साहेब कलुवा बताए रहा था कि आपके तहसील रसड़ा के लेखपाल पोखरी कब्ज़ा कर लिए है, फोटुवा भी मिला है साहेब,
★लेखपाल द्वारा पोखरी पर अवैध कब्ज़ा।
★नहीं हो रहा जिले में उच्य न्यायालय के अदेशों का पालन।
★लेखपाल पर क्या होगी कभी विभागीय कार्यवाही।
★जब अवैध कब्ज़ा स्वयं क्षेत्रिय लेखपाल का है तो फिर न्यायसंगत कार्यवाही कैसे होगी प्रश्न का विषय है।
【तारिक़ आज़मी】
रसड़ा (बलिया)। अगर हाथ में सत्ता हो और कलम चलाने का फूल पावर हो तो कछु भी किया जा सकता है साहेब। जब हमसे ई बतिया कलुवा कहिस ता हमहू कहा होइ बखत साहेब कि नाही अइसन कैसे हो जाइ हो, नियमो कौनो मायने रखेला कि नाही। मगर साहेब जब उई कलुवा हमको दिखाया तब हमार समझ आई गया साहेब कि आखिर चक्कर का है। कलुवा हमसे कहिस कि एक गो लेखपाल साहेब पोखरी पर कब्ज़ा किहिन है। हमहू देखे पहुच गए साहेब। देखे के बाद साहेब मामला जइसन संज्ञान आया ता समझ आया कलुवा काहे अइसन कहिस रहा।
खैर साहेब ये भले एक फुटपथिया अंदाज़-ए-बयान हो मगर हकीकत की ज़मीन पर बात कुछ यु समझ आती है इस प्रकरण को देख कर कि राजस्व विभाग क्या कर सकता है ये कोई अंदाजा नही लगा सकता।
【क्या दिखा पूरा मामला】
बलिया जनपद के तहसील रसड़ा के अंतर्गत ग्राम पंचायत मंदा के नसरत पुर में एक पोखरी श्रेणी-5(1)अकृषक भूमि 393, क्षेत्रफल 06640 हेक्टेअर भूमि पर क्षेत्रीय लेखपाल हरीन्द्र पाण्डेय जो की कानूनगो का भी कार्य भार संभाल रहे है के द्वारा पोखरी पर अवैध कब्जा किया गया है। जिसके सन्दर्भ में मा0 उच्य न्यायालय ने 3 मई 2016 को निर्णय कर 4 मई 2016 में जिलाधिकारी को त्वरित कार्यवाही हेतु भेज दिया। जिसे संज्ञान में लेते हुए जिलाधिकारी बलिया ने क्षेत्रिय SDM को 6 मई 2016 को आदेश पारित कर दिया। लेकिन अभी तक इस मामले में कोई कार्यवाई नहीं की गयी। जब हमने SDM रसड़ा से इस पर प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने कहाकि इस मामले को मैं नहीं तहसीलदार देख रहे है वही तहसीलदार का कहना है की धारा 67 के अंतर्गत मामले को दर्ज कर लिया गया है और उच्य न्यायालय के आदेश के 90 दिन बाद अतिक्रमण को हटाया जाएगा वैसे क़ानूनी क्रिया प्रक्रिया चल रही है जल्द ही मामले का निपटारा कानूनन तौर पर कर दिया जाएगा।
वही ग्रामीणों के अनुसार पोखरी कई वर्षो से है। लेखपाल द्वारा पोखरी को दो भागो में बाट रास्ता बनवा दिया गया है।सूत्रो के मुताबिक़ लेखपाल के साथ साथ उस पोखरी पर और भी लोगो का अवैध कब्ज़ा है।
अब मुद्दा यह है कि अवैध कब्जे को हटाने का कार्य क्षेत्रिय लेखपाल का है, जब क्षेत्रिय लेखपाल खुद कब्ज़ा किये है तो वो खुद के खिलाफ न्यायसंगत कार्यवाही करेगे यह गले के नीचे उतरने वाली बात नहीं है। स्थिति परिस्थिति को देख कलमकार की कलम चली और एक शेर निकल पड़ा कलम से
“अपने कत्ल के इन्साफ की उम्मीद करू किससे,
यहाँ तो हाकिम भी वही है जो है कातिल मेरे”
साहेब सच थोडा कड़वा होता है, अगर किसी आम गरीब ने कब्ज़ा किया होता तो यही लेखपाल साहेब अब तक कब्ज़ा हटा कर उसके खिलाफ मुकदमा तक दर्ज करवा देते। अब देखने यह होगा कि वर्त्तमान प्रकरण में मुख्य अवैध कब्ज़ा खुद लेखपाल साहेब का है। उस पर से लेखपाल साहेब पुराने भी है इसके अतिरिक्त वर्त्तमान में क्षेत्रिय राजस्व निरीक्षक का पदभार भी उनके पास है। अब देखने लायक बात यह होगी कि विभाग अपने लेखपाल पर क्या कार्यवाही करता है। साहेब हम तो केवल कलमकार है। इस सिस्टम के बहुत छोटे से हिस्से। हमारा काम है लिखना केवल तो हम अभी भी लिख रहे है और तब भी लिखेगे।