विद्यार्थियों में कम हो रहा है इंजीनियरिंग के प्रति आकर्षण
फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी = कभी विद्यार्थियों की पहली पसंद रहने वाले इंजीनियरिंग कोर्स के प्रति विद्यार्थियों का आकर्षण घटने लगा है। अच्छे प्लेसमेंट नहीं और जॉब की कमी ने फिजिक्स केमिस्ट्री और मैथ के विद्यार्थियों को दूसरे क्षेत्रों की तरफ सोचने को विवश कर दिया है। पिछले दिनों घोषित यूपी बोर्ड के परिणाम और आईसीएसई के परिणामों में विद्यार्थियों ने इंजीनियरिंग के बजाय दूसरे क्षेत्रों में रुचि दिखाई इसके बाद यह साफ हो गया है कि अब विद्यार्थियों में इंजीनियरिंग का आकर्षण धीरे धीरे कम हो रहा है।
फिजिक्स केमिस्ट्री और मैथ ग्रुप के विद्यार्थियों में अभी तक इंजीनियरिंग का क्षेत्र पहली पसंद हुआ करता था। इंटर पास करने वाले विद्यार्थी इंटर पास करते ही इंजीनियरिंग की कोचिंग करने के लिए बाहरी शहरों कोटा आदि के लिए चले जाते थे लेकिन अब बच्चों का सपना डॉक्टर बनने का तो है लेकिन इंजीनियरिंग से दूर हट रहे हैं। पिछले दिनों आईसीएसई बोर्ड के परीक्षा परिणामों के बाद पीसीएम ग्रुप के कई विद्यार्थियों से बातचीत के दौरान विद्यार्थियों ने इंजीनियरिंग क्षेत्र में जाने में रुचि नहीं दिखाई। इसके बजाय विद्यार्थियों ने प्रशासनिक सेवाओं और शिक्षण जैसे क्षेत्रों में जाने की इच्छा व्यक्त की।
इस संबंध में शहर के वाईडी कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर डीएन मालपानी ने बताया इसके पीछे मुख्य कारण है कितने इंजीनियरिंग कॉलेज खुल गए हैं। वे गुणवत्ता परक शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं यहां डिमांड एंड सप्लाई का रूल्स लागू होता है। एक तरफ बड़ी मात्रा में इंजीनियर बन कर निकल रहे हैं दूसरी तरफ इतने को जाब नहीं मिल पा रही है। बेरोजगारी का फायदा उठाकर कंपनियां उन्हें सस्ते में रोजगार दे रही हैं। कुछ अच्छे कॉलेज छोड़ दे तो बाकी जगहों के इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को पंद्रह या बीस हजार रुपए महीने की जॉब मिल पाती है। इसी का नतीजा है कि नए विद्यार्थी इंजीनियरिंग के बजाए बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी करना पसंद कर रहे। इंजीनियरिंग संस्थानों के संचालकों को किस पर सोचना पड़ेगा कि वह किस तरह की शिक्षा दे रहे हैं यही स्थिति रही अच्छी इंजीनियर मिलने में दिक्कत होगी।