महामना की बगिया में उपद्रव – पर्दे के पीछे का सच कुछ कड़वा है वीसी साहब

तारिक आज़मी/ए जावेद

वाराणसी में महामना की बगिया कल यानि बृहस्पतिवार को एक बार फिर गर्म हो गई। इस दौरान जमकर खुद को छात्र कहने वाले युवको के तरफ से पथराव हुआ। कुछ एक पेट्रोल बम का भी प्रयोग होने की बाते सामने आ रही है, मगर विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस इससे इनकार कर रही है। विवाद इतना अधिक हो गया था कि एक होस्टल को नियंत्रित करने के लिये पुरे जिले के हर थानों से पुलिस बल मंगवाना पड़ा। होस्टल की तलाशी हुई और हास्टल को खाली करवाया गया। इस दौरान छात्रो द्वारा हुवे पथराव में कई पुलिस वालो को भी चोटे आई। स्थिति बड़ी मुश्किलों के बाद नियंत्रण में आई तभी छात्रो का एक गुट पुलिस के ऊपर बड़े बड़े आरोप लगाता हुआ धरने पर बैठ गया।

बहरहाल, आज दिन भर कैम्पस लगातार लगभग शांत रहा। एलबीएस होस्टल पुलिस ने खाली करवा दिया है। छात्र एक तरफ पुलिस पर कार्यवाही की मांग भी कर रहे है उनका आरोप है कि उनके साथ पुलिस ने बल प्रयोग किया है। छात्रो की इस मांग पर भले भीतर से समर्थन मिले न मिले मगर कैम्पस के बाहर बैठे राजनीत करने वाले कुछ लोगो का संरक्षण मिलने की बात भी सुनने में आ रही है। वर्त्तमान स्थिति शांत है। मगर कब तक शांत रहेगी इसकी कोई पेशनगोई नही कर सकता है। विगत कुछ सालो से बीएचयु ऐसे ही अक्सर गर्म हो जाता है।

क्या है आरोप और क्या है हकीकत

छात्र पुलिस पर आरोप लगा रहे है कि पुलिस ने उनके साथ बर्बरता दिखाई है। बलपूर्वक होस्टल खाली करवाया गया है। लाठिया पटकी गई है। जमकर बल प्रयोग हुआ है। अभद्रता हुई है इत्यादि। वैसे भी कार्यवाही के बाद ऐसे आरोप पुलिस पर लगना आम बात है। मैं कही से भी पुलिस का समर्थन नही कर रहा हु मगर घटना के समय जो स्थिति थी उसके मद्देनज़र पुलिस की कार्यवाही मीडिया के सामने ही लगभग हुई है। उस कार्यवाही की आलोचना भी नही कर रहा हु। कुछ परिस्थितिया ऐसे हो जाती है।

क्या है हकीकत

कल बृहस्पतिवार को एलबीएस होस्टल के कुछ छात्र उग्र हो गये। इसका कारण दो गुटों का झगड़ा था। सुचना मिलने पर मौके पर पहुची पुलिस ने मामले को नियंत्रित करना चाहा। मौके पर पुलिस को देखा कर उपद्रव कर रहे छात्र होस्टल का गेट बंद करके छत पर चले गये। इस दौरान छत से उन छात्रो ने पथराव शुरू कर दिया। बताने वाले तो यह भी कहते है कि इस दौरान पेट्रोल बम का भी प्रयोग हुआ, मगर पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन इससे इन्कार कर रहा है। छत पर चढ़े छात्रो के पथराव का निशाना वैसे तो दूसरा गुट और पुलिस प्रशासन था, मगर इस दौरान एलबीएस के नीचे कमरों में रहने वाले दिव्यांग छात्र भी उनके पथराव का निशाना हो रहे थे।

विश्वविद्यालय में लगाया गया छात्रो द्वारा पोस्टर

इस पथराव में कई पुलिस वालो को मामूली चोट भी आई। उपद्रव कर रहे छात्र ये आश्वस्त दिखाई दे रहे थे कि पुलिस गेट खोल कर अन्दर नही आएगी। इस दौरान उपद्रवी छात्र पुलिस प्रशासन और अधिकारियो को गालिया भी दे रहे थे। आखिर पुलिस के सब्र का पैमाना भी भर गया और पुलिस गेट खोल कर अन्दर प्रवेश कर गई। पुलिस को अन्दर आता देख उपद्रवी छात्रो के गुट में भगदड़ की स्थिति हो गई। इनको तितर बितर करके वापस पुलिस जाने लगी तभी छात्रो के इस उपद्रवी गुट ने पुलिस पर पीछे से पथराव कर डाला।

इसके बाद मौके पर मौजूद पुलिस कर्मियों ने सडको पर लाठी पीटते हुवे उपद्रव कर रहे छात्रो को दौड़ा लिया। इसके बाद होस्टल की तलाशी और खाली करवाने का क्रम शुरू हुआ। होस्टल की तलाशी के दौरान होस्टल के छत से पेट्रोल बम और कमरे से एक अदद अवैध कट्टा भी बरामद हुआ। कलम जिन हाथो में रहना चाहिए उन हाथो में कट्टा देखकर समाज का हर एक तबका अचम्भिर हो जायेगा। होस्टल खाली करवा लिया गया और शांति व्यवस्था बनाई गई।

क्यों किया पुलिस के खिलाफ कार्यवाही की मांग

होस्टल के तलाशी के दौरान बरामद हुवे असलहे इस बात का सबूत तो देते ही है कि होस्टल में सब कुछ आल इज वेल नहीं चल रहा है। कुछ न कुछ तो गड़बड़ है। पुलिस पर दबाव बनाने की सियासत के तौर से पुलिस पर कार्यवाही की मांग किया जा रहा है।वही विश्वविधायल प्रशासन मामले में एक चुप साधे हुवे है। विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा ख़ामोशी कही न कही से खलने वाली ही नज़र आ रही है।

क्या था झगडे का मुख कारण

झगडे का मुख्य कारण बार बार एक ही रह रहा है। छात्रो का एक गुट खुद की अपनी दबंगई साबित करना चाहता है। इसी कड़ी में विवाद की जड़ आपसी टकराव केवल दबंगई साबित करने के उद्देश्य से होता है। कल दोपहर बाद से दुबारा ऐसी ही घटना हो गई जब एक गुट के कुछ युवको को दुसरे गुट के युवक को अचानक और अकारण ही पिटाई कर दिया था, इसकी सुचना पर स्थानीय पुलिस पहुची और उपद्रव कर रहे छात्रो को वहा से हटवाया था। पुलिस की इसी कार्यवाही पर छात्रो ने जमकर बवाल मचाना शुरू कर दिया।

विश्वविद्यालय प्रशासन भी ध्यान जिस प्रकार से देना चाहिए वह नही देता है। अगर सूत्रों की माने तो जैसा व्यवहार कल हुआ वह कही न कही से यह साबित करता है कि विश्वविधायल में बाहरी लोगो का आमदरफत जारी है। विश्वविद्यालय प्रशासन इस पर कही न कही से आँखे बंद किये हुवे है अन्याथा इस प्रकार की घटनये होती रहेगी।

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