नागरिकता संशोधन विधेयक को मिली केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी, अगले सप्ताह पेश हो सकता है यह विधेयक संसद में
संजय ठाकुर
नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। हालांकि कई विपक्षी दल इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। नागरिकता संशोधन विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी समुदाय के उन लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है, जिन्होंने देश में छह साल गुज़ार दिए हैं, लेकिन उनके पास कोई दस्तावेज़ नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इसके प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। विपक्षी दल इस विधेयक को समाज को बांटने वाला एवं सांप्रदायिक बता रहे हें। विपक्षी दल इसे भाजपा की विचारधारा से जुड़े महत्वपूर्ण आयाम का हिस्सा माना जा रहा है जिसमें शरणार्थी के तौर पर भारत में रहने वाले गैर मुसलमानों को नागरिकता देने का प्रस्ताव किया गया है। इनमें से ज्यादातर लोग हिंदू हैं। उनका कहना है कि इसके माध्यम से उन्हें उस स्थिति में संरक्षण प्राप्त होगा जब केंद्र सरकार देशव्यापी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की योजना को आगे बढ़ाएगी।
वहीं, केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि सरकार सभी के हितों और भारत के हितों का ध्यान रखेगी। उन्होंने कुछ वर्गों द्वारा इसका विरोध किए जाने के बारे में पूछे जाने पर कहा कि लोग देश के हित में इसका स्वागत करेंगे। माना जा रहा है कि सरकार इसे अगले दो दिनों में संसद में पेश करेगी और अगले सप्ताह इसे पारित कराने के लिए आगे बढ़ाएगी।
गौरतलब हो कि यह विधेयक इस साल जनवरी में लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन राज्यसभा में पारित नहीं हो सका था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को भाजपा सांसदों से कहा था कि यह बिल सरकार के लिए शीर्ष प्राथमिकता है, ठीक उसी तरह जैसे अनुच्छेद 370 था। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने इसकी आलोचना की है। नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर विरोध जताते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने बुधवार को कहा कि इससे संविधान का मूलभूत सिद्धांत कमतर होता है। थरूर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि विधेयक असंवैधानिक है, क्योंकि विधेयक में भारत के मूलभूत विचार का उल्लंघन किया गया है। जो यह मानते हैं कि धर्म के आधार पर राष्ट्र का निर्धारण होना चाहिए। इसी विचार के आधार पर पाकिस्तान का गठन हुआ था। उन्होंने कहा कि हमने सदैव यह तर्क दिया है कि राष्ट्र का हमारा वह विचार है जो महात्मा गांधी, नेहरू जी, मौलाना आजाद, डॉ। आंबेडकर ने कहा कि धर्म से राष्ट्र का निर्धारण नहीं हो सकता।