कतर्नियाघाट में टाइगर पोचिंग की घटना न होना इन्फोर्समेन्ट एजेन्सियों के बीच बेहतर तालमेल का नतीजाः आशीष तिवारी

नूर आलम वारसी
बहराइच : वन्य जीव अपराधों के प्रवर्तन (इंफोर्समेन्ट) कार्य से जुड़े विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किये जाने के उद्देश्य से कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग बहराइच, ट्रैफिक इण्डिया नई दिल्ली एवं डब्लू.डब्लू.एफ. के संयुक्त तत्वावधान में गेरूवा नेचर इन्टरप्रिटेशन सेन्टर कतर्नियाघाट (नाव घाट) पर आयोजित 02 दिवसीय कार्यशाला के दौरान विषय विशेषज्ञों की ओर से कहा गया कि वाईल्ड लाईफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 को प्रभावी ढंग से लागू करने तथा प्रवर्तन कार्य के लिए जिम्मेदार एजेन्सियों के बीच प्रत्येक स्तर पर बेहतर को-आर्डिनेशन से वन्य जीव अपराधों पर अंकुश लगाया जा सकता है। 

वाईल्ड लाईफ क्राईम के विश्वव्यापी होते स्वरूप को देखते हुए सभी रिर्सोस पर्सन की ओर से इस बात पर भी ज़ोर दिया गया कि एक राज्य अथवा देश की ही विभिन्न एजेन्सियों के बीच समन्वय अब काफी नहीं है। इसके लिए विभिन्न देशों विशेष कर ऐसे देश जिनकी सीमाएं खुली हैं, वहॉ पर कार्य करने वाली इनफोर्समेन्ट एजेन्सियों के बीच बेहतर तालमेल तथा समय पर सूचनाओं के आदान-प्रदान से स्थिति में सुधार लाया जा सकता है। 
वाईल्ड लाईफ क्राईम के मल्टीनेशन होते स्वरूप को देखते हुए वक्ताओं की ओर इस बात पर ज़ोर दिया गया कि एक कमाण्ड डाटा बेस के माध्यम से वन और वन्य जीवों के अवैध शिकार और तस्करी पर अंकुश के लिए प्रभावी कार्ययोजना बनायी जा सकती है। कार्यशाला में रिर्सोस पर्सन ने इस बात पर चिंता व्यक्त की आज विश्व के किसी भी देश में किसी वन्य जीव के अवैध शिकार की घटना में वृद्वि होने पर ऐसे सभी देशों जहॉ पर उक्त जीव पाया जाता है वहॉ पर भी अवैघ शिकार का ग्राफ बढ़ जाता है। जिससे यह बात स्पष्ट है कि इस कार्य में संलिप्त लोग न ही काफी संगठित हैं बल्कि उनके द्वारा अवैध शिकार एवं तस्करी में उन्नत सूचना तकनीक का भी उपयोग किया जा रहा है। स्थानीय स्तर पर सूचना तंत्र को सतर्क कर इस स्थिति पर काबू पाया जा सकता है। 
वक्ताओं ने कहा कि वन्य जीवों के अवैध शिकार एवं तस्करी पर प्रभावी अंकुश के लिए इन्फोर्समेन्ट एजेन्सियों को संगठित अपराधी नेटवर्क से दो कदम आगे रहने के लिए एडवान्स टेक्नालॉजी को एडाप्ट करने के साथ ही सभी संवेदनशील और अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में सूचना तंत्र का ऐसा नेटवर्क तैयार करना होगा कि समय रहते त्वरित कार्यवाही कर वन्य जीवों की सुरक्षा की जा सके और अपराधियों को कठोर से कठोर दण्ड भी दिलाया जा सके।
फैशन, कुछ अनूठा खाने का शौक, समाज में रूतबा बढ़ाने के लिए दुर्लभ प्रजातियों को पालतू बनाने की चाहत, वन्य जीवों के अंगों से असाध्य रोगों के इलाज की गैर प्रमाणित मान्यताओं तथा विभिन्न सामाजिक संस्कारों में वन्य जीवों वन्य जीवों के खाल तथा बोन से तैयार उपकरण एवं वस्त्रों के प्रयोग की परम्परा से भी अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ारों में वन्य जीवों के अंगों की मॉग जिससे वन्य जीवों के अवैध शिकार एवं तस्करी में इज़ाफा हुआ है। रिर्सोस पर्सन की ओर से कहा गया कि जनजागरूकता से इस स्थिति में गुणात्मक सुधार लाया जा सकता है।
