बिना किसी भेदभाव के हर ज़रूरत मंद के घर राशन पंहुचा रहे जमीयत उलमा-ए- हिंद शहर लोनी के कार्यकर्ता
सरताज खान
गाजियाबाद लोनी। जमीयत उलमा ए हिंद 100 वर्षो से एक शुद्ध उपचारात्मक सामाजिक और परोपकारी संस्था है यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है। इसका उद्देश्य जहां मुल्क की तामीर और तरक्की के लिए बहुत सारे काम किए जाते हैं वहीं आपदा व आपातकालीन परिस्थितियों में इंसानियत की सहायता करना भी है। संयुक्त राष्ट्र में तमाम धर्मो के नजदीक आपसी भाई चारा, और प्यार मोहब्बत जमीयत उलेमा -ए- हिंद का एक सिद्धांत है। क्योंकि इस देश की अखंडता सर्व मजहब के गठबंधन में रहस्य निहित है।
इस देश में हजारों वर्षों से हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई के बीच भाईचारा कायम है भले ही विश्वास आदर्श अलग-अलग हैं किन्तु एक ही मातृभूमि की मिट्टी से उठे हैं। कोई बहारी नहीं सभी के पूर्वज इसी मातृभूमि से थे और यही उनका अंतिम संस्कार हुआ है। जिसे हम सब को मिलकर बाकी रखने की जरूरत है। और कोरोना वायरस जैसी जानलेवा बीमारी जो कि पूरी दुनिया और हमारे देश में भी तेजी से फैलती जा रही है जिसको समाप्त करने की लड़ाई पूरे देश वासियों को मिल कर लड़नी होगी। ऐसी कठनाई और महामारी के समय में धर्म से ऊपर उठ कर अनाथों को गले लगाने, बुढ़े माता-पिता और विधवाओं की समस्याओं को समझने, उन तक पहुंच कर उनकी हर तरह की सहायता करने और उनके लिए सहारा बन कर खडा होना हम सब की मिल्ली, सामाजिक और मजहबी जिम्मेदारी है।
इसलिए जमीयत उलेमा ए हिन्द शहर लोनी के जिम्मेदरान व कार कुनान बिना भेदभाव जरूरत मंन्दो की मदद करने के लिए सदैव तेयार रहते हैं विशेष रूप से उन क्षेत्रों में नजर रखे हुए है जहां पर मजदूर किस्म के लोग रहते है और प्रति दिन मजदूरी कर के अपना गुज़र बसर करते हैं लेकिन लाकडाउन की वजह से मजदुरी पूरी तरह से बन्द होने के कारण परेशानी की जिन्दगी गुजार रहे है। ऐसे जरूरत मन्द लोगो की मदद अब्दुल अजीज कुरैशी (सदर)
मौलाना कारी फैजुद्दीन आरिफ (जनरल सेक्रेटरी) के नेतृत्व में 31 दिनो से लगातार पूरी लोनी में संस्था के कार्यकर्ताओं द्वारा राशन जिसमें आटा, चावल, दाल, , नमक, मिर्च मसाला, वितरित किया जा रहा है और अब तक हजारों घरों में पहुंचाया जा चुका है। जमीयत उलेमा ए हिन्द के इस कार्य में लोनी के सभी कार्यकर्त पूर्ण रूप से – कारी मोहम्मद मसरूर, कारी अब्दुल जब्बार, कारी मोहम्मद फहीम, कारी रूमान, मौलाना मोहम्मद आमिर क़ासमी, मौलाना सय्याद मजाहिरी, मुफ़्ती मोहम्मद फुरकान, मौलाना तमीजुद्दीन कासमी, मुफ्ती मोहम्मद तहसीन, मुफ्ती फहीमुद्दीन रहमानी, मौलाना शेर मोहम्मद, मुफ्ती मोहम्मद रागिब, कारी अब्दुल वाजिद, और कारी रहमतुल्लाह, के नाम उल्लेखनीय है।