छोटे किसानो विशेषतः महिला किसानो हेतु गन्ना तौल सेंटर में प्राथमिकता होनी चाहिये – डॉ संजय
डॉ मो0 आरिफ
वाराणसी. एम ट्रस्ट एव ऑक्सफैम इंडिया द्वारा लघु एव सीमांत गन्ना के किसानों के मुद्दे पर सामाजिक संगठनों के बैठक का आयोजन किया गया। जिसमे वाई डी कॉलेज के पोलटिकल साइंस के प्रोफेसर डा संजय ने कहा की उत्तर प्रदेश मे गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इससे लगभग 5.56 करोड़ लोगो को आजीविका चलती है। गन्ने मे महिलाओ की भागीदारी सबसे अधिक है। लेकिन इनका कार्य अदृश्य रूप मे देखा जाता है। इनके दायरे सीमित है। वो खेतो मे काम करती है। लेकिन निर्णय नही ले सकती है।
संजय ने कहा की छोटे किसान विशेषकर महिला किसानों के लिए गन्ने तौल सेंटर पर प्राथमिक वरीयता होनी चाहिए। जो छोटे किसान है उनके गन्ने की खरीदारी खेत से ही हो एम ट्रस्ट के निदेशक संजय राय ने कहा की लॉक डाउन के कारण बाल मजदूरी बढ़ गयी है। अधिकतर बच्चे खेतो मे कार्य कर रहे है। जिसके कारण वह अपनी शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रहे है। महिलाओ को काम करने के समय उनके प्राथमिक उपचार की सुविधा हो।
इस अवसर पर राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन से अंजनी दीक्षित ने कहा कि गन्ने का समय से भुगतान न होने के कारण आज गन्ना किसान हाशिये पर आ चुके है। जो तीन कृषि अध्यादेश सरकार लेकर आयी है, वो किसानों को और भी पीछे कर देंगी। समय से भुगतान न होने के कारण से किसान बच्चो की समय से फीस जमा नही कर पा रहा है। किसान आत्म हत्या करने पर मजबूर है। महिला किसान वीटोली देवी ने कहा की अभी हमारे गन्ने मे जो बीमारी लग रही है, जिसके कारण हमारे खेत के खेत सुख रहे है, इसके लिए हमे नयी प्रजाति के गन्ने उपलब्ध होना चाहिए। गन्ने के सेंटर पर महिला किसानों के लिए किसी प्रकार की सुविधा ना होने के कारण से हम महिलाये वहा जाने से डरते है। वह पर महिलाओ के लिए शौचालय की सुविधा होनी चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम संमवन्यक रणविजय ने किया और रणविजय ने कहा की बच्चे का विकास मे एक माँ का अहम रोल होता है, लेकिन जो मजदूर महिला होती है वह अपने बच्चे पर ज्यादा ध्यान नही दे पाती है। जिसके कारण उनके बच्चो का विकास नही हो पता है। इनके बच्चो के लिए अलग से व्यस्था हो। जिससे इन बच्चो का विकास हो सके।