हरियाणा : भाजपा के सिर्फ पांच विधायक बढ़ा पाए पिछली बार से जीत का अंतर
अब्दुल बासित मलक
यमुनानगर:- हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में भाजपा जहां 75 पार के लक्ष्य से कोसों दूर रही और अपने बूते बहुमत नहीं पा सकी, तो वहीं उसके तमाम दिग्गज भी औंधे मुंह गिरे, लेकिन इस सब के बीच भाजपा के कुछ ऐसे विधायक भी हैं जिन्होंने 2014 की तुलना में अच्छी जीत हासिल की।
भाजपा के 17 विधायक दोबारा निर्वाचित और चंडीगढ़ पहुंचे। इनमें अंबाला कैंट से जीते कैबिनेट मंत्री अनिल विज और नांगल चौधरी से जीते डॉ. अभय सिंह यादव का नाम सबसे ऊपर है, वह न सिर्फ दोबारा जीते बल्कि उन्होंने अपनी छवि सही रखकर जीत के अंतर को बढ़ा लिया। विज पिछले चुनाव में 15,462 वोटों से जीते थे, लेकिन इस बार उन्होंने 20,165 मतों से जीत पाई।
इसी प्रकार नांगल चौधरी से जीते अभय सिंह यादव पिछली बार 981 वोटों के करीबी अंतर से जीते थे, लेकिन इस बार उन्होंने 20,615 वोटों जीत हासिल की है। तो वहीं दूसरे नंबर पर नारनौल से फिर जीते ओमप्रकाश यादव रहे। उन्होंने 2014 के चुनाव में 4573 वोटों से जीत हासिल की थी। इस बार उन्होंने 14,715 मतों से विजय पाई। तीसरे नंबर पर जींद से जीते कृष्ण लाल मिढ्ढा रहे। इस सीट से उनके पिता 2014 में इनेलो की टिकट पर जीते थे, लेकिन उसके असमय निधन के चलते जींद में फरवरी, 2019 में उपचुनाव हुआ। इस चुनाव में वह 2257 वोटों से जीते और उन्होंने दुष्यंत चौटाला के भाई दिग्विजय चौटाला को हराया था, लेकिन इस चुनाव में उन्होंने 12,508 मतों से जीत हासिल की।
भावानी खेड़ा (सुरक्षित) सीटे से जीते विशंभर अंतर बढ़ाकर जीतने वाले भाजपा विधायकों की सूची में हैं। उन्होंने 2014 के चुनाव में 2559 वोट से जीत हासिल की थी, इस बार वह 10,805 वोटों से जीते हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल पिछली बार 63,773 वोटों से पहली बार जीते थे, लेकिन इस बार उनकी जीत का अंतर कम रहा और वह पिछली बार की तुलना में 18,585 वोटों को कम करके 45,188 मतों से जीते। भाजपा के जो विधायक दोबारा चंड़ीगढ़ पहुंचे हैं। उनमें बल्लभगढ़ से जीते मूलचंद्र शर्मा, बडखल से सीमा त्रिखा, बावल से बनवारी लाल, भिवानी से घनश्याम सर्राफ, पानीपत रुरल से महिपाल धांडा, घरौंदा से हरविंद कल्यान, थानेसर से सुभाष सुधा, जगाधरी से कंवर पाल, अंबाला सिटी से असीम गोयल, यमुनानगर से घनश्याम दास, पंचकुला से ज्ञानदास गुप्ता का नाम शामिल है।
इस चुनाव में उलटफेर हुआ है। 90 विधायकों में तीन ऐसे हैं जो पिछली बार पार्टियों के टिकट पर लड़े थे तो उन्हें जीत नसीब नहीं हुई, इस बार निर्दलीय ताल ठोंकी तो चंडीगढ़ पहुंच गए। इनमें पुंडरी से जीते रणधीर सिंह गोलेन, दादरी से सोमबीर सांगवान और गुरुग्राम जिले की बादशाहपुर सीट से जीते राकेश दौलताबाद का नाम शामिल हैं।