तारिक आज़मी की मोरबतियाँ – क्या फिर पा रहे कुछ और “रईस बनारसी” दालमंडी-नई सड़क के कथित बिल्डरो के यहाँ शरण

तारिक आज़मी

केवल वाराणसी ही नहीं बल्कि आधे उत्तर प्रदेश में अपराध और खौफ का दूसरा नाम बनकर उभरा रईस बनारसी अब मारा जा चूका है। लगभग एक दशक तक रईस बनारसी ने बनारस से लेकर कानपुर तक अपराध जगत में अपना सिक्का चलाया। आपसी रंजिश के कारण जब रईस बनारसी मारा गया तो प्रशासन ने कुछ चैन की साँसे लिया। रईस बनारसी के हत्याकांड की विवेचना से जुड़े पुलिस सूत्रों की माने तो उस जाँच के दौरान रईस बनारसी के वाराणसी और कानपुर दोनों ही शहरों में कई बिल्डरों से काफी घनिष्ठ सम्बन्ध रहे थे। पुलिस को जानकारी तो इस सम्बन्ध में मिल गई मगर दिक्कत फिर वही कि तत्कालीन विवेचना में कोई सबूत नही हाथ लगा, या फिर लगने नही दिया गया तो बात कही न कही से ठन्डे बसते में चली गई थी।

ऐसा नही है कि यह पहली बार था जब किसी अपराधी से इस नई सड़क-दालमंडी के बिल्डरों का घनिष्ठ सम्बन्ध सामने आया हो। इसके पहले के समीकरणों पर गौर करे तो कई बार ऐसा सामने आ चूका है। मगर कोई कड़ी कार्यवाही केवल इस वजह से नही हो सकी क्योकि पुलिस के हाथो पुख्ता सबूत नहीं लग सका था। मुन्ना बजरंगी के मारे जाने के बाद तो कई ऐसे भी बिल्डर थे जो खुद को विधवा अथवा अनाथ समझ बैठे थे। मगर सबसे रोचक सीन मुन्ना बजरंगी की माँ के निधन पर देखने को मिला था जब इसी नई सड़क के कथित नेता और व्यवसाई बनारस के ख़ास तौर पर लम्बी चौकी गाडी से मुन्ना के गाव तक गए थे और सीना पीट कर कैसा रो रहे थे जैसे लगता था कि मुन्ना बजरंगी की माँ नही बल्कि खुद की उनकी माँ का देहांत हो गया हो। “हाय रे माई मर गईलिन” की दहाड़े काफी उस समय मुन्ना के गाव में सुनाई दी थी जो आज भी अक्सर बनारस में नई सड़क की अडियो पर चर्चा का विषय बन जाती है।

इस सबके बीच रईस बनारसी कुछ तीन अथवा चार बिल्डरों के आका के तौर पर उभर कर सामने आया था। छोटी से लेकर बड़ी संपत्ति की पंचायत में रईस बनारसी को बिचौलिया के रूप में क्षेत्र के दो बिल्डरों ने डाल कर काफी मलाई भी खाई। अब जब रईस बनारसी मर चूका है और दालमंडी के कुख्यात इस समय जेल में है तो इन खास तौर पर तीन बिल्डर को किसी न किसी संरक्षण की आवश्यकता पड़ने लगी। इस दौरान दो नाम खूब चर्चा कमाया है और पुलिस की निगाहों से दूर भी है अभी तक। आइये उनके सम्बन्ध में थोडा जानकारी आपको देते है।

शहीद :

प्रयागराज में सुपारी लेने का आरोपी कुख्यात शाहिद

ये नाम तब पुलिस के नज़र में आया जब इस नाम के युवक को अचानक प्रयागराज (इलाहाबाद) पुलिस तलाश करने लगी। वाराणसी पुलिस का कुख्यात हिस्ट्रीशीटर शहीद देह्लू गली का निवासी था और पड़ाव पर ज़मीन खरीद कर मकान बना कर रह रहा था। रमजान के महीने में पुरे महीने इस युवक ने लेडीज़ सूट का चट्टा लगाया था और दालमंडी में कभी काफी चर्चा पाए बंशीधर कटरे के बाहर इसने दूकान लगाया था।

