समर के ‘दिल में छेद’ का हुआ सफल इलाज

संजय ठाकुर

मऊ- शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सरकार द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इस क्रम में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत जन्म से लेकर 19 वर्ष तक के बच्चों को जन्मजात विकृतियों एवं अन्य बीमारियों से बचाने के लिए निःशुल्क इलाज की सुविधा मऊ जनपद सहित पूरे प्रदेश में प्रदान की जा रही है। आरबीएसके के तहत जन्मजात हृदय रोग, कटे होंठ/तालू, टीबी, कुष्ठ रोग, जन्मजात बहरापन, मोतियाबिंद, ठेढ़े पैर, न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, विकास में रुकावट इत्यादि 39 प्रकार की बीमारियों से ग्रसित बच्चों का इलाज किया जा रहा है। आरबीएसके, बच्चों की असमय मृत्यु को कम करने के साथ ही उन्हें सामान्य जीवन व्यतीत करने में सहायक साबित हो रहा है।

इस संदर्भ में मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ सतीशचन्द्र सिंह ने बताया – मऊ के फतेहपुर ब्लाक के अंतर्गत अगस्त माह 2019 में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनीता गुप्ता और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम जांच के लिए आंगनबाड़ी केंद्र एवं सरकारी स्कूलों में प्लान अनुसार भ्रमण कर जाँच कर रही थी। इस दौरान हरियाव गांव के अजय कुमार के इकलौते बेटे समर (4.5 वर्ष) को लक्षण के आधार पर संभावित ‘दिल में छेद’ के लिए चिन्हित किया गया। इसके बाद टीम ने समर को जिला अस्पताल ले जाकर पूरी जाँच की। जांच के बाद उसके ‘दिल में छेद’ होने की पुष्टि हो गई। आरबीएसके के सहयोग से समर को इलाज के लिए अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज भेजा गया जहां सीनियर कार्डिक सर्जन डॉ आज़म ने समर का सफलतापूर्वक इलाज किया। इलाज के बाद वह डॉक्टर की देखरेख में रहा और अब समर पूरी तरह से स्वस्थ है।

समर की माँ माया देवी ने बताया – जब समर पैदा हुआ था तब से वह बीमार ही रहता था। जब निजी अस्पताल के डॉक्टर को इसके बारे पूंछा तो डॉक्टर ने समर के दिल में छेद होने की बात कही। डॉक्टर ने बताया कि इसके इलाज में तीन लाख रुपये का खर्च आएगा। इतने अधिक रुपये सुनकर वह बहुत अधिक परेशान हो गयी क्योंकि उनकी घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। लेकिन एक दिन जब आरबीएसके की टीम ने उनके बच्चे को खोजा जिस कारण उनके बच्चे का निःशुल्क इलाज हो पाया। माया देवी बताती हैं कि यह योजना समर और उसके परिवार के लिए वरदान साबित हुई है जिससे वह बेहद खुश हैं।

आरबीएसके के डीईआईसी मैनेजर अरविन्द वर्मा ने बताया – आरबीएसके के तहत मेडिकल कालेज पहुँचने के बाद मरीज के साथ एक परिजन के रहने एवं गंभीर जन्मजात विकृति के इलाज, दवा और खानपान तक का पूरा खर्च सरकार वहन करती है। आरबीएसके के द्वारा मऊ जनपद के पोषण पुनर्वास केंद्र में 506 अतिकुपोषित बच्चों का इलाज किया जा चुका है। वहीं अप्रैल से नवम्बर 2019 तक न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के 04, कन्जाइटल हार्ट डिजीज के 03, कटे होठ व कटे तालू के 06, जन्मजात मोतियाबिंद के 04 बच्चों का इलाज किया जा चुका है। उन्होने बताया कि आरबीएसके के लिए जिले के सभी 09 ब्लॉकों में 18 टीमें कार्य कर रही हैं। यह टीमें सभी ब्लॉक के सरकारी स्कूलों में वर्ष में एक बार एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों पर वर्ष में दो बार विजिट कर स्क्रीनिंग करती हैं। वहीँ जन्म से लेकर 19 वर्ष तक के जन्मजात विकृति से ग्रसित बच्चों के मिलने पर इलाज के लिए जिला चिकित्सालय और गंभीर स्थिति में बड़े सरकारी अस्पतालों अथवा मेडिकल कालेज में इलाज के लिए भेजा जाता है।

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