रसोई घरों से गुम होता दिखाई दे रहा प्याज का तड़का

बापू नंदन मिश्र

रतनपुरा (मऊ) आम आदमी के रसोई से प्याज के तड़के की खुशबू लगभग गायब है।गृहणियों की आँखों में भी इसकी कड़वाहट स्पष्ट रूप से देखी जा रही है।ऐसा होना कहीं नाज़ायज भी नहीं है।आज बाजारों में प्याज के भाव रोज नये कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं।यूँ तो विगत कई माह से प्याज की बढी कीमते खाने का स्वाद बिगाड़ रहीं हैं किन्तु अब तो जैसे हद हो गई है।खुदरा विक्रेताओं के यहाँ सौ रुपए प्रति किलो की दर से बिकने वाली प्याज के भाव सुनकर ही गृहणियों की आँखे उसकी कड़वाहट से डबडबा जा रही है। प्याज के साथ लहसून भी अपनी  कीमतों में बढत बनाए हुए है और दो सौ रुपए प्रति किलो के हिसाब से बाजारों में लोगों को अपनी उपयोगिता को दर्शा रहा है।

सर्दियों के मौसम में भोजन के स्वाद एवं उसकी पौष्टिकता के दृष्टिकोण से ये दोनो अत्यंत महत्वपूर्ण है किन्तु वर्तमान समय में इनकी कीमतों में कुछ इस कदर आग लगी है कि आम आदमी की पहुँच से ये दूर हो गए हैं।यद्यपि सरकार यह दावा लगातार कर रही है कि जमाखोरों के विरुद्ध कड़े कदम उठाए गए हैं किंतु उसका कोई असर होता नहीं दिख रहा है।व्यापारियों की मानें तो यह स्थिति अभी बने रहने के पूरे आसार हैं क्योंकि अपने यहाँ प्याज का यह मौसम है नहीं, और नासिक आदि जगहों से अभी कम मात्रा में प्याज की आवक हो पा रहीं है।उपर से शादी-विवाह का यह मौसम है जिससे खपत भी सामान्य दिनों से ज्यादा है।

बाजार में जितने की पूरी सब्जी अपने तिलक और विवाह के लिए कोई खरीद रहा है ,उतने में केवल एक बोरा प्याज प्राप्त कर सकता है इस महंगाई को देखकर गृहस्थ एकदम परेशान दिखाई दे रहा है यही नहीं यदि छोटे चट्टी -चौराहों की बात करें तो दुकानों से प्याज के पकौड़े गायब हैं तो चाट-छोले के ठेले से भी प्याज की अनुपस्थिति ने खाने वालों को निराश किया है।सच तो यह है कि जाड़े के मौसम में चटपटा खाने के शौकीनों को प्याज और लहसुन के भाव और अधिक सता रहे हैं।

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