बीएचयु के छात्रो में ख़त्म होता पुलिस का इकबाल, सरे राह सिपाही की पिटाई, फिर भी निलंबित हुआ दरोगा
तारिक आज़मी
वाराणसी. महामना ने शायद ऐसे समय के लिए कभी सोचा भी नही होगा कि एक जेनेरेशन स्टूडेंट्स की ऐसी भी आएगी जिसका मुख्य उद्देश्य केवल उपद्रव करना ही रहेगा। शायद पुलिस का अपना इकबाल भी ख़त्म होता जा रहा है जो छात्रो के आगे लगातार समझौते के गरज से इस लिए झुकती चली आ रही है कि अमन-ओ-सुकून कायम रहे। पहले विवाद करना और उसके बाद सिंह द्वार बंद करके धरना प्रदर्शन करना आज विश्वविद्यालय के लिए आम बात हो चुकी है। छात्रो के हास्टल के कमरों से कट्टे तक बरामद करने वाली पुलिस छात्रो के जिद्द के आगे झुकती दिखाई देती है।
ताज़ा घटना क्रम में आज लंका मालवीय चौराहे पर छात्रो के दो गुटों के बीच झगडा हुआ। इस झगडे में शांति व्यवस्था हेतु गए एक पुलिस के कांस्टेबल को छात्रो ने पीट दिया। इसके बाद छात्रो का एक गुट लंका थाने पर घेराव की मुद्रा में आ गया और पकडे गए एक साथी को छुडाने के साथ साथ एक दरोगा को निलंबित करवाने की जिद्द पर बैठ गया। देर रात तक चली जिच के बाद आखिर पुलिस प्रशासन छात्रो के सामने झुका और दरोगा को निलंबित कर दिया गया।
क्या हुआ विवाद
घटना के सम्बन्ध में बताया जाता है कि शुभम नामक एक छात्र का आज जन्मदिन था। कई अन्य छात्र इस जन्मदिन को मनाने के लिए मालवीय चौराहे के आस पास रात्रि लगभग 9:30 बजे आये थे। इसी दौरान खाने पीने के बीच छात्रो के दो गुटों में आमने सामने झगडा हो गया। बताया जाता है कि दोनों गुट के मुखिया नशे में थे। बीच चौराहे होती मारपीट को देख शांति व्यवस्था हेतु पास ही मालवीय चौराहे पर खडी पुलिस टीम पहुच गई। इस दौरान एक छात्रो के दो गुटों में हुई मारपीट में कई छात्र चोटिल हो चुके थे।
छात्रो के इस विवाद में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए मौके पर पहुची पुलिस के एक सिपाही को छात्रो ने ज़मीन पर गिरा दिया और उसकी पिटाई करना शुरू कर दिया। सिपाही को पिटाई से सर में और अन्य जगह चोट आई। अपने पुलिस साथी को मार खाता देख पास ही खड़े अन्य पुलिस कर्मी दौड़ते हुवे मौके पर पहुचे और उपद्रव कर रहे छात्रो को खदेड़ दिया तथा दुकानों को बंद करवा दिया। इस दौरान विवाद कर रहे चार छात्रो को पुलिस पकड़ कर थाने ले गई। इसी बीच एक छात्र ने खुद के साथ पुलिस द्वारा मारपीट का आरोप लगाते हुवे अन्य छात्रो के गुट को इकठ्ठा किया और थाने का घेराव कर डाला। लंका थाने पर भी जमकर बवाल काटना शुरू कर दिया गया। इस दौरान पुलिस के लिए अभद्र शैली का प्रयोग भी किया गया।
वही दूसरी तरफ घटना के सम्बन्ध में सुचना प्रसारित होने के बाद शहर के हर थाने के प्रभारी और सभी चौकी इंचार्ज लंका थाने भेजे गए। मामले को निपटाने का शांति पूर्वक प्रयास हो रहा था। इस दौरान छात्रो ने पुलिस कर्मियों के नशे में होने का आरोप लगाया जिससे पुलिस कर्मी भी अपना मेडिकल करवाने को तैयार हो गए। लगातार विवाद बढ़ता ही जा रहा था और मौके पर काफी छात्र इकठ्ठा होना शुरू हो गए। छात्र चौकी इंचार्ज प्रकाश सिह पर मारपीट का आरोप लगाते हुवे निलंबन की मांग करने लगे। काफी देर चली जिच को निपटाने के लिए मौके पर क्षेत्राधिकारी और पुलिस अधीक्षक (नगर) आये और देर रात तक मामले को शांति पूर्वक निपटाने के लिए वार्ता का दौर चलता रहा। अंततः पुलिस प्रशासन अमन-ओ-सुकून की ही शायद वजह रही होगी जो चौकी इंचार्ज चितईपुर को निलंबित कर दिया।
क्या कहते है प्रत्यक्षदर्शी
