“मुर्री बंद” का दूसरा दिन – बुनकर बिरादरान ने किया विरोध प्रदर्शन, थम गई है लूम और करघा की रफ़्तार

मो0 सलीम/ अरशद रज़ा संग फुल मुहम्मद लड्डू

वाराणसी। बुनकरों को मिलने वाली फ़्लैट रेट की बिजली की सुविधा को उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा बंद किये जाने के विरोध में बुनकर बिरादरान का “मुर्री बंद” विरोध प्रदर्शन का आज दूसरा दिन विरोध प्रदर्शनों का दिन रहा। बताते चले कि कल से “मुर्री बंद” शब्द का प्रयोग हड़ताल के रूप में होता है। बुनकर समाज की हड़ताल को “मुर्री बंद” कहा जाता है। शायद इतिहास में पहली बार पुरे प्रदेश में एक साथ “मुर्री बंद” हुई है। इसका असर प्रदेश में देखने को मिल रहा है। जहा पॉवर लूम से लेकर हैण्ड लूम तक सभी बंद पड़े है और बुनकर बिरादरान हड़ताल पर है।

इस विरोध को कई राजनैतिक दलों का भी समर्थन मिल रहा है। गौरतलब हो कि बिनकारी से जुड़े वस्त्र उद्योग के लिए प्रदेश सरकार द्वारा बुनकरों को पॉवर लूम हेतु फ़्लैट रेट में बिजली दिया जाता था। जिस सुविधा को लॉक डाउन के दरमियान खत्म कर दिया गया है। शुरू में बुनकर समाज में सत्तारूढ़ दल के नेताओं से संपर्क कर अपनी समस्याओं से अवगत करवाया था। मंदी के साथ लॉक डाउन की मार के बाद साडी का कारोबार पहले से ही ठप पड़ा हुआ था। काम न होने से परेशान बुनकरों के लिए फ़्लैट रेट में बिजली न मिलने से और भी दोहरी मार पड़ी। जब सत्तारूढ़ दल के नेताओं से की गई मांग नही पूरी हुई तो मामले में विपक्ष ने भी संज्ञान लिए।

बताते चले कि विधान सभा सत्र में यह मामला सदन में भी उठा और जमकर विपक्ष ने हंगामा किया था। इस दरमियान विपक्ष की मांग थी कि फ्लैट रेट से बिजली बुनकरों को दिया जाए। सदन में उठे मुद्दे के बाद भी जब बुनकरों की मांग नहीं पूरी हुई तो बुनकरों ने “मुर्री बंद” का एलान किया। यह पहला मौका है जब बुनकर बिरादरान की सभी तंजीम एक साथ इस बंद का समर्थन कर रही है। वही राजनैतिक दलों का भी समर्थन इस बंद को हासिल है। इस बंद के तहत बुनकरों ने एलान किया है कि यह एक अनिश्चित कालीन “मुर्री बंद” है। 15 सितम्बर तक अगर मांग नही पूरी हुई तो सभी बुनकर सामूहिक रूप से खुद का बिजली कनेक्शन कटवा लेंगे।

बुनकरों को पड़ी है दोहरी मार, मांगे होनी चाहिये पूरी – मोहम्मद शाहनवाज़ (शानू)

बनारस में मुख्य व्यवसाय साड़ी का कारोबार ही है। सभी कारोबार इस व्यवसाय से कही न कही से जुडा हुआ है। कम्पटीशन के इस दौर में बुनकर पहले से ही मंदी एक शिकार थे। उसपर फ्लैट रेट की बिजली सुविधा खत्म होना उनपर दोहरी मार है। ये वक्तव्य दालमंडी व्यापार मंडल के महामंत्री मोहम्मद शाहनवाज़ (शानू) ने हमसे बात करते हुवे कहा। उन्होंने कहा कि फ्लैट रेट में बिजली की सुविधा से बुनकर अपनी दाल रोटी का इंतज़ाम खुद की मेहनत से कर लेते थे। अचानक ये सुविधा खत्म कर देने से उनको दोहरी मार पड़ी है। सरकार को अपने फैसले पर विचार करना चाहिये।

न्यायोचित है बुनकरों की मांग – सैयद इरशाद

मशहूर समाज सेवक और दालमंडी व्यापार मंडल के पदाधिकारी सैयद इरशाद अहमद ने हमसे इस सम्बन्ध में बात करते हुवे कहा कि बुनकर समाज को केवल सरकारी सुविधा के तौर पर फ़्लैट रेट से बिजली की सुविधा ही उपलब्ध थी। इस सुविधा के कारण बुनकर समाज अपना कारोबार ठीक से कर रहा था। समाज का एक बड़ा हिस्सा इस कारोबार से जुडा हुआ है। किसी एक संप्रदाय विशेष का ये कारोबार नही है। गंगा जमुनी तहजीब को इसी व्यवसाय ने तानी बाने के रिश्ते से ज़मीन पर उतारा है। सरकार के द्वारा इस सुविधा को खत्म करना इस व्यवसाय को एक बड़ा धक्का देगा। हम सरकार से मांग करते है कि बुनकर समाज के हितो की रक्षा हेतु फ़्लैट रेट में बिजली सुविधा बरक़रार रखी जाए।

जायज़ है बुनकरों की मांग – पार्षद मुहम्मद सलीम

कांगेस नेता और पार्षद मुहम्मद सलीम ने हमसे बात करते हुवे कहा है कि बुनकर कारोबार नही बल्कि एक कला है। एक कुटीर उद्योग है बिनकारी। सरकार इस कुटीर उद्योग को कोई अन्य सुविधा उपलब्ध नही करवाती है। केवल एक सुविधा फ्लैट रेट में बिजली की थी जो सरकार ने छीन लिया है। इस कारोबार से जुड़े पदेश में करोडो परिवार का घर चलता है। अब इस कारोबार से ये सुविधा भी छिनी जा रही है। क्या सरकार गरीबो के बजाये केवल अमीरों का ही उत्थान चाहती है। ऐसे तो बुनकर जो पहले से ही भुखमरी के कगार पर है वो और भी आर्थिक गर्त में चले जायेगे। बुनकरों की मांग जायज़ है और सरकार को जल्द से जल्द उनकी मांग पूरी करनी चाहिये।

मांग नही पूरी हुई तो एक दिवसीय धरना होगा अनिश्चित कालीन – पार्षद रमजान अली

कोरोना महामारी को देखते हुवे सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुवे बुनकर समाज ने आज चौकाघाट (बड़ी बाज़ार) स्थित एक सिनेमा हाल के पास एक दिवसीय धरना पार्षद रमजान अली के नेतृत्व में दिया गया। दोपहर 12 बजे से शुरू हुवे इस धरने के कार्यक्रम में मुख्य रूप से पार्षद रमज़ान अली, पार्षद अफज़ाल अंसारी, हाजी जैनुल आबदीन उर्फ सुख्खू, अकरम अंसारी, अनीस अंसारी, ज़ीशान अंसारी, अजीत गुप्ता, इश्तेयाक अली, इरशाद अली, एकराम खां  आरिफ जमाल, आदि लोग मौजूद थे।

पार्षद रमजान अली ने धरने के दौरान बताया कि बुनकरों ने सिर्फ अपने हकूक मांगे है। हमारे फ्लैट रेट की बिजली सुविधा हमको वापस किया जाए। ये धरना वैसे तो एक दिवसीय है मगर अगर हमारी मांग नही पूरी हुई तो हम इस धरने को अनिश्चित कालीन धरने में तब्दील कर देंगे। उन्होंने कहा कि बुनकरों एक साथ प्रदेश सरकार अन्याय कर रही है। बुनकर समाज पहले से ही आर्थिक रूप से कमज़ोर है, उस पर विगत 16 वर्षो यानी 2006 से चल रहे फ्लैट रेट बिजली की सुविधा को भी खत्म करके उनको यूनिट दर से बिजली का बिल भेज कर इस कारोबार को खत्म करना चाहती है।

रमजान अली ने कहा कि बुनकर समाज को केवल ये एक सुविधा सरकार के तरफ से मिली हुई है। मगर बुनकर समाज को दिली इस एक सुविधा को खत्म करके सरकार ने बुनकर बिरादरी पर अत्याचार किया है। हम अपनी मांग पर अडिग है और खुद के लिए फ्लैट रेट में बिजली चाहते है। आज का कार्यक्रम केवल सरकार के कानो तक बुनकर बिरादरी की बदहाली की कहानी पहुचाने के लिए है। अगर सरकार हम लोगों की मांग नही मानती है तो यह धरना अनिश्चित काल कर दिया जायेगा, तथा दिनांक-15/09/2020 को बुनकर अपने बिजली कनेक्शन को सामुहिक रुप से कटवाने का कार्य करेगा।

लोहता में सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुवे जुलूस निकाल कर हुआ विरोध प्रदर्शन

बिजली सब्सिडी समाप्त करने के विरोध में पूरे प्रदेश में लूम बन्द है। कई तंजीमो में तकसीम बनारस की बुनकर बिरादरान के सभी तंजीमो ने पहली बार एक साथ इस मुर्री बंद का समर्थन किया है। इस दौरान आज सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुवे लोहता क्षेत्र से एक जुलूस की शक्ल में विरोध प्रदर्शन किया गया।

इस विरोध प्रदर्शन में शैलेश सिंह, विनोद मौर्या, ज्वाला सिंह, मनीष काबरा, नाजिम अंसारी, अब्दुल्लाह अंसारी ने प्रमुखता से भाग लिया। इस दरमियान पीएमओ में अपनी मांग के समर्थन में एक पत्रक दिया गया। इस दरमियान यह भी घोषणा किया गया कि जिले में सभी विधायको को इस मांग के समर्थन में पत्रक दिया जायेगा। वही मेल के द्वारा प्रधानमंत्री को भी पत्रक प्रेषित किया गया है। बुनकरों ने कहा कि हम किसी विरोध के हिस्सेदार नही होते है। मगर अब मज़बूरी में अपना अस्तित्व बचाने के लिए ये बंदी का एलान हुआ है।

घरो से भी किया विरोध प्रदर्शन

इस दरमियान लोगो ने घरो में खुद के कमरों में भी एक दिन का उपवास रखा है। इस विरोध को खुद के सोशल मीडिया पर वायरल भी किया गया। प्रदेश सरकार के इस निर्णय को आम बुनकर खुद के लिए काल कह रहा है जहा खुद का अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

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