जाने आखिर क्यों आई प्रदर्शन कर रही दिल्ली पुलिस को किरण बेदी की याद, आखिर ऐसा क्या हुआ था 1988 में जो किरण बेदी को आज भी याद करती है दिल्ली पुलिस
तारिक आज़मी
तीस हजारी कोर्ट मामले में पुलिस द्वारा कल हुवे विरोध प्रदर्शन के दौरान किरण बेदी को जमकर याद किया गया। देश की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी ने अपने कार्यकाल में आखिर ऐसा क्या किया था जो सभी पुलिस वालो को उनकी याद आई। मौके पर नारा भी लगा था कि हमारा डीसी कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो। आइये किरण बेदी और अधिवक्ताओ के बीच विवाद आपको बताते है।
वह 1988 का जनवरी का महीने की सर्द सुबह थी। दिल्ली की सर्दी और जनवरी का महिना दोनों ही मशहूर है। 16 जनवरी 1988 को दिल्ली पुलिस ने राजेश अग्निहोत्री नाम के एक वकील को गिरफ्तार किया था। सेंट स्टीफन कॉलेज के छात्रों ने उन्हें लेडीज कॉमन रूम से कथित तौर पर चोरी करते हुए पकड़ा था। पुलिस ने वकील अग्निहोत्री को हाथ में हथकड़ी लगाए तीस हजारी अदालत में पेश किया तो वकीलों ने इसे गैरकानूनी बताते हुए प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने आरोपी वकील को उसी दिन दोषमुक्त कर दिया और साथ ही पुलिस आयुक्त को दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए। वकील, पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की अपनी मांग के समर्थन में 18 जनवरी से हड़ताल पर चले गए। इसी दौरान किरण बेदी ने 20 जनवरी को एक संवाददाता सम्मेलन में पुलिस की कार्रवाई को न्यायोचित बताया और कथित ‘‘चोर” को दोषमुक्त करने के मजिस्ट्रेट के आदेश की आलोचना किया।
अगले दिन वकीलों के समूह ने तीस हजारी अदालत परिसर में स्थित बेदी के कार्यालय में उनसे मुलाकात करनी चाही। इस दौरान तोड़फोड़ करने का भी आरोप वकीलों पर लगे। तभी किरण बेदी ने पुलिस को वकीलों पर लाठीचार्ज करने का आदेश दे दिया। इस लाठीचार्ज में पुलिस ने जमकर लाठिया बरसाया था जिसमे कई वकील घायल हो गए। इसके बाद अगले दो महीने के लिए वकीलों ने दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में अदालतों में काम करना बंद कर दिया और बेदी के इस्तीफे की मांग की। इस दौरान किरण बेदी एक चट्टान के तरह अपने पुलिस वालो के साथ खडी रही। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले में हस्तक्षेप करते हुवे इसकी जांच के लिए न्यायाधीश डी पी वाधवा के नेतृत्व में दो सदस्यीय समिति गठित की जिसके बाद हड़ताल बंद की गई। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वकील को हथकड़ी लगाना गैरकानूनी था और उसने बेदी के तबादले की सिफारिश की।