बड़ी खबर: सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदेश प्राचार्य परिषद बनाम डां.करूणा निधान उपाध्याय के वाद में प्राचार्य परिषद की अपील की ख़ारिज।
सुल्तानपुर। कामिनी सिंह। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सिविल अपील संख्या 3361/2015-उत्तर प्रदेश प्राचार्य परिषद बनाम डां.करूणा निधान उपाध्याय के वाद में प्राचार्य परिषद की अपील को किया ख़ारिज। माननीय उच्च न्यायालय,इलाहाबाद के वर्ष 2012(23 अप्रैल) के आदेश को बहाल कर दिया है, जिसके आधार पर उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा चयन आयोग के विज्ञापन संख्या 39 के अन्तर्गत अनुदानित अशासकीय महाविद्यालयों मे नियुक्त प्रदेश के 156 प्राचार्यो को बर्खास्त किया गया था। उक्त जानकारी हमारे सूत्र को प्रोफेसर करुणानिधान उपाध्याय ने प्रदान की।
इस आदेश की जानकारी होते ही उस नियुक्ति के आधार पर उत्तर प्रदेश के विभिन्न अनुदानित अशासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत प्राचार्यो के चेहरे की हवाइयां उड़ गई है। ज्ञातव्य हो की उच्च न्यायालय ने 23 अप्रैल 2012 के अपने आदेश में इन नियुक्तियों के सन्दर्भ में कहा था कि सम्पूर्ण नियुक्ति प्रक्रिया ही नियम विरुद्ध व अवैधानिक है।
इस आदेश का सभी प्राचार्यो पर जो असर पड़ेगा वो तो पड़ेगा ही, लेकिन उक्त के अतिरिक्त सर्वाधिक असर कादीपुर सुल्तानपुर के संत तुलसीदास पी जी कालेज के प्राचार्य डॉ अरविन्द पांण्डेय पर पड़ने की संभावनाएं प्रतीत हो रही है। विदित हो कि प्राचार्य डॉ अरविन्द पांडेय और उनके दाहिने हाथ के तौर पर मशहूर डॉ रविंद्र मिश्र पर पहले से ही अनियमितताओं का बड़ा आरोप रहा है। आरोप लगाने वालों की माने तो डॉ अरविन्द पांडेय अपने पद का दुरूपयोग कर समस्त जांचो को प्रभावित करते रहे है। इसी दौरान उनपर महिला उत्पीड़न का भी आरोप लगा है जिस सम्बन्ध में कादीपुर कोतवाली में धारा 354A के अन्तर्गत अपराध भी पंजीकृत है।
अब यदि डॉ अरविन्द पांण्डेय का प्राचार्य पद नहीं रहता है तो इसका सीधा असर डॉ रविंद्र मिश्रा पर भी पड़ेगा।क्योंकि प्राचार्य के साथ ही डां.मिश्रा भी 354A के तहत ही आरोपी भी है। सूत्रों की माने तो डॉ रविंद्र मिश्रा को उनके सहकर्मी भी बिल्कुल पसंन्द नहीं करते है। वही संत तुलसी दास पीजी कालेज के प्रबंधक की भी स्थिति उहापोह की हो जायेगी क्योकि शासनादेश आने पर दूसरे प्राचार्य की नियुक्ति होना स्वाभाविक हो जायेगा और दूसरे प्राचार्य ने कही पुरानी बंद पड़ी जांचे दुबारा खुलवा दी तो उसमें सत्यता सामने आने का डर लगा रहेगा। जो भी हो इस आदेश से अन्य प्रचार्यो पर असर पड़े न पड़े मगर संत तुलसीदास पीजी कालेज में एक अजीब सन्नाटा है।
प्राचार्य पहले से ही कालेज से गायब है। रविंद्र मिश्रा का भी कालेज में आना जाना दिन के समय बंद है। सूत्रों की माने तो इस आदेश की सुचना मिलने के बाद एक तरफ कालेज के अधिकांश अध्यापको व कर्मचारियों में काफी प्रसन्नता का भाव देखा गया, लोग एक दूसरे को मुह मीठा करवा कर इसको अपनी जीत जैसा सेलिब्रेट किया है। वहीं तरफ प्राचार्य भक्तों में बेचैनी व मायूसी स्पष्ट देखी गयी। इन सबके बीच जो तठस्थ थे वो अलग ही मुद्रा में देखे गए। इसी बीच सूत्रों की सुचना के अनुसार प्रबंधतंत्र नए प्राचार्य हेतु भी नामो का चयन करने में लग गया है। इन नामो में डॉ आर पी सिंह,डॉ जीतेन्द्र तिवारी और अब्दुल रशीद के नाम मुख्य है। वरिष्ठता अगर आधार हुई तो अगले प्राचार्य का नाम डॉ अब्दुल रशीद हो सकता है।
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