विपक्ष के ज़ोरदार हंगामे के बीच कृषि सुधार से सम्बंधित दो बिल हुवे राज्यसभा में पास, नाराज़ विपक्ष लाया उपसभापति के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव
आफताब फारुकी
नई दिल्ली. विपक्ष के जोरदार हंगामें के बीच कृषि सुधार से संबंधित दो बिल राज्यसभा में ध्वनि मत से पारित हो गए। नाराज़ विपक्षी दल बिल के पारित होने के बाद राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव ले आए। उपसभापति पर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बिल पर चर्चा के दौरान उनके रवैये ने लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाया है। इसके पहले दोपहर में जब बिल पर चर्चा हो रही थी उस दौरान राज्यसभा में बहुत हंगामा हुआ था और सदन को थोड़ी देर के लिए स्थगित करना पड़ा था।
दरअसल सदन की कार्यवाही 1 बजे तक ही होनी थी जिसे उपसभापति ने विधेयक पारित होने तक के लिए बढ़ा दिया। इसी पर विपक्ष के सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। टीएमसी नेता डेरिक ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने जाकर रूल बुक दिखाने की कोशिश की थी। नेता प्रतिपक्ष ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा, “नियमों के मुताबिक सदन का समय आम राय पर ही बढ़ाया जा सकता है न कि सत्ता पक्ष की संख्या के आधार पर।”
विधेयकों के पारित होने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “कांग्रेस ने कभी किसानों को न्याय दिलाने का काम नहीं किया। आज जब राज्यसभा में इस पर चर्चा हो रही थी और कांग्रेस को ये लगा कि यह बहुमत से पारित हो जाएगा तो वो गुंडागर्दी पर उतर आए। कांग्रेस ने सिद्ध कर दिया है कि उन्हें प्रजातंत्र में भरोसा नहीं है। डिप्टी चेयरमैन पर जिस प्रकार से अटैक करने की कोशिश की उसकी जितनी भी निन्दा की जाए वो कम है।”
क्या कहा केंद्र सरकार ने
शाम 7:30 बजे केंद्र सरकार की तरफ़ से छह मंत्रियों ने इसे लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रेल एवं वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी, केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद्र गहलोत मौजूद थे।
केवल भ्रामक तथ्यों के आधार पर कुछ विपक्षी दलों द्वारा दुष्प्रचार करने की कोशिश की जा रही है कि MSP को सरकार ख़त्म करने जा रही है।
मैं स्वयं किसान हूँ। मैं दो टूक शब्दों में किसानों को स्पष्ट बताना चाहता हूँ कि MSP और APMC की व्यवस्था हर क़ीमत पर आगे भी जारी रहेगी।
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 20, 2020
राजनाथ सिंह ने कहा, “राज्यसभा में जो हुआ वो दुखद था, दुर्भाग्यपूर्ण और अत्यधिक शर्मनाक था। डिप्टी चेयरमैन के साथ दुर्वव्यहार हुआ है। हरिवंश जी की मूल्यों के प्रति विश्वास रखने वाली छवि है। सीधे आसन तक जाना रूल बुक को फाड़ना, अन्य कागजात फाड़ना, आसन पर चढ़ना। संसदीय इतिहास में ऐसी घटना न लोकसभा में हुई न राज्यसभा में।” उन्होंने कहा कि उपसभापति से साथ आचरण की जितनी भर्त्सना की जाए कम है, उनकी छवि पर आंच आई है, संसदीय गरिमा को ठेस पहुंची है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष ने जो नोटिस दिया है उस पर फ़ैसला सभापति ही करेंगे। इसके बाद उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि भ्रामक तथ्यों के आधार पर कुछ विपक्षी दल दुष्प्रचार करने के कोशिश कर रहे हैं कि एमएसपी को सरकार ख़त्म करने जा रही है।
विपक्ष का आरोप है कि वोटों के डिविजन की बात नहीं मानी गई। इससे जुड़े एक सवाल पर प्रेस कांफ़्रेंस में मौजूद केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने कहा, “जिस समय उपसभापति ने अलग अलग एमेंडमेंट पर डिविज़न के लिए कहा, उस समय वो सारे लोग वेल में थे, वहां हंगामा ही नहीं कर रहे थे, एक तरह से माइक तोड़ डाले थे, माइक हाथ में लेकर एक तरह से वायलेंट अप्रोच था उनका। बार बार उपसभापति ने कहा कि आप अगर डिविज़न चाहते हैं, तो आपको अपनी सीट पर जाना ही चाहिए, लेकिन कोई नहीं गया। वो तो राज्यसभा के स्टाफ़ की मेज़ पर थे, एक दूसरे के कंधों पर चढ़कर नारेबाज़ी कर रहे थे।”
क्या है कांग्रेस का पक्ष
वही दूसरी तरफ कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अहमद पटेल ने कहा, “राज्यसभा के उप सभापति को लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करनी चाहिए, लेकिन इसके बजाय, उनके रवैये ने आज लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाया है।” कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बिल को किसानों की पीठ में छुरा घोंपने जैसा बताया। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि यह 73 वर्षों में हमारे लोकतंत्र का सबसे काला दिन है। वहीं केसी वेणुगोपाल ने कहा कि केंद्र सरकार राजनीतिक दलों, किसानों और संसद को नहीं सुन रही है। उन्होंने कहा, “जयराम रमेश ने अनुरोध किया कि मंत्री कल उत्तर दे सकते हैं लेकिन उपसभापति ने नहीं माना। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ और राजनाथ सिंह ने उपसभापति के काम की निंदा करने की बजाय उनके कार्यों के सही ठहराया है।”
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला कहा कि ये विधेयक देश के सबसे अंधकारमय क़ानून माने जाएंगे। उन्होंने कहा, “मोदी सरकार ने देश के किसान और उनकी रोजी-रोटी पर आक्रमण किया है। ये देश के सबसे अंधकारमय क़ानून माने जाएंगे। किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलेगा कैसे? साढ़े 15 करोड़ किसानों को एमएसपी देगा कौन? अगर बड़ी कंपनियों ने एमएसपी पर फ़सल नहीं ख़रीदी तो उसकी गारंटी कौन देगा? आपने एमएसपी की अनिवार्यता को क़ानून के अंदर क्यों नहीं लिख दिया?”
वहीं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी ट्विटर के जरिए इसका विरोध करते हुए लिखा, “कृषि मंत्री कहते हैं कि सरकार सुनिश्चित करेगी की किसानों को एमएसपी दी जाएगी। बाज़ार के साथ व्यापार अभी भी हो रहा है। किसानों को मिलने वाला पैसा एमएसपी से बहुत कम होता है। अगर कृषि मंत्री कोई जादू कर एमएसपी सुनिश्चित करवा सकते हैं, तो अभी तक उन्होंने ये किया क्यों नहीं?”
उन्होंने लिखा, “मंत्री जी को ये कैसे पता चलेगा कि किसान ने किस व्यापारी को उपज बेची है। हर दिन देशभर में होने वाले लाख़ों ट्रांसैक्शन के बारे में उन्हें कैसे पता चलेगा? अगर उनके पास डेटा नहीं है तो वो कैसे सुनिश्चित करेंगे कि एमएसपी हर ट्रांजैक्शन में मिला है। क्या मंत्रीजी और सरकार ये सोचती है कि किसान बेवकूफ़ हैं और उनके बेबुनियाद वादों पर भरोसा करेंगें?”