सरसेना के स्वरूप आश्रम में उमड़ेगा श्रद्धा का ज्वार-
मऊ : एक आश्रम ऐसा भी जहां सभी आडंबरों से दूर रहते हुए केवल मानव व अन्न की पूजा होती है। चार दशक से अनवरत चली आ रही गुरु-शिष्य परंपरा का अदभुत नजारा यहां देखने को मिलता है। जहां हजारों लोग सरोवर में स्नान कर अपने इहलोक को सुधारने के साथ ही गुरुपूजा कर परलोक का भी मार्ग प्रशस्त करते हैं। जिले के उत्तरी छोर पर सरसेना स्थित जय सतगुरु देव स्वरूप आश्रम पर मंगलवार को गुरु पुर्णिमा के पावन अवसर पर श्रद्धा का ज्वार उमड़ेगा। देश के कोने-कोने से ही नहीं वरन विदेशों से भक्त अपने गुरु का दर्शन कर व सत्संग सुनकर पुण्य के भागी बनते हैं।
आजमगढ़ जनपद के बरहतील निवासी हरिशंकर पांडेय ने सन 1976 में सरसेना आश्रम की नीव रखी। इसके पूर्व वे गाजीपुर जनपद के दुल्लहपुर में करीब एक दशक तक आश्रम बनाकर भक्तों को मानवीय मूल्यों की सीख देते रहे। क्षेत्र में अपार श्रद्धा का केंद्र होने के चलते आश्रम की ख्याति ऐसी बढ़ी की दूर-दूर से भक्त आने लगे। सप्ताह के प्रत्येक रविवार को सत्संग होने लगा और भक्त निहाल होने लगे। सन 1993 में बाबा के ब्रह्मलीन होने पर आश्रम में ही बने भव्य मंदिर में उनको समाधि दी गई। यहां भक्त मत्था टेककर अपनी मुराद पूरी करते हैं। उनके बाद नेपाल के बाबा पशुपति दास ने गद्दी संभाली और गुरु-शिष्य परंपरा को आगे बढ़ाया। सुबह से लेकर एक बजे तक भजन-कीर्तन, खान-पान का दौर चलता है। एक बजे बाबा के सत्संग के बाद गुरु E कर भक्त निहाल होते हैं। इसके बाद सूर्य की सीधी किरणों बीच भक्तों को नामदान देने की प्रकिया पूरी की जाती है। गुरु पुर्णिमा के पावन पर्व पर कई दिन पूर्व से ही विदेश सहित मुंबई, दिल्ली, कलकत्ता, सिक्किम,चंड़ीगढ़,सहित यूपी के शहरो से भक्तों का रेला उमड़ता है