कैराना की राजनीति अब नही चलेगी- तीस्ता सीतलवाड़
वाराणसी। आर के गुप्त व मुहम्मद राशिद। वर्तमान केंद्र सरकार की सोच पर संघ की विचारधारा हावी है। संघ देश के संविधान के साथ छेड़ छाड़ करना चाहती है और संविधान बदलना चाहती है। कैराना वाली राजनीति अब नहीं चलेगी यह संघ और भाजपा को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए। उक्त विचार आज प्रख्यात समाज सेविका तीस्ता सीतलवाड़ ने एक संयुक्त पत्रकार वार्ता में दिया। योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के साथ संयुक्त पत्रकार वार्ता में सवालो का जवाब देते हुवे तीस्ता सीतलवाड़ ने कहा कि आज आज़ाद पत्रकारिता की देश को सख्त आवश्यकता है। देश में पत्रकारिता पर संघ की विचारधारा हावी होती जा रही है जो मुल्क के अमन चैन के लिए बड़ा खतरा है।
पुर्व वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवक योगेंद्र यादव में एक सवाल के जवाब में कहा कि हम ज़ाकिर नाइक का भी विरोध करते है। देश को अमन की ज़रूरत है आज संघ , भाजपा और एआईएमआईएम जैसे संगठन और दल देश में खौफ का माहौल पैदा करते है। जो देश की जड़ खोदने जैसा है। आज मुल्क में अल्पसंख्यक खुद को असुरक्षित महसूस करते है। देश की दूसरी सबसे बड़ी आबादी को ऐसे असुरक्षा की भावना पैदा करना देशहित में नहीं है। उन्होंने कहाकि ऐसा नहीं है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुनते नहीं है , वो सुनते है। उदहारण के तौर पर जब तक सुब्रहमणियम स्वामी दुसरो के खिलाफ बोलते रहे उनको नहीं रोका गया मगर जैसे ही उनके टारगेट पर अरुण जेटली आये तत्काल प्रधानमंत्री ने उनके कान खिंचे। तो फिर प्रधानमंत्री योगी और साध्वी पर लगाम क्यों न कस पा रहे है जबकि वो लगातार ज़हर उगल रहे है।
योगेंद्र यादव ने कहा कि प्रदेश में साम्प्रदायिकता से सपा और भाजपा दोनों को ही फायदा है। ऐसी ही साम्प्रदायिकता की एक चाल 2014 में चली गई थी मगर वह चाल सपा को उलटी बैठ गई। एक बार फिर प्रदेश के अंदर ऐसे माहौल पैदा किये जा रहे है। चुनाव लड़ने के मुद्दे पर योगेंद्र यादव ने इंकार करते हुवे कहा कि अभी हम केवल समाज की सेवा कर रहे है और अमन का माहौल खड़ा कर रहे है। हम चुनाव नहीं लड़ेंगे। समर्थन के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी बहुत जल्दी होगा कुछ भी कहना मगर चुनाव के पहले इसपर विचार किया जायेगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता और अन्ना आंदोलन के साथी रहे प्रशांत भूषण ने सवालो के जवाब में कहा कि कभी गाय तो कभी घर वापसी जैसे मुद्दों से संघ और भाजपा अल्पसंख्यको के अंदर खौफ पैदा कर रही है। अल्पसंख्यको के अंदर असुरक्षा की भावना पैदा होती जा रही है। एक प्रकार से मुसलमानों को बंधक बनाया जा रहा है। हम अमन के लिए जागरूकता कार्यक्रम चला रहे है। विवादित मुद्दों पर विवादित बयानों से बचते हुवे प्रशांत भूषण ने कश्मीर के मुद्दे पर कहाकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वानी का इनकाउंटर सही था या फेक था इसकी जांच आवश्यक है। साथ ही सरकार को इस मुद्दे पर भी विचार करना चाहिए कि आखिर क्या कारण है कि इतनी कम उम्र के लड़के इस तरह के कार्य कर रहे है।
PNN24 के कामन सिविल कोड के प्रश्न पर जवाब देते हुवे प्रशांत भूषण ने कहाकि कामन सिविल कोड होना चाहिए मगर वो सिविल कोड हिन्दू सिविल कोड न होकर सभी पर्सनल लॉ के अच्छे नियमो में से लेकर होना चाहिए।