मऊ में खेल के सामानों का मेला और तारिक़ आज़मी की मोरबतियाँ – खेल के नाम पर कही कोई बड़ा गेम तो नही, क्या ऐसे तैयार होंगे जिले में सचिन तेंदुलकर और पीटी उषा
घटिया क्वालिटी के साथ दुगने से अधिक दामो पर खेल कूद के सामानों को खरीदने हेतु शिक्षको पर अनैतिक दबाव बनाने वाले खंड शिक्षा अधिकारी अब ऐसे किसी कार्यक्रम में अपनी सहभागिता से मुह मोड़ रहे है। खंड शिक्षा अधिकारी का फोन उठाना और ट्रंप से बात करना एक बराबर समझ आता है। सब मिला जुला कर खेल के नाम पर चाहिती फर्मो को बड़े मुनाफे कमाने का खेल हो रहा है। हलकान परेशान शिक्षक अलग परेशान है कि साहब को सचिन तेंदुलकर मऊ के रतनपुरा से चाहिये जिसके क्रिकेट की प्रैक्टिस रद्दी क्वालिटी की टेनिस बाल से होगी। वही पीवी संधू जैसी बैडमिंटन खिलाड़ी भी चाहिए जिसकी शुरूआती परवरिश एक रद्दी क्वालिटी के रैकेट और शटल काक से हो। क्रिकेट के तीन स्टम्प तो ऐसे है कि एक ओवर क्रिकेट बाल का न झेल पाए और कई हिस्सों में तकसीम होकर पूरी टीम को एक ही ओवर में दो बार आल आउट का इशारा कर डाले। मगर खण्ड शिक्षा अधिकारी साहब को तमन्ना है कि ये किट दस हज़ार में खरीद कर शिक्षक अपने यहाँ से पीटी उषा, मिल्खा सिंह, सचिन तेंदुलकर, ओलंपियन शहीद जैसे खिलाडी बनाये।
संजय ठाकुर के इनपुट के साथ तारिक आज़मी
मऊ/ कल दिनांक 27 जुलाई 2020 सोमवार को रतनपुरा ब्लाक के बीआरसी गाढ़ा पर सुबह से ही बच्चों के खेल कूद का सामान प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक तथा कम्पोजिट विद्यालय के अध्यापकों को कथित रूप से बेसिक शिक्षा अधिकारी का भय दिखाकर नगद पैसा लेकर एक बैग में खेल सामग्री दी जा रही थी। वहीं कुछ शिक्षक ना चाहकर भी मजबूरी में इसको ले रहे थे। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी त्रिपाठी एवं सहायक वित्त व लेखाधिकारी मनोज तिवारी के निर्देश पर प्राथमिक के अध्यापकों को खेल की सामग्री 5000 में उच्च प्राथमिक अध्यापकों को 10000 में और कम अपोजिट के शिक्षकों को 15000 में दी जा रही थी। जिसका न चाहते हुवे भी अध्यापको को लेना ही लेना था। चाहिती फर्मो के साथ बड़े खेल के लिए एक बड़ा गेम ग्राउंड तैयार हो चूका था। वैसे तो बीएसए साहब ने प्रकरण संज्ञान में आते ही उक्त फार्म को डीबार कर दिया है और हमसे फोन पर हुई वार्ता में बताया है कि प्रकरण की पूरी जाँच होगी और दोषियों पर कार्यवाही होगी ताकि नजीर कायम हो।
मगर मौके पर शिक्षक चाहते हुवे भी विरोध नहीं कर पा रहे थे। वैसे भी खंड शिक्षा अधिकारी का विरोध करके उनको अपनी नौकरी गवाना है क्या। साहब बहुत गुस्से वाले और वसूल पसंद है। बस पत्रकारों को कैमरे पर सवालो के जवाब नहीं देते है। कुछ अपने विशेष रूपी पत्रकार रख रखा है जो उनको पहले सवाल और फिर जवाब भी बता देते है और साहब उनका ही जवाब देते है। निष्पक्ष पत्रकारों के सवालों से खुद को कई बार घिरने के बाद खंड शिक्षा अधिकारी ने प्रण कर लिया है कि ये सभी निष्पक्ष पत्रकार कम पढ़े लिखे होते है, और वो सही और सच सवाल पूछ लेते है। इसीलिए उन्होंने प्रण कर रखा है कि केवल वह अपने चाहिते पत्रकारो को जवाब देंगे।
अब खुद सोचे ये कमबख्त निष्पक्ष मीडिया वाले ही तो थे, तभी तो खेल के नाम पर बड़े गेम को बिगाड़ डाला। न खेलेंगे और न खेलने देंगे, पिंडुक में सुसु कर देंगे के तर्ज पर पहुच गए और खेल के नाम पर चल रहे बड़े गेम का ही खुलासा करने लगे। वैसे जिले एक एक बड़े शिक्षक संघ ने भी ऐसे निष्पक्ष पत्रकारों से आग्रह मौके पर बुलवा भी लिया। शिक्षक संघ के आग्रह पर मीडिया ने खेल सामग्री बँटवाने के काम में लगे कर्मचारियों से मेला के बारे में पूछा तो उसने बताया कि मैं मेला या टेण्डर के बारे में कुछ नहीं जानता हूँ, मुझे खंड शिक्षा अधिकारी और मनोज तिवारी ने बुलाया है।