सूत्र बताते है कि इस दौरान इसने खुद का मकान बनवाने और दूकान लगाने के लिए किसी बैंक से लोन भी लिया था जिसकी अदायगी न होने की स्थिति में बैंक ने इसके ऊपर आरसी भी काट रखा है जिसकी वसूली के लिए अमीन लगातार दौड़ना और दबाव बनाना शुरू कर दिया। रमजान का महिना खत्म होने के बाद यह इसी क्षेत्र के एक बिल्डर महोदय जिन्होंने एक आलीशान बेसमेंट वाला भवन बनवाने का ठेका मुसाफिर खाने के पास ले रखा है और तंग गलियों में पांच मंजिला मकान के साथ बहुचर्चित हो रहे बेसमेंट का लिया है के साथ टहलने घुमने लगा। कथित तौर पर बिल्डर साहब ने इसको अपने साथ खुद की सुरक्षा के लिए रखा हुआ था। मगर स्थानीय पुलिस प्रशासन जिसमे पियरी और दालमंडी चौकी प्रमुख है के नज़र में यह युवक तब तक नही आया जब तक प्रयागराज की पुलिस इसकी तलाश नही करने लगी।

जानकारी के अनुसार खुद के अपराधी चरित्र के साथ इसका संपर्क प्रयागराज के कई अपराधियों से था। सूत्रों की माने तो प्रयागराज से निकली एक पांच लाख की सुपारी इसने खा डाली। सुपारी प्रयागराज के एक अन्य अपराधी को मारने की थी। इस सुपारी को लेने के बाद इसने इस काम को काशीपूरा (हकाकटोला) निवासी मुमताज़ उर्फ़ बौना को दे डाली। स्थानीय सूत्रों और प्रयागराज पुलिस सूत्रों की माने तो प्रयागराज के अटाला निवासी कुख्यात पिंटू को मारने की सुपारी लेकर शहीद ने दो लाख देकर काम मुमताज़ को सहेज दिया। इस सुपारी के बाद मुमताज़ बनारस से प्रयागराज जाता है और पिंटू को गोली मारता है। साथ के अन्य साथी इसके भाग जाते है और मुमताज़ रास्ते की जानकारी न होने पर फंस जाता है और जनता के हत्थे चढ़ जाता है।

भीड़ ने भी मुमताज़ की जमकर मेहमान नवाजी किया और किसी तरह की कोई शिकायत का मौका न देते हुवे मार मार कर अधमरा कर डाला। कुटाई का ये आलम था कि जो आता दो चार देकर ही चला जाता था, पुलिस के पहुचने से पहले ही मुमताज़ अधमरा हो चूका था जिसको उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहा काफी सीरियस कंडीशन में भर्ती मुमताज़ ने पूछताछ में शाहिद का नाम खोल दिया। सुचना पाकर प्रयागराज पहुचे परिजनों ने भी मुमताज़ से पूछा था तो उसने शाहिद द्वारा सुपारी देना काबुल किया था। अब जब मामला फंसा तो गुंडाएक्ट में निरुद्ध होकर मौज से टहल रहे शाहिद के पसीना छूटा तो वही दालमंडी चौकी इंचार्ज और पियरी चौकी इंचार्ज तक इसकी तलाश करने लगे।

बहरहाल, मामले को बिगड़ता शहीद ने खुद पर लगे गुंडा एक्ट में चालन कटवा लिया और जेल चला गया। अब प्रयागराज पुलिस अब मामले में शाहिद को रिमांड पर लेने की कार्यवाही कर रही है मगर पुलिस के नाक के नीचे बैठे इस अपराधी पर पुलिस की निगाह न पड़ी हो कैसे सम्भव है।

रांची का कुख्यात है गोलू उर्फ़ साकिब

झारखण्ड पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार यह युवक रांची के हिंदीपाढ़ी स्थित ग्वालटोली का रहने वाला है। इस जगह ये किराए पर रहता था। बचपन से ही गलत सोहबत के कारण इसका साथ अपराधी किस्म के लोगो के साथ हो गया। उसी दौरान इसने बस अड्डे से अपने नाम की वसूली उठानी शुरू कर दिया था। अपराध जगत में पदार्पण करने के बाद इसको राची के कुख्यात बदमाश सोनू इमरोज़ का साथ मिल गया। जब 2015 में रांची के सदर थाने ने इसको गिरफ्तार किया। उस समय इसने रंगदारी के लिये गोली चला कर सनसनी फैला दिया था।

