वाराणसी- पसरा रहा सन्नाटा, प्रशासन हुआ लॉकडाउन के लिए सख्त, शादी के लिए आ रहे बारातियों को भेजा वापस, जाने हाल-ए-बनारस जो आज आँखों से देखा

तारिक आज़मी

वाराणसी. पुरे विश्व में कोरोना का कहर नाजिल है। भारत भी इससे अछूता नही रहा है और विदेशो से चलकर यह वायरस भारत की धरती पर कदम रख चूका है। देश भर में अब तक 557 मरीज़ कोरोना से संक्रमित पाए जा चुके है। सरकार ने इससे बचाव के लिए देश में लॉकडाउन कर रखा है। इस दौरान बेवजह घरो से निकलने पर पाबन्दी है। सरकार का यह फैसला बिना किसी लगाई लिपटी और राजनैतिक सोच से ऊपर आम जनता की सुरक्षा के लिए है। कोरोना को हराने का सिर्फ अभी एक ही अस्त्र है कि इसकी चेन को तोडा जाए। इसी वजह से देश में लॉकडाउन किया गया है। घरो में रहने की नसीहते दिया जा रहा है। जगह जगह बैरिकेट्स लगा कर प्रशासन लोगो की आवाजाही को रोक रहा है।

मगर क्या बताये हम बनारसी है जो। खुद को शूरवीर समझने वालो की कोई कमी यहाँ थोड़ी है। निपट लिया जाएगा की तर्ज पर हम कहा घरो में बैठने वाले है। बिना किसी काम, बिना किसी वजह के गाडियों से घुमने का शौक इसको कहे या फिर बनारसी भौकाल कह ले, निकलने से बाज़ नही आ रहे है। आज शहर के हालात का जायजा लेने निकल पड़ा। आदमपुर थाना क्षेत्र के स्थिति अजीबो गरीब दिखाई दी। झुण्ड बना कर गली नुक्कड़ पर बैठे लोग दिखाई दे रहे थे। पुलिस की गाड़ी का सायरन सुनते ही पेंट अथवा लुंगी या धोती उठा कर भागते घरो में और फिर थोड़ी देर के बाद वापस वही नुक्कड़ पर दांत चियारते दिखाई दे रहे थे। इसमें भी लोग अपना अलग ही भौकाल समझ रहे थे। बा रजा का भगली बे की तरह भागने की भी तारीफे हो रही थी।

ये तो कम था बीच सड़क पर गन्दी सी गेंद लेकर हाथो में टुटा बैट लेकर खुद को सचिन सचिन समझ कर क्रिकेट खेलते भी दिखाई दिए लोग। गली नुक्कड़ पर चायपान की दुकाने खुद को अन्दर से बंद करके खुल जा सिमसिम की तर्ज पर कारोबार जारी रखे हुवे थी। भौकाल तो ऐसा कि जैसे कोरोना इनको देख कर कहेगा प्रभु हमारी जान बक्श दो हम वापस जा रहे है। कुछ तो ऐसे बाते कर रहे थे कि लग रहा था कोरोना उनका रिश्तेदार है जो उनको नुक्सान नही पहुचायेगा। शेखी तो इस तरीके से बघारने का शौक था कि कोरोना सामने आएगा तो पटक कर वही पीट देंगे और वह वापस चीन भाग जायेगा। का काका कोरोना रिश्तेदार है क्या ? या फिर कुछ ऐसा होगा कि वायरस आकर सामने खड़ा होकर कहेगा, हे मित्र मैं कोरोना हु, अगर बुरा न माने तो मैं आपको पकड़ लू ?

थोडा आगे बढे तो भदऊ चुंगी पर पुलिस अपने पसीने बहा रही दिखाई दी। एक एक वाहन को रोक कर कहा जाना है और कहा से आ रहे है, जाने का प्रयोजन क्या है पूछ रही थी। जवाब से संतुष्टि नहीं मिलने से उनको वापस भेज दिया जा रहा था। वही पड़ाव चौराहे के सुजाबाद चौकी के सामने जिला बदलने वाले चेकपोस्ट पर सहयोगी पुलिस कर्मियों के साथ चौकी इंचार्ज सुजाबाद आशीष पसीने बहा रहे है। मगर तमाशबीनो की कमी नही थी। मौके पर खुद क्षेत्राधिकारी प्रदीप सिंह चंदेल सडको पर उतर का खड़े थे। पुलिस सख्त थी मगर लोग मानने को तैयार नही थे। बस सबको काम तो आज ही था। महीनो पुराने दवा के पर्चे लेकर दवा तलाशने का बहाना ही सही। एक सज्जन तो सजी सवरी अपनी पत्नी के साथ मंडलीय चिकित्सालय के ओपीडी से दवा लेने शाम को 5 बजे जाना चाहते थे। जिनको वापस भेज दिया गया था।