वही प्रकरण में इस भ्रष्टाचार की शिकायत जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक से करते हुए शिक्षक सघ के जिला अध्यक्ष कृष्णानन्द राय ने एफआईआर दर्ज कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग किया है। उन्होंने कहा कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जिले के वरिष्ठ अधिकारियों व मीडिया को गुमराह कर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। कोई मेला नहीं लगा है न ही कोई सात फर्म ही मेले में उपस्थित हुई है। यहां जनपद में कार्यरत एक शिक्षा मित्र अर्जुन सिंह के कहने पर एमटिको कम्पनी से सामान मंगा कर अवैध ढंग से एमटिको कम्पनी का बैनर लगा कर और उस पर अपना नम्बर लिख कर मनमाने कीमत पर सामान नगद धनराशि लेकर बेच रहे हैं।
वही मीडिया कर्मियों ने खुद की आँखों से भी देखा कि जिस किट की कीमत दस हज़ार रुपया बताई जा रही थी। वास्तव में वह किट केवल अधिकतम 5 हज़ार की खुले बाज़ार में उपलब्ध है। गाजीपुर की फर्म द्वारा प्रिन्ट रेट से अधिक की धनराशि लेकर सामान बेचा जा रहा था। वहां पर उपस्थित शिक्षकों से कृष्णान्द राय ने अपील किया कि शासनादेश के क्रम में आप लोग गुणवत्तापूर्ण खेल सामग्री चेक के माध्यम से ही खरीदें, नगद खरीदारी ना करें। किसी अधिकारी के दबाव में आकर जबरदस्ती खराब सामग्री खरीदने की आवश्यकता नहीं है।
बहरहाल, हमसे फोन पर हुई बीएसए से वार्ता में उन्होंने बताया कि प्रकरण का संज्ञान आते ही कर्यदाई संस्था उक्त फर्म को डिबार कर दिया गया है। साथ ही प्रकरण की जाँच करवा कर दोषियों पर कड़ी कार्यवाही होगी जिससे कि एक नजीर कायम हो। किसी को भी कोई विशेष दबाव नही था कि आपको सामान खरीदना ही ख़रीदना है। गुणवत्ता की शिकायत और ऊँचे दामो की शिकायत पर फर्म को डिबार करने की कार्यवाही हुई है।
दूसरी तरफ खंड शिक्षा अधिकारी का फोन अजीबो गरीब स्थिति में था। थोड़ी देर में नेटवर्क आता और घंटी बजती मगर दुसरे बार में नॉन नेटवर्क ज़ोन में बताता। ऐसा लग रहा था जैसे खंड शिक्षा अधिकारी ज्वलंत मुद्दों पर अपनी राय देने को तैयार ही नही है। हमारा किसी शिक्षा मित्र से बात करके उसका वर्जन लिखना पत्रकारिता की तौहीन ही रहेगी क्योकि प्रकरण में भले लोग शिक्षा मित्र का नाम ले रहे हो मगर शिक्षा मित्र कैसे किसी को आदेशित कर सकता है।
बहरहाल, खेल के सामानों के साथ खेल के इस गेम को देख कर ही लगता है कि एक बड़ा घोटाला करने की तैयारी किया गया था। मगर एक बार फिर मीडिया कर्मियों ने मौके पर पहुच कर खेल के इस गेम को ही बिगाड़ दिया। वरना 200 रुपया वाला बैट दो हज़ार में तो बिक ही गया होता। वही रद्दी क्वालिटी की टेनिस बाल को भी तीन गुने दामो में बेच दिया जाता। आखिर समझ में नहीं आता कि आखिर खंड शिक्षा अधिकारी साहब को खेल के सामनो को बिकवाने की इतनी जल्दी क्यों है ? बाज़ार खुला है साहब, बड़ी फर्म खुद का सामान भी बेचेने के लिए ही बैठी है। उनके कोटेशन तो मंगवाये। गाजीपुर की जो फर्म आपको सामान बेच रही है वह खरीदारी बहुत दूर से नही करती है। उस जिले से करती है जहा आपका हफ्ते में एक बार आना होता होगा। आप उसके भी कोटेशन मंगवा लेते फिर मेला क्या साहब पूरा का पूरा नोमाईश लगवा दे। किसी को कौन सा एतराज़ होगा। नगद पैसे देना है साहब, कौन सा आपको सामान खरीद कर दो साल बाद पैसे देना है।
खैर आखरी शब्द कुछ खंड शिक्षा अधिकारी महोदय के लिए होना अति आवश्यक है। मान्यवर, कभी तो नज़र मिलाये। कभी तो हमारे भी कैमरो के सामने आये। थोड़े सवाल हमारे सुने और थोड़े जवाब आप दे जाये। कसम से साहब आपको चाय नाश्ता हम ही करवायेगे। वो जो चंद गिनती ने विशेष पत्रकार आपने अपने आस पास रख रखे है न साहब, उनसे इतर थोडा सवाल हमारे भी सुन जाए। वायदा है साहब, दस मिनट के एक साक्षात्कार में आपको अपना प्रशासक बना लूँगा क्योकि हमको भली भाति मालूम है कि दस मिनट में पूछे गए दस सवालो में से आपके पास 9 के जवाब नही होंगे। तो साहब कभी सेवा का अवसर हमको भी प्रदान करे। हम भी तमन्ना कब से रखे है आपके साक्षात्कार की। कोई बात नही हम दो ढाई हज़ार का तेल अपने वाहन में खर्च करके आपके कार्यालय पर आ जायेगे साहब। बस एक बार सेवा का अवसर तो प्रदान करे हुजुर हमको भी। वो आपके विशेष पत्रकारों की तरह हमको आपसे कुछ नही चाहिए। बस महज़ चंद सवालो के जवाब चाहिये होंगे हुजुर।