कार्यशाला के दौरान रिर्सोस पर्सन की ओर से इन्फोर्समेन्ट से जुड़ी एजेन्सियों के अधिकारियों को वन्य जीव अपराध स्थल से साक्ष्य एकत्र करने के तौर तरीकों, मुकदमों की प्रभावी पैरवी, साक्ष्यों के प्रस्तुतिकरण, वन्य जीव अपराधों पर अंकुश के सम्बन्ध मा. उच्च न्यायालयों की ओर से दिये महत्वपूर्ण निर्णयों इत्यादि की जानकारी भी प्रदान की गयी। इसके अलावा वन्य जीव अपराधों के आर्थिक पहलुओं को लेकर जॉच किये जाने तथा फोरेंसिक जॉच जैसे अत्याधुनिक उपायों को सुबुत के तौर पर पेश करने के सम्बन्ध में भी बताया गया ताकि वन्य जीवों के शिकार में संलिप्त अपराधी अपने किये की सजा पाने से बच न सकें।
कार्यशाला में अतिथि के रूप में सम्मिलित एसएसबी के डीआईजी यूपी बलोदी, रायल बर्दिया नेशनल पार्क नेपाल के डीएफओ भैरव घिमरे व चीफ वार्डेन रमेश थापा, सहायक आयुक्त सीमा शुल्क निवारक मण्डल लखनऊ मनमीत सिंह अहलूवालिया तथा रिर्सोस पर्सन के रूप में ट्रैफिक इण्डिया नई दिल्ली के हेड डा. शेखर कुमार नीरज, भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक एसपी गोयल, मा. उच्च न्यायालय मुम्बई वन्य जीव विशेषज्ञ अधिवक्ता कार्तिक शुक्ला सहित लोगों ने वन्य जीव संरक्षण तथा कौशल क्षमता विकास के सम्बन्ध में अपने अनुभवों को व्याख्यान के माध्यम से प्रस्तुत किया।  
कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के वन संरक्षक/प्रभागीय वनाधिकारी आशीष तिवारी ने आशा व्यक्त की इनफोर्समेन्ट एजेन्सियों के बीच बेहतर समन्वय के लिए यह कार्यशाला आने वाले समय में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि विभिन्न एजेन्सियों के बीच अनूठे समन्वय का नतीजा है कि वन प्रभाग अन्तर्गत विगत 04 वर्ष में टाइगर पोचिंग का कोई मामला प्रकाश में नही आया है।
इस अवसर पर मध्य प्रदेश से नारकोटिक्स विभाग के एडीजीपी वरूण कपूर आईपीएस, नेपाल बॉके के डीएफओ पुष्प राज बरतोला, नेपाल सेना के लेफ्टिनेन्ट कर्नल राजेन्द्र पन्त, राष्ट्रीय प्राकृति संरक्षण कोष नेपाल के अम्बिका प्रसाद खातीवाला, डीएफओ साउथ खीरी संजय विश्वाल, दुधवा के प्रशिक्षु आईएफएस अरविन्द यादव, हलद्वानी उत्तराखण्ड के प्रशिक्षु आईएफएस अमित कॅवर, पुलिस क्षेत्राधिकारी नानपारा अजय भदौरिया, एसडीओ बेलरायॉ एमके शुक्ला, वन्य जीव प्रतिपालक कतर्नियाघाट पी.एन. राय, वन क्षेत्राधिकारी कतर्नियाघाट गयादीन, निशानगाढ़ा आरकेपी सिंह, ककरहा के विकास अस्थाना, मोतीपुर के खुर्शीद आलम, धर्मापुर के पी.के. मिश्रा, कतर्नियाघाट वेलफेयर सोसायटी के आबिद रज़ा, कतर्नियाघाट फाउण्डेशन के फज़लुर्रहमान, ट्रैफिक इण्डिया के को-आर्डिनेटर डा. मार्वन फर्नाडीज़, प्रोग्राम आफिसर अमरनाथ चौधरी, फील्ड को-आर्डिनेटर डा. अभिषेक कुमार सिंह, फील्ड आफिसर राज शेखर सिंह, प्रशिक्षु आरती व आयुशी, डब्लू.डब्लू.एफ. के वरिष्ठ को-आर्डिनेटर डा. जयदीप बोस, को-आर्डिनेटर डा. मुदित गुप्ता, वरिष्ठ परियोजना अधिकारी डा. कमलेश मौर्या, परियोजना अधिकारी दबीर हसन, 59वीं बटालियन के डिप्टी कमान्डेन्ट कुलजीत रंगी, पक्षी विशेषज्ञ डा. अबरार अहमद, डाक्युमेन्ट्री फिल्म मेकर हिमांशु मल्होत्रा सहित इनफोर्समेन्ट एजेन्सियों के अन्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।

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