गाँधी जयंती पर तारिक आज़मी की मोरबतियाँ – मजबूरी नही बल्कि मज़बूती का नाम है गांधी
तारिक आज़मी
पिछले कुछ सालो से अचानक गोडसे के कथित भक्त उभर आये है। ये ऐसे भक्त है जिनको अधिकतर ज्ञान व्हाट्सएप कालेज से मिला हुआ है। वो अमूमन गाँधी के बारे में जानते ही नहीं है। बल्कि फर्जी जानकारी के आधार पर गांधी के हत्यारे गोडसे को अपना इडियल बना बैठे है। हकीकत में उन्हें गोडसे और उसके कृत्यों के सम्बन्ध में भी कुछ नही मालूम है। मगर वह गांधी से सवाल पूछते दिखाई दे जाते है।
हकीकत में गांधी एक शब्द और एक इंसान नही बल्कि एक विचारधारा का नाम है। गोडसे की तीन गोलिया गाँधी को शायद मार दे मगर गाँधी के आदर्शो और उनके विचारों को दुनिया की कोई भी गोली अथवा सभी गोली मिलकर भी नही मार सकती है। उसकी मुख्य वजह है गाँधी की विचारधारा। किसी अच्छी और संस्कारी विचारधारा को खत्म करना मुश्किल ही नही बल्कि नामुमकिन नज़र आता है। आज गोडसे के कतित भक्तो की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है तो ठीक उसके उलट गाढ़ी की विचारधारा और उनके आदर्श को दुनिया मान कर सम्मान से गाँधी के सामने नतमस्तक हो रही है।
गांधी की मजबूती इसी से आप समझ सकते है कि जिस ब्रिटिश साम्राज्य का सूरज कभी अस्त नही होता था उस ब्रिटिश साम्राज्य में सूरज को उन्होंने आखिर अस्त करवा ही डाला। अस्त भी ऐसा कि जिस तेज़ी के साथ ब्रिटिश साम्राज्य फैला था उससे भी अधिक तेज़ी के साथ सिमट कर रह गया। ये गाँधी के आदर्श और उनके विचारधारा का प्रभाव था कि अंग्रेजो के दांत कुछ इस तरीके से खट्टे किये कि भारत से निकल कर वो भाग खड़े हुवे और भारत में उनका सूर्य हमेशा के लिए डूब गया। और अंग्रेजो के दांत खट्टे करने वालो गांधी ने कोई हथियार नही उठाया। जिस असलहे का गाँधी जी ने इस्तेमाल किया उसके आगे अँगरेज़ बौनी थे। बौना भी कुछ इस तर्ज पर कि कही खड़े नहीं हो सकते थे। हर तरफ पूरी दुनिया में सत्य और अहिंसा का बोल बाला कुछ इस तरीके से हुआ कि दुनिया सत्य अहिंसा के साथ आज भी है।
इसके अलावा भी आप ध्यान देकर देखेगे तो गाँधी के आदर्शो में वो शक्ति है कि बड़े से बड़ा ज़ालिम भी खुद को कमज़ोर समझने लगता है। एक युक्ति अक्सर आप सुनते होंगे कि “मज़बूरी का नाम गाँधी”। दरअसल ये शब्द जो मज़बूरी है उसका सही मायाने इस शब्द में लोग तलाश नही पाते है। हकीकत में जो ये शब्द प्रयोग करता है वो गांधी जैसा मजबूत नही है। और इस मजबूती का नाम था गाँधी। हम हकीकत में इतने मजबूत नही है तो हमारे लिए ये नाम शायद एक मज़बूरी हो। मगर गांधी एक मजबूती का नाम था। उनके वक्तव्यों को देखे और दुनिया पर एक नज़र उठा कर देखे तो आपको खुद समझ आएगा।
आज भी पूरी दुनिया में प्रोटेस्ट का मायने गाँधीवाद ही है। 25 जून 1947 जब भारत की गुलामी के चंद दिन ही बचे हुवे थे और भारत के आज़ादी हेतु चंद दिन बचे थे तो गाँधी ने कहा था कि “जब हिंदुस्तान की औरतें और बेटियां रातों को सुरक्षित सड़कों पर निकल सकेंगे तब मैं मान लूंगा कि मेरा भारत आजाद हो गया है! नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब हिंदुस्तान की बेटियों और औरतों को अपने ही रक्षा के लिए शस्त्र उठाना पड़ेगा उन्हें हिंसा के मार्ग पर चलना पड़ेगा और मैं यह देखना नहीं चाहूंगा क्योंकि मैं अहिंसा का पुजारी हूं”! ~
आज महात्मा गांधी का जन्मदिन है! बेशक आप महात्मा गांधी पर सवाल उठा सकते हैं लेकिन एक कड़वी सच्चाई है जो आपको माननी पड़ेगी कि महात्मा गांधी बनना आसान नहीं है! और वर्तमान समय में कोई दूर-दूर तक नहीं है जो महात्मा गांधी बन सके! व्हाट्सएप ज्ञान से हटकर महात्मा गांधी के बारे में जानकारी हासिल करे। उनके कथनों का अध्यन करे। खुद समझे। एक मजबूत शख्सियत का नाम गाँधी है आपको खुद बी खुद अहसास हो जायेगा कि गांधी किस मजबूती का नाम है।