चश्मदीदो की बातो को तवज्जो दिया जाए तो महामना की बगिया में वर्चस्व की एक लड़ाई सी चल रही है। आज के इस घटना क्रम को एलबीएस के प्रकरण से जोड़ कर भी देखा जा सकता है जब लंका पुलिस ने बड़ी कार्यवाही करते हुवे हास्टल के छत से पथराव कर रहे छात्रो को दौड़ा लिया था। इसके बाद होस्टल की तलाशी में स्थानीय प्रशासन को कई आपत्तिजनक वस्तुओ के साथ कट्टा भी बरामद हुआ था। क्षेत्र के दुकानदारों की माने तो सडको से लेकर हास्टल तक यह वर्चस्व की एक जंग जैसी चल रही है।
एक ने तो नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर बताया कि गौरव हत्याकांड भी कही न कही इसी वर्चस्व की दें थी। पुलिस ने इसका सफल खुलासा किया था और शूटरो को हिरासत में लेकर जेल भेजा था। ये वर्चस्व की जंग अक्सर ही कैम्पस से निकल कर सडको पर आ जाती है और जमकर मारपीट होती रहती है। आज की भी मारपीट इसी का एक हिस्सा थी जिसमें साथ बैठे दो गुट आपस में भीड़ गए थे। मारपीट को नियंत्रित करने पहुची पुलिस के एक सिपाही को भी इन मारपीट कर रहे छात्रो के द्वारा मारा पीटा गया था।
मुख्य निशाना एसआई प्रकाश सिंह ही क्यों ?
एक बड़ा सवाल दिमाग में उठता है कि आखिर प्रकाश सिंह के ऊपर ही आरोप क्यों लगा ? इसके उत्तर की तलाश भी बहुत देर नही करना पड़ा और वजह सामने आ गई। मुख्य वजह इसकी बताई जाती है कि थाना लंका प्रभारी निरीक्षक भारत भूषण की वर्त्तमान टीम काफी मजबूत है। जिस प्रकार से महामना की बगिया बार बार गर्म होती है और बार बार लंका पुलिस स्थिति को हर प्रकार से नियंत्रित करती रही है, वह कही न कही से राजनितिज्ञो के लिए एक मुख्य वजह बनी।
बताया जाता है कि जब एलबीएस प्रकरण हुआ तो लंका थाना प्रभारी के द्वारा तीन टीम बना कर कार्यवाही किया गया था। एक टीम प्रकाश सिंह भी लीड कर रहे थे। उन्होंने घटना का वीडियो लगातार बनाया था। जब कार्यवाही हुई तो छात्रो के एक गुट के द्वारा पुलिस पर बड़े बड़े आरोप लगाते हुवे सोशल मीडिया से लेकर सडको पर एक मुहीम चलाई और थाना प्रभारी सहित प्रकाश सिंह, बीएचयु चौकी इंचार्ज अमरेन्द्र पाण्डेय और इस चेकिंग अभियान में शामिल अन्य दरोगाओ के निलंबन की मांग किया था और कैम्पस में पोस्टर भी लगाया था।
सोशल मीडिया पर छात्रो के एक गुट द्वारा पुलिस कार्यवाही का वीडियो वायरल करके पुलिस निर्दई है इसका प्रचार शुरू कर दिया था। इसी दौरान प्रकाश सिंह ने उन सोशल मीडिया के ग्रुप्स पर वह वीडियो पोस्ट कर दिया जिसमे छात्रो के द्वारा पथराव की घटना थी जिसके प्रतिउत्तर में पुलिस ने कार्यवाही किया था। शायद तभी से राजनैतिक रोटियों की तैयारी चल रही थी और आज आखिर में वह रोटी पक कर तैयार हो गई।
बहरहाल, प्रकाश सिंह को निलंबित करने का आदेश आ चूका है। प्रकाश सिंह के निलम्बन से छात्रो के अन्दर भले ही ख़ुशी की लहर न हो मगर छात्रो के एक गुट में ख़ुशी की लहर तो साफ़ दिखाई दे चुकी है। मगर बड़े अधिकारियो की इस कार्यवाही से लंका थाने के अन्य पुलिस कर्मियों में सुगबुगाहट देखा गया।पुलिस कर्मी इस कार्यवाही से हताश से दिखाई दे रहे थे। कही न कही से इस कार्यवाही से पुलिस के इकबाल को भी ठेस पहुची है। वही सूत्रों की माने तो सुबह छात्रो के एक गुट के द्वारा दुबारा धरना प्रदर्शन करने की तैयारी किये जाने की तैयारी हो रही है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से मालवीय चौराहे पर भारी फ़ोर्स की तैनाती अभी से कर दिया गया है।
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