रांची का कुख्यात साकिब उर्फ़ गोलू

ये युवक भी पिछले एक साल से बिल्डरो के साथ रह रहा है। ख़ास तौर पर ये बिल्डर इसको रईस बनारसी के लुक में करके रखते है। 2019 के 12 फ़रवरी को एक सपा के कार्यक्रम के दौरान इसने एक पत्रकार पर हमला कर दिया था। जिसमे इसको कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उस पत्रकार द्वारा शिकायत न दर्ज करवाने के कारण पुलिस को मजबूरन इसको 151 में बुक करना पड़ा था। सोनू इमरोज़ के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद से ही यह अपराधी प्रवित्ति का युवक बनारस में दालमंडी की तंग गलियों का बादशाह बनने की फ़िराक में लगा है। झारखण्ड पुलिस का मानना है कि रंगदारी और वसूली से सम्बंधित सोनू इमरोज़ का सभी काम ये ही युवक देखता था। सोनू इमरोज़ और साकिब गोलू के नाम का सिक्का रांची में चल चूका है।

सोनू इमरोज़ तो पुलिस मुठभेड़ में ढेर हो चूका है मगर उसके गैंग का सञ्चालन अब साकिब ही करता है। चर्चाओं पर गौर करे तो सकीब उर्फ़ गोलू नाम का यह युवक असलहो की तस्करी भी करता है। रांची पुलिस ने इस सम्बन्ध में इसको 8 अगस्त 2018 को धर दबोचा था। इसकी जामा तलाशी में इसके पास से एक देसी पिस्तौल, एक रिवाल्वर और दो जिंदा कारतूस बरामद हुवे थे। इसी के बाद जब यह जेल में था तो इसका आका गैंग लीडर सोनू इमरोज़ पुलिस मुठभेड़ में रांची में मारा गया। उसके मरने के बाद ये हिंदीपीढी स्थित किराये का मकान छोड़ कर पुनदाग इलाके में अपना खुद का मकान बनवाकर रहने लगा। अति गोपनीय सूत्रों की माने तो इसको मकान बतौर तोहफे में बनारस के एक बिल्डर ने दिया है और उसका निर्माण भी बनारस के मिस्त्री और कारीगरों ने जाकर रांची में किया था।

हमारे वाराणसी स्थित दालमंडी और नई सड़क के सूत्रों की माने तो इसका एक साथ और भी है जो इसके ही कद काठी का है और वह भी इसके साथ हमेशा इस सपा नेता के साथ रहता है। सूत्र बताते है कि इसके पास बिहारी वेश भूषा और बोलचाल के लोग अक्सर आया जाया करते है। क्षेत्र में ये किसी से बात नही करता है और हमेशा खामोश खामोश सा रहता है। वही इसका दूसरा साथी भी किसी से बातचीत नही करता है और खामोश रहता है।

सदिग्ध के तौर पर देखा गया है

मृत के के उपाध्याय के घर के पास देखा गया संदिग्ध

वाराणसी के बहुचर्चित पुरोहित दम्पति हत्याकांड के बाद पुलिस ने मृत दंपत्ति के बेटो को अपनी सुरक्षा दे रखा है। लगभग एक पखवारे पहले एक संदिग्ध उस घर पर जाकर मदनपुरा का पता पूछ रहा था। शक होने पर अचानक मौके से भाग गया। सीसीटीवी फुटेज में देखा गया तो इस संदिग्ध की शिनाख्त नही हो पा रही थी। इस घटना के बाद से गोलू उर्फ़ साकिब बनारस से फरफ बताया जाता है। वही पुलिस को शक है कि जिस संदिग्ध को सीसीटीवी फुटेज में देखा गया था वह संदिग्ध और कोई नही बल्कि साकिब उर्फ़ गोलू था। मामले की जाँच पुलिस कर रही है।

अब देखा होगा कि चौक और चेतगंज पुलिस इस मामले में कब गंभीर होती है और होती भी है कि नहीं होती है। या फिर किसी और “रईस बनारसी के पैदा हो जाने के बाद पुलिस गंभीर होगी”। शायद पिक्चर अभी पूरी ही बाकी है। देखना होगा कि इन खुख्यात बिल्डरो पर पुलिस कब अंकुश लगा पाती है।

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