हाथरस काण्ड – एमएलसी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के तथ्यों को एक साथ देखें तो दुष्कर्म की बात स्पष्ट हो जाती है – डॉ हमज़ा
करिश्मा अग्रवाल
अलीगढ. हाथरस प्रकरण में नित नए खुलासे होते जा रहे है। एक तरफ सरकार और स्थानीय प्रशासन के साथ साथ एडीजी ला एंड आर्डर का कहना है कि ऍफ़एसएल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि नही हुई है। वही दूसरी तरफ एएमयू के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की मेडिको लीगल रिपोर्ट में योनि में पेनीट्रेशन होने की बात दर्ज है। हालांकि यह भी कहा गया है कि पेनीट्रेटिव इंटरकोर्स की पुष्टि फोरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) की रिपोर्ट के आने के बाद ही की जा सकती है। मगर यहाँ ध्यान देने की बात एक और भी है कि घटना के 11 दिनों के बाद सैम्पल लिया गया है, जबकि नियमो के अनुसार ये सैम्पल घटना के 96 घंटो के अन्दर लिया लिया जाना चाहिये। मेडिकल जानकारों का कहना है कि 11 दिनों बाद लिए गए सैम्पल्स में सही तथ्य आना असंभव है।
गौरतलब हो कि जेएन मेडिकल कालेज में 22 सितंबर को किए गए मेडिको लीगल परीक्षण की रिपोर्ट में क्रमांक 16 (डिटेल्स ऑफ एक्ट) में योनि में पेनीट्रेशन की बात लिखी गई है। साथ ही यह भी लिखा है कि घटना के वक्त पीड़िता अचेत हो गई थी। क्रमांक 7 में आरोपियों के विवरण में चार लोगों संदीप, रामू, लवकुश और रवि के नाम भी दर्ज हैं। परीक्षण करने वाली डॉक्टर ने अपने निष्कर्ष में कहा है कि पीड़िता पर बल प्रयोग करने के निशान मिले हैं, पेनिट्रेटिव इंटरकोर्स की पुष्टि एफएसएल की रिपोर्ट आने के बाद ही की जा सकती है।
वही मीडिया से बात करते हुवे एएमयू के एक डाक्टर जो रेजिडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भी है ने इस बात पर एतराज़ जताया है कि एसऍफ़एल रिपोर्ट के आधार पर निष्कर्ष निकालना गलत है। डॉक्टर हमजा मलिक का कहना है कि घटना के 11 दिन बाद 25 सितंबर को सैंपल लिए गए। सरकार की गाइड लाइन के हिसाब से 96 घंटे के अंदर सैंपल ले लिया जाना चाहिए। इसलिए एफएसएल की रिपोर्ट में सही तथ्य आना असंभव है। अत: इस रिपोर्ट का कोई मतलब नहीं है।
डॉ हमजा ने कहा कि गाइडलाइन के हिसाब से जब एफएसएल की रिपोर्ट अप्रासंगिक है तो एमएलसी के परीक्षण की बात और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आए संकेत को एक साथ जोड़कर निष्कर्ष निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आई है, उसमें साफ है कि पीड़िता का हाइमन क्षतिग्रस्त होने के बाद घाव ठीक हो जाना पाया गया है। घटना 14 सितंबर की थी और पोस्टमार्टम 29 सितंबर को हुआ। जबकि हाइमन का घाव ठीक होने के लिए 7 से 10 दिन काफी हैं। एमएलसी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के तथ्यों को एक साथ देखें तो दुष्कर्म की बात स्पष्ट हो जाती है।