मछोदरी चौराहे पर भी फ़ोर्स अपना कर्त्तव्य निभा रही थी। खुद के चेहरे पर सस्ता मास्क लगा कर भी डयूटी कर रहे पुलिस वालो की मेहनत दिखाई दे रही थी। इस गुलाबी मौसम में भी उनके चहरे पर पसीने की एक लकीर मेहनत की नजीर दिखा रही थी। मैदागिन पर भारी संख्या में पुलिस थी सन्नाटे को चीरने की कोशिश करने वाले हर वाहन को वापस भेज दिया जा रहा था। पिपलानी कटरा पर भी मुस्तैद चेतगंज पुलिस हर एक आने जाने वाले व्यक्ति से गहन पूछताछ कर रही थी। एक सज्जन तो वह अपनी स्कूटी से वह दवा लेने को निकले थी जो उनके सदियों पुराने दवा के पर्चे पर लिखी भी नही थी। कबीरचौरा की सभी दवा की दुकाने तक बंद थी।

लहुराबीर से लेकर आन्ध्रापुल तक सियापा था और पुलिस मुस्तैद खडी थी। वही नदेसर-कचहरी से लेकर भोजुबीर तक था। कल से शुरू हो रहे नवरात्र के पर्व हेतु खरीदारी की जल्दी भी हमको बहुत थी और युपी कालेज वाले चौराहे पर स्थित एक दुकानदार खुद की दूकान के सामने पर्दा टांग ऊँचा मुनाफा कमाने की कोशिश कर रहा था और हम भी भीड़ लगा कर खड़े थे। शिवपुर बाईपास पर चौकी इंचार्ज प्रेम नारायण सिंह अपने दल बल के साथ दिखाई दिए और हर एक वाहन की सघन पूछताछ कर रहे थे। वहा से थोडा आगे पेट्रोल पम्प के बाद से फल वाले भी बड़े मुनाफे के चक्कर में 150 रुपया किलो सेब और 60 रुपया दर्जन केला बेच रहा था।

हम भीड़ लगा कर इस महंगे दामो में भी फल खरीद रहे थे क्योकि हमको या तो कोरोना से डर नही था या फिर डरना नहीं चाहते थे। बगल का सब्जी वाला ठेला तो बढ़िया मुनाफे के साथ काम कर रहा था। 40 रुपया किलो आलू का दाम सुनकर भी हमारी भीड़ मौके पर इकठ्ठा हो तो शायद ये टाइम पास ही कहा जायेगा। बहरहाल इसके आस पास के गलियों का तक पुलिस नहीं पहुच पाती है और पिकनिक की तरह ही वक्त ही बिता रहे है।

दूसरी तरफ लॉकडाउन के बीच पुलिस भी एक्शन में है। किसी को वाराणसी एंट्री नहीं दी जा रही है। मंगलवार सुबह गोपीगंज से आ रही बारात को जंसा पुलिस ने हाथी बाजार से वापस कर दिया। बारातियों की संख्या लगभग 100 थी। अब आप सोचे कि हम इतने बेफिक्र है कि इतने बाराती लेकर हम बारात करने निकल पड़े है। इसके अलावा वाराणसी के ज्यादातर इलाकों में सन्नाटा पसरा नजर आ रहा है। हमेशा गुलज़ार रहने वाली दालमंडी में सन्नाटा पसरा रहा। लल्लापुरा-औरंगाबाद के गलियों में लोग नुक्कड़ नुक्कड़ बैठे दिखाई दिए मगर पुलिस गश्त के दौरान भागते भी दिखे। इस दौरान एहतियात के तौर पर लोगों को होम क्वारंटीन करने के साथ ही कोरोना से बचाव के प्रति जागरूक किया जा रहा है।

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