एक मुलाकात सीबीएसई (2020) 10th परीक्षा में 98.2% अंक लाने वाली मेधावी छात्रा रशा मुमताज़ से

तारिक आज़मी

वाराणसी। सीबीएसई बोर्ड के दसवी का परीक्षा परिणाम आ चूका है। इस बार मेरिट लिस्ट नही बनी। फिर भी बोर्ड में सबसे अधिक स्कोर करने वाले छात्र का अंक 99.8% रहा है। 18 लाख के करीब छात्र छात्राओं ने इस परीक्षा में हिस्सा लिया। शहर बनारस में मेधावी छात्र-छात्राओं की भी कमी नही रही। इनमे से एक है रशा मुमताज़। सनबीम ग्रुप की छात्रा रशा मुमताज़ ने कुल 98.2% अंक इस परीक्षा में लाकर अपने विद्यालय, अपने माता पिता और अपने शिक्षको का नाम ऊँचा किया है।

रशा मुमताज़ से मुलाक़ात कर खुद के चंद सवालातो की फेहरिश्त लेकर हम उनके घर पहुच गए। उनके पिता डॉ मुमताज़ ने आकर दरवाज़े पर हमारा स्वागत किया। अन्दर जाने के बाद एक बेहद सलीके के साथ मासूम बच्ची आई। इस बच्ची का नाम रशा मुमताज़ है। डॉ मुमताज़ की साहबजादी ने बेहद सादगी और सलीकत के साथ हमसे चाय, काफी और ठन्डे के लिए पूछा। हमारे मना करने के बाद बेहद मासूमियत से उसने कहा अंकल पानी तो लेंगे न। हम न नही कर सके। इस तरीकत में इस मासूम बच्ची की तरबियत नज़र आई।

हमने सवालों को पूछना शुरू किया। बेहद अदब के साथ रशा मुमताज़ ने हमसे बताया कि बेशक इस कामयाबी के पीछे हमारे टीचर्स ने अहम भूमिका निभाई है। उनकी मेहनत के वजह से इस कामयाबी के मुकाम तक पंहुची, बेहद सुकून का लम्हा हो सकता है ये मगर, मंजिल अभी और भी है। उन्होंने अपने टीचर्स के अलावा इस कामयाबी के लिए अपने वालदैन (माँ बाप) की दुआओं और ख़ास तौर पर माँ की मेहनत तथा वालिद की मेहनत का ज़िक्र किया। उन्होंने बताया किस तरह हमारी पढाई के लिए हमारी वाल्दा (माँ) घर में ख़ामोशी का माहोल बनाती है ताकि हमारी स्टडी डिस्टर्ब न हो सके। कैसे वालिद (पिता) दिनों रात की मेहनत के बाद भी मुझे वक्त देकर हमारे पढाई में ज़रूरी टिप्स दिया करते है। रशा ने बताया कि माँ एक अहसास ही काफी होता है। माँ बाप मेरी इस कामयाबी के पीछे मेरी कुवत है।

मुस्तकबिल (भविष्य) के बारे में हमारे सवाल के जवाब में रशा ने बताया कि अभी मंजिल काफी दूर है। लॉन्ग टर्म गोल को अचीव करना अभी काफी दूर है तो उसका तस्किरा करने का कोई खास मकसद नही होगा। हां बेशक उस लॉन्ग टर्म गोल को पाने की खातिर जो शार्ट टर्म गोल है उनमे अगले बोर्ड परीक्षाओं में बोर्ड टॉप करने की ख्वाहिश है। इसके लिए तैयारी अभी से जारी है। कोरोना महामारी के वजह से रुके वक्त का सही इस्तेमाल स्टडी में किया जा रहा है। पुरे वक्त का इस्तेमाल अच्छी किताबो को पढने के अलावा खुद के कोर्स से सम्बंधित सामग्री को पढने में गुज़र रहा है।

हमारे सवाल कि इस कामयाबी के लिए कितने घंटो की पढाई में वक्त गुज़ारा के जवाब में रशा ने बताया कि सुबह के वक्त स्कूल चलने की स्थिति में दो घंटे और शाम को लभग 4 घंटे की स्टडी करती थी। ये सिलसिला बदस्तूर जारी है, बल्कि अब और भी वक्त पढाई में गुज़रता है। उन्होंने बताया कि दिन भर की थकान भरे काम करने के बावजूद पापा हास्पिटल से आकर कुछ वक्त मेरे साथ ज़रूर गुजारते है। उनके द्वारा हमारे अध्यन से सम्बंधित जानकारी भी मिलती रहती है।

हमने रशा को उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाये देते हुवे बिदा लिया। तालीम के साथ अच्छी तरबियत का एक जीता जागता उदहारण इस मासूम बच्ची के रूप में हमको नज़र आया। बेशक ये तरबियत वालदैन और टीचर्स की ही देन है।

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