धारा 144 का नाम अथवा विपक्ष पर लगाम, राहुल और प्रियंका के हाथरस दौरे के मद्देनज़र जिले की सीमाये हुई सील, प्रशासन ने दिया कोरोना का हवाला
निलोफर बानो
हाथरस : गैंगरेप और बर्बरता का शिकार हुई 20 साल की पीड़िता की इलाज के दौरान मौत और उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से रात के अंधेरे में परिवार की मौजूदगी के बिना उसका अंतिम संस्कार किए जाने पर पूरे देश में आक्रोश फैला हुआ है। वही इस मुद्दे पर विपक्ष की पूरी भूमिका निभाते हुवे कांग्रेस ने कल से ही देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किये। इस क्रम में उत्तर प्रदेश के लगभग हर शहर में कांग्रेसजन सडको पर निकल कर विरोध जताने का प्रयास करते दिखाई दिए। जबकि कई शहरों में इस विरोध प्रदर्शन पर पुलिस बल का भी प्रयोग हुआ। हाथरस में उग्र हो रही भीड़ पर लाठी चार्ज हुई तो लखनऊ में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को गिरफ्तार किया गया। जमकर लाठियां भी चटकी।
अब इस प्रकरण में आज हाथरस के दौरे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी आज गुरुवार को हाथरस गैंगरेप की पीड़िता के परिवार से मिलने हाथरस जा रहे हैं। वैसे फिलहाल हाथरस में धारा 144 लागू है। प्रशासन ने बताया है कि कोरोनावायरस के चलते यहां पर 1 सितंबर से 31 अक्टूबर के बीच जिले में धारा 144 लागू है। शायद इस मुलाकात को रोकने के लिए ही प्रशासन ने जिले की सीमा को पूरी तरह से सील कर दिया है।
गौरतलब हो कि 14 सितंबर को हाथरस के एक गांव में अकल्पनीय दरिंदगी का शिकार हुई पीड़िता की मंगलवार को दिल्ली के एक अस्पताल में मौत हो गई थी। उसके शरीर में कई फ्रैक्चर आ गए थे, इतनी गंभीर चोटें लगी थीं कि वो पैरालाइज़ हो गई थी। उसके गले में ऐसी चोट आई थी कि उसे सांस लेने में तकलीफ होरही थी। पुलिस ने बताया है कि उसकी जीभ में गहरा कट था, जो गला दबाने के वजह से जीभ बाहर आने के चलते बना होगा।
अपनी बेटी के साथ दरिंदगी और फिर उसे खोने के गम में डूबे परिवार का दुख तब और बढ़ गया जब यूपी पुलिस पीड़िता का शव लेकर उसके गांव पहुंची और जबरदस्ती परिवार को दरकिनार कर उसका अंतिम संस्कार कर दिया। इस घटना को लेकर राज्य की योगी सरकार चारों और से निशाने पर आ गई है।
इसके बाद से प्रदेश में विपक्ष की बड़ी भूमिका निभाते हुवे कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन का ज़िम्मा उठाया हुआ है। वही अन्य दल भी विरोध कर रहे है मगर उनका विरोध सडको पर न होकर सोशल मीडिया तक सीमित है। आज मायावती ने भी प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की मांग किया है। वही कल ही अखिलेश यादव ने इस घटना की कड़ी निंदा किया था। मगर ये सभी विरोध सोशल मीडिया पर हुआ था। वही कुछ शहरों में सपाइयो ने खुद के स्थानीय कार्यक्रम के तहत श्रधांजलि जुलूस का आयोजन किया था।