राजबीर रंजन हत्याकांड : 3 दिन से काम नहीं कर रहे थे CCTV, बाहुबली पर शक की सुई

बिहार। सुमन मिश्रा। पुलिस ने सिवान से पूर्व सांसद के लिए कथित तौर पर काम करने वाले दो लोगों को हिरासत में लिया है। हालांकि, पुलिस ने एफआईआर में अभी तक शहाबुद्दीन का नाम नहीं लिया बिहार के सिवान में हिंदुस्तान अखबार के ब्यूरो चीफ राजदेव रंजन की हत्या की शुरुआती जांच में शक की सुई बाहुबली आरजेडी नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की तरफ जा रही है। पुलिस ने यह जानकारी शनिवार को दी। पुलिस ने सिवान से पूर्व सांसद के लिए कथित तौर पर काम करने वाले दो लोगों को हिरासत में लिया है। हालांकि, पुलिस ने एफआईआर में अभी तक शहाबुद्दीन का नाम नहीं लिखा है। सिवान के एसपी सौरव कुमार शाह ने इसे प्रोफेशनल गैंग द्वारा योजनाबद्ध तरीके से की गई हत्या बताया है। पुलिस को ऐसा कुछ नहीं मिला है, जिससे यह पता लगे कि रंजन की किसी से व्यक्तिगत दुश्मनी थी।

सीनियर जर्नलिस्ट रंजन हिंदुस्तान अखबार के लिए पिछले 22 वर्षों से काम कर रहे थे। हाल ही में उनकी क्लिक की हुई एक फोटोग्राफ वायरल हुई थी, जिसमें बिहार के मंत्री अब्दुल गफूर खान जेल में शहाबुद्दीन से मुलाकात करते नजर आए थे।
शाह ने कहा कि इस हत्या में सात लोग शामिल हो सकते हैं। साथ ही उन्होंने बताया, ‘कम से कम दो लोग मोटरसाइकिल पर फल मंडी के पास राजदेव का इंतजार कर रहे थे। यह एक योजनाबद्ध तरीके से की गई हत्या है, जिसमें हत्यारों ने प्वाइंट ब्लैंक रंजन को पांच गोलियां मारी हैं, ताकि वे जिंदा ना बच पाएं।
जब उनसे पूछा गया कि क्या इसमें शहाबुद्दीन का हाