उत्तर प्रदेश में वक्फ संपत्तियों पर भू-माफियाओं की टेढ़ी नज़र, क्या पैसो के नर्म बिस्तर पर आराम कर रहा है वक्फ बोर्ड (Part-1)

तारिक आज़मी

पैसा किसी की नियत ख़राब कर सकता है। पैसे की चकाचौंध में कोई भी डूब सकता है। शायद इसी पैसे की लालच जब वहशियाना हदे तोड़ देती है तो इंसान हर गलत काम को करने का शौक पाल बैठता है। इसका सबसे आसन रास्ता आज कल संपत्ति हो चुकी है। कोयले के काम में हाथ काला होता है, मगर भूमि-भवन के कारोबार में जमकर चांदी कट जाती है। इसी चांदी को काटने का एक साधन उत्तर प्रदेश में वक्फ की संपत्तिया होती जा रही है। जिस शहर में देखे वक्फ की संपत्ति पर भू-माफियाओं की टेढ़ी नज़र पड़ती जा रही है और खाली पड़ी अथवा पुराने मकानों के रूप में पड़ी वक्फ संपत्ति पर बहुमंजिली इमारते तामीर होती जा रही है।

इस गोरखधंधे में सबसे अधिक कोई ज़िम्मेदार है तो वह है वक्फ बोर्ड। वक्फ बोर्ड के लोगो को खुद के साथ मिलाओ, मुतवल्ली को धन लालच देकर उस संपत्ति पर निर्माण हेतु वक्फ से परमिशन ले डालो। बहुमंजिली इमारत खडी करो। उसके बाद संपत्ति को लीज़ पर बेच डालो। वक्फ की सम्पत्ति का सभी जानते है कि जिसका कब्ज़ा दखल संपत्ति उसकी। 99 साल की लीज़ संपत्ति के मुतवल्ली से करवा कर पूरी की पूरी संपत्ति ही बेच डाली जा रही है। वही वक्फ बोर्ड के कुछ कर्मचारी खुद की जेबे गर्म करके इस गोरखधंधे में अपनी आँखे बंद कर लेते है।

प्रदेश में एक नहीं काफी ऐसी संपत्ति है जो इस प्रकार से बेच डाली गई है। रख रखाव के नाम पर किरायदार के नाम पर संपत्ति पर कब्ज़ा दिलवाकर मुतवल्ली भी चांदी काट लेते है और भू माफियाओ का जन्म ही चांदी काटने के लिए हुआ है। अभी हम आपको उन संपत्तियों की डिटेल अगले अंक से देना शुरू करेगे जिन वक्फ की संपत्तियो पर पैनी और टेढ़ी नज़र भू माफियाओं की पड़ चुकी है। हम अपने अंको में आपको उन संपत्ति का भी वर्णन करेगे जो बेचीं जा चुकी है। हम पहले आपको वक्फ की संपत्ति को खरीदने के लिए जुगाड़ डॉट काम वाला नियम बता रहे है।

भूमाफियाओ द्वारा वक्फ संपत्ति का पहले खाका तैयार किया जाता है। खाके में ये देखा जाता है कि इस संपत्ति पर क्या बना कर बेचा जा सकता है। फिर उसके बाद उसके मुतवल्ली को पटाया जाता है। मुतवल्ली को धन लाभ समझाया जाता है। बड़े फायदे के लालच दिखाए जाते है। फिर भी अगर मुतवल्ली नही माने तो भू के बजाये बहुबल का भी दर्शन करवा दिया जाता है। बस फिर क्या मान गया मुतवल्ली। इसके बाद से शुरू होता है वक्फ बोर्ड का काम। वक्फ बोर्ड की बड़ी भूमिका यहाँ से शुरू होती है।

पहले वक्फ के कर्मचारियों से वक्फ भवन के जर्जर होने की बात बताई जाती है। थोडा महँगी कलम रहती है मगर चल ही जाती है। इसके बाद ऊपर साहब लोगो को समझाना पड़ता है। सब समझ गए तो मरम्मत के नाम पर फिर होता है काम शुरू। काम ऐसा शुरू होता है कि रुकने का नाम ही नही लेता है। फिर खरीदार को सेट किया जाता है। संपत्ति पर पहले से ही अगर कोई किरायदार है तो उसको मैनेज कर डाला जाता है। फिर इस मैनेज के बाद मामला साफ़ और जमकर मलाई काट लो। हर खरीदार को मुतवल्ली के तरफ से 99 साल की लीज़ दे दिया जाता है। खरीदार को कब्ज़ा दो और वक्फ की संपत्ति खा जाओ।

आपको अगले अंक में बतायेगे प्रदेश में विभिन्न वक्फ संपत्तियों के सम्बन्ध में जिस को या तो भू माफिया बेच चुके है अथवा बिकने के कगार पर है। साथ ही बतायेगे कि किस शहर में किस प्रकार हो रहा है वक्फ की संपत्तियों पर खेल। जुड़े रहे हमारे साथ जल्द होगा बड़ा खुलासा। हमको मालूम है कि इस खुलासे के बाद वक्फ बोर्ड के दलालों से लेकर भूमाफियाओ के निशाने पर हम रहेगे। मगर हम दिखाते है सिर्फ सच। तो सांच को आंच कैसी जुड़े रहे हमारे साथ।

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