सपा के शासन में भाजपा विधायक के भाई ने कब्ज़ा की कानपुर में ज़मीन, पीड़ित इंसाफ के लिए भटक रहा है दर बदर

कानपुर। इब्ने हसन ज़ैदी। शहर का यह कोई पहला मामला नहीं है, इसके पहले भी बीजेपी विधायक सतीश महाना के करीबियों पर जमीन कब्जाने के कई आरोप लग चुके हैं। ताजा मामला चकेरी के काजीखेड़ा का है, जहां पर भाजपा विधायक के भाई बिट्टू महाना पर एक जमीन को कब्जा करने का आरोप लगा है। पीड़ित अपनी जमीन वापस पाने के लिए भटक रहा, जबकि बैंक ने भी चकेरी थाने में तहरीर दी है, लेकिन सूत्रो की माने तो विधायक के दबाव में कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
चकरी जाजमऊ निवासी नीरज सिहं ने मुजफ्फरपुर काजीखेड़ा में यूको बैंक द्वारा 2006 में नीलामी की एक एक प्रापर्टी खरीदी थी, जो कि 14 लाख में नीरज ने खरीदी। नीरज ने जहां पर प्रापर्टी खरीदी थी, उसी से कुछ कदम की दूरी पर भाजपा विधायक सतीश महाना के भाई बिट्टू महाना का प्लाट है। नीरज सिहं ने प्लाट का सारा पैसा बैंक में जमा किया तो सेल्स लेटर बैंक मैनेजर द्वारा दिया गया। नीरज सिहं प्लाट पर बाउंड्री कराने पहुंचे तो देखा कि भाजपा विधायक के भाई का बोर्ड लगा हुआ था। पिडित का आरोप है कि कब्जे का विरोध किया तो बिट्टू महाना ने अपनी पहुंच की धमकी देते हुए कहा कि वह जमीन को भूल जाए। पीड़ित शिकायत लेकर भाजपा विधायक सतीश महाना के पास पहुंचा तो उन्होंने भी टरका दिया। नीरज ने बताया कि शिकायत लेकर चकेरी थाने गए और मामला विधायक से जुड़ा होने के कारण टरका दिया गया, जबकि यूको बैंक के मैनेजर ने भी तहरीर दी। फिर भी सुनवाई नहीं हुई। उसके बाद पीड़ित पक्ष डीएम व एसएसपी से भी मिला, लेकिन सिर्फ जांच का लालीपॉप दिया गया। फिर से पीड़ित एसएसपी से मिलने पहुंचा तो वह मिले नहीं और कार्यालय म सीओ कैंट ने जांच कराने  के लिए कहा, लेकिन पीड़ित आज भी भटक रहा है। पीड़ित पर ही उल्टा विधायक के भाई ने रिपोर्ट दर्ज करा दी है। 
बैंक मैनेजर राजकुमार ने भी माना है कि प्लाट नीरज सिहं का है और उस पर गलत तरीके से कब्जा किया गया है। 14 लाख रुपये में प्लाट को नीरज सिहं ने नीलामी के दौरान खरीदा था। गलत तरीके से किए गए कब्जे की शिकायत पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों से की है, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। सिर्फ राजनैतिक दबाव व भाजपा विधायत सतीशा महाना से मामला जुड़ा होने के कारण पुलिस हाथ नहीं डाल रही है।
अब देखना है कि पुलिस राजनैतिक दबाव के चलते कुछ नहीं करेगी या फिर पीड़ित को इंसाफ दिलाने के लिए अपनी ईमानदारी का परिचय देगी। हालांकि यह माना जा रहा है कि मामला भाजपा विधायक सतीश महाना के भाई से जुड़ा होने के कारण पुलिस कुछ नहीं करेगी। कानपुर पुलिस के कार्य प्रणाली पर यह एक बड़ा सवालिया निशान भी साबित हो सकता है।

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