगे है। इसी दौरान इस रोशनी के त्यौहार से ठीक दो दिन पहले एक परिवार का चश्मों चिराग महज़ 8 साल की उम्र में ही बुझ गया। घुटन भरी उसकी दर्दनाक मौत को उसका पिता तड़पता हुआ छटपटाता हुआ देखता रहा। बहुत कोशिश किया कि अपने कलेजे के टुकड़े को बचा ले, मगर कमबख्त जानलेवा दलदल था कि उस मासूम को छोड़ने को तैयार ही नही था। अपने परिवार का इकलौता बेटा गर्ग (8) घर से कुछ दूरी पर दलदल में फंस गया था और नीचे धंसता ही चला गया। स्थानीय लोगों की सूचना के बावजूद भी पुलिस एक घंटे तक मौके पर नहीं पहुंची और गर्ग की मौत हो गई।
घटना के सम्बन्ध में प्राप्त समाचारों के अनुसार कैंट थाना के हुकुलगंज क्षेत्र में वरुणा किनारे स्थित डगरहवा घाट निवासी रवींद्र कुमार मेडिकल स्टोर में काम करते हैं। शाम के समय रवींद्र और उनकी पत्नी अनीता घर की साफ-सफाई कर रहे थे। उनकी बेटी अरघ्या (4) और बेटा गर्ग (8) खेल रहे थे। इसी दौरान गर्ग खेलते हुए बाहर निकल गया। रवींद्र गर्ग को पकड़ने के लिए घर से बाहर निकले तो वह उन्हें देख भागने लगा। रवींद्र के घर से लगभग डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर मवेशियों का अवशेष दबाने के लिए विशालकाय गड्ढा खोदा गया था, जो बाढ़ के बाद दलदल हो गया है। रवींद्र को देख गर्ग भागा और दलदल में फंस गया।
रवींद्र ने स्थानीय लोगों के साथ गर्ग को बाहर निकालने की कोशिश की लेकिन वह गड्ढे में धंसता ही चला गया। मौके पर पहुंचे एनडीआरएफ के जवानों ने जेसीबी मशीन से दलदल के किनारे लगभग तीन फीट गहरी खुदाई की। इसके बाद दलदल के मलबे को किनारे कर दबे गर्ग को बाहर निकाला। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और वह मासूम गर्ग मौत के आगोश में हमेशा के लिए सो चूका था। इंसानियत दहाड़े मार कर रो रही थी। मंज़र भी ऐसा था कि देख कर पत्थर का भी कलेजा तड़प जाए। एक बेबस बाप के सामने ही उसकी हस्ती खेलती औलाद तड़प कर दम तोड़ रही थी। पिता रवींद्र की हालत बेसुधों जैसी थी। क्षेत्रीय लोग बड़ी ही मुश्किल से उन्हें पकड़े हुए थे। वह बार-बार खुद को कोस रहे थे कि आखिरकार गर्ग को पकड़ने क्यों निकले। शायद वह घर के बाहर खेलता रहता तो उसकी जान नहीं जाती।
इसके बाद जनता का गुस्सा इस बात पर था कि अगर वक्त पर पुलिस पहुच जाती तो गर्ग बच जाता। लोगो का कहना था कि फोन पर सुचना देने के घंटे भर से अधिक समय के बाद पुलिस मौके पर तब पहुची जब ग्रामीणों ने चक्का जाम कर दिया। इससे गुस्साए लोगों ने हुकुलगंज में जाम लगाकर पुलिस और प्रशासन विरोधी नारेबाजी शुरू कर दी। सीओ कैंट ने आश्वस्त किया कि घटना के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी, तब जाकर सभी शांत हुए। पुलिस की सूचना पर आए 11 एनडीआरएफ के जवानों ने लगभग एक घंटे की मशक्कत के बाद जेसीबी की मदद से बच्चे का शव बाहर निकाला। घटना को लेकर परिजनों में कोहराम मचा हुआ है। वही पुलिस ने बच्चे की लाश को सील कर पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया है।