वाराणसी में कोरोना से संक्रमित होने वाले पत्रकारों के लिए अलग से अरक्षित हो अस्पताल – एड0 शशांक शेखर
अनुपम राज
वाराणसी। कोरोना महामारी दिन प्रतिदिन अपना पाँव पसरती जा रही है। वाराणसी में कई पत्रकार कोरोना पॉजिटिव आये है। जबकि एक वरिष्ठ पत्रकार की मृत्यु भी हो गई है। इस पाँव पसारती महामारी के खिलाफ खड़े पत्रकारों के लिए जिले में सम्बंधित कोई भी सुविधा नही है। सबकी आवाज़ दुनिया तक पहुचाने वाले पत्रकारों के लिए किसी ने भी आवाज़ नही उठाई है। आज पहली बार किसी ने पत्रकारों के सम्बन्ध में आवाज़ बुलंद किया है। इस सम्बन्ध में एक पत्र लिखकर पत्रकारों के लिए अलग अस्पताल की मांग किया है।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि वाराणसी में काफी तेजी से कोरोना का प्रचार हो रहा है। इस प्रसार में बिना किसी सुविधा के बिना किसी सुरक्षा के लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के प्रहरी हमारे पत्रकार भाई बंधु दिन रात एक करते हुए कोरोना के संदर्भ में व अन्य समाचारों के संदर्भ में दायित्वों का निर्वहन करते हुए कार्य कर रहे हैं। इन परिस्थितियों में उनके कोरोना से संक्रमित हो जाने की संभावना सबसे ज्यादा है। क्योंकि उनको सभी क्षेत्रों में जा कर के वहां से समाचार का संकलन करना है, और सभी को समाचारों से अवगत करना है। बिना पत्रकारों की सुरक्षा के लोकतंत्र के चौथे स्तंभ असुरक्षित बना रहना संभव नहीं है। इस महामारी के समय में अपने पत्रकारिता के दायित्वों का निर्वहन करते हुए कई पत्रकार बंधु कोरोना की महामारी की चपेट में आ गए तथा वर्तमान समय में अपना इलाज करवा रहे हैं जबकि वाराणसी के एक बड़े पत्रकार विजय विनीत बड़ी मुश्किल से कोरोना की महामारी से निजात पाकर अपना जीवन पुनः शुरू कर पाए हैं। कल 6 अगस्त 2020 को वाराणसी के बड़े पत्रकार दैनिक जागरण के राकेश चतुर्वेदी की मृत्यु कोरोना से हो गई।
उन्होंने लिखा है कि उनकी बिटिया कोरोना महामारी की चपेट में आने के कारण जीवन में मृत्यु से संघर्ष कर रही है। महोदय यदि उचित और सही प्रकार से इलाज हुआ होता तो राकेश चतुर्वेदी की मृत्यु कोरोना से नहीं हुई होती। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में किस प्रकार से पत्रकारों के लिए किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में अलग से व्यवस्था की गई है, उसी प्रकार से वाराणसी में भी पत्रकारों की कोरोना से संक्रमित होने पर एक अलग व्यवस्था होनी चाहिए। जहां पर उनकी देखभाल वह व्यवस्था के लिए उचित मेडिकल सिस्टम मौजूद होना चाहिए। कोरोना की बढ़ती महामारी में किसी की भी मृत्यु होना दुखद है परंतु पत्रकारों की मृत्यु होने पर उनको न तो प्रेस की तरफ से और न ही सरकार की तरफ से कोई भी सरकारी मदद मिलती है।
उन्होंने लिखा है कि यदि इस कोरोना काल में कोई पत्रकार बीमार होता है, अथवा उसकी मृत्यु होती है, तो यह उसके परिवार के लिए अतुलनीय क्षति होगी। उसका परिवार बिना उस के अपने पालन की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं हो सकेगा। अतः मेरा आपसे निवेदन है कि पत्रकार बंधुओं की मृत्यु पर कम से कम ₹20 लाख की आर्थिक मदद पत्रकार बंधु के परिजन को की जाए। ताकि पत्रकार बंधु निर्भीक होकर सरकार की मदद करते हुए इस कोरोना काल में जनता के हित के लिए अपने करो ना वार ईयर के दायित्व का निर्वहन करते रहे और यदि वे इस महामारी की चपेट में आते हैं तो उनको या विश्वास हो कि उत्तर प्रदेश की सरकार उनका उचित दवा इलाज कराएगी और यदि दुर्भाग्य से उनके साथ कोई घटना घटित हो जाती है तो उनके पीछे सरकार उनके परिवार को पर्याप्त मुआवजा देगी। वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित चिकित्सा विभाग में विभागीय डॉक्टरों द्वारा मरीजों के साथ काफी लापरवाही की जा रही है जिसकी जांच किसी बड़ी सक्षम जांच एजेंसी से करा कर कोरोना संक्रमित संक्रमित मरीजों के वार्ड में सीसीटीवी लगाने का तथा उसकी मॉनिटरिंग बाहर से करने की व्यवस्था तत्काल करने की कृपा करें। जिससे कि मरीजों की स्थिति पर उनके परिजन तथा प्रशासनिक अधिकारी बाहर से ही नजर रख सकें। क्योंकि वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित चिकित्सा विभाग में लापरवाही व अनियमितता की शिकायतें लगातार आ रही है।