दिल्ली हिसा पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाने वाले जज के ट्रांसफर पर विपक्ष के निशाने पर आई सरकार, कांग्रेस ने सरकार से पूछे तीन सवाल
तारिक खान
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुवे दिल्ली हिंसा हेतु ज़िम्मेदार भाजपा नेताओं की हेट स्पीच पर नाराज़गी जताते हुवे ऍफ़आईआर दर्द करने का आदेश देने वाले जज जस्टिस एस मुरलीधर के ट्रांसफर के टाइमिंग पर केंद्र सरकार घिर गई है। इस ट्रांसफर के बाद सरकार इस तरह से घिरी है कि खुद कानून मंत्री को मामले में सफाई देनी पड़ी है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि क्या न्याय करने वालों को भी बख्शा नहीं जाएगा? उन्होंने कहा, ’26 फरवरी 2020 को दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधर एवं जस्टिस तलवंत सिंह की दो जज की बेंच ने दंगा भड़काने में कुछ बीजेपी नेताओं की भूमिका को पहचानकर उनके खिलाफ सख्त आदेश पारित किए एवं पुलिस को कानून के अंतर्गत तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया था। केंद्र सरकार के वकील, श्री तुषार मेहता ने हाईकोर्ट में इसके वीडियो दिखाए जाने के बावजूद यह हवाला देते हुए आदेश में नामित इन कथित आरोपियों को बचाने का हर संभव प्रयास किया कि यह कार्रवाई किए जाने के लिए ‘‘उचित समय” नहीं है। बेंच द्वारा आदेश दिए जाने के कुछ घंटों में ही, न्याय व कानून मंत्रालय ने एक आदेश पारित कर उनका ट्रांसफर तत्काल पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट कर दिया’।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘पूरा देश अचंभित है, लेकिन मोदी शाह सरकार की दुर्भावना, कुत्सित सोच व निरंकुशता किसी से छिपी नहीं, जिसके चलते वो उन लोगों को बचाने का हर संभव प्रयास करेंगे, जिन्होंने भड़काऊ भाषण दे नफरत के बीज बोए और हिंसा फैलाई’। सुरजेवाला ने कांग्रेस की ओर से पीएम मोदी और अमित शाह से तीन सवाल भी पूछे हैं।
- क्या आपको यह डर था कि यदि आपकी पार्टी के नेताओं की स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच की जाएगी, तो दिल्ली की हिंसा, आतंक व अफरा-तफरी में आपकी खुद की मिलीभगत का पर्दाफाश हो जाएगा?
- निष्पक्ष व प्रभावशाली न्याय सुनिश्चित किए जाने से रोकने के लिए आप कितने जजों का ट्रांसफर करेंगे?
- क्या आपके पास अपनी ही पार्टी के नेताओं द्वारा दिए गए विषैले बयानों को उचित ठहराने का कोई रास्ता नहीं था, इसलिए आपने उस जज का ही ट्रांसफर कर दिया, जिसने पुलिस को आपकी पार्टी के नेताओं की जांच करने का आदेश दिया था?
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि आज जब 2 बजे इस मामले की सुनवाई होगी तो जस्टिस एस मुरलीधर की जगह जो जस्टिस सुनवाई करेंगे वो उसी साहस से मामले को सुनेंगे जो जस्टिस एस मुरलीधर ने दिखाया था।