मध्य प्रदेश में समझे क्या है कर्णाटक के तर्ज पर सियासत का खेल, जिसमे भाजपा हो सकती है पास और कांग्रेस फेल

तारिक खान

डेस्क। सियासत करवट ले रही है। कांग्रेस के खेमे के ज्योतिरादित्य सिंधिया अब भाजपा के सिपहसालार बनने को तैयार दिखाई दे रहे है। कल तक एक पार्टी का झंडा लिये नेता और विधायक अब दूसरी पार्टी का झंडा लेकर चलने को बेताब दिखाई दे रहे है। सियासत के आकड़ो का खेल देखे तो कमलनाथ सरकार फेल होती दिखाई दे रही है। सत्ता परिवर्तन सामने दिखाई दे रहा है और कमलनाथ सरकार गिरती हुई दिखाई दे रही है। मध्य प्रदेश के राज्यपाल छुट्टिया निरस्त कर वापस भोपाल को निकल चुके है। सियासी ड्रामा अचानक बदलता हुआ दिखाई दे रहा है। कर्णाटक के तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी भाजपा की सरकार बनती हुई दिखाई दे रही है।

यहां अगर आंकड़ों का खेल देखें तो गेंद भारतीय जनता पार्टी के पाले में जा रही है। अभी मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिसमें से दो विधायकों के निधन होने की वजह से दो सीटें रिक्त हैं। ऐसे में फिलहाल सदस्यों की कुल संख्या 228 है। ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 115 हुआ। अभी कांग्रेस के पास 114, भाजपा के पास 107, सपा के पास 1, बसपा के पास 2 और निर्दलीय चार विधायक हैं। सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों का कांग्रेस को समर्थन है।

अगर बेंगलुरु गए 17 विधायक इस्तीफा दे देते हैं तो विधानसभा के सदस्यों की संख्या 211 रह जाती है। ऐसे में बहुमत का आंकड़ा होगा 106। कांग्रेस के पास केवल 97 विधायक रह जाएंगे और भाजपा के साथ 107 विधायक होंगे। अगर सपा, बसपा और निर्दलीय विधायक भी कांग्रेस को समर्थन देते हैं तो वह बहुमत का आंकड़ा पार नहीं कर पाएगी। इन सबके समर्थन के साथ कांग्रेस के पास 104 विधायक होंगे। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि इस तरह सत्ता भाजपा के हाथों में जा सकती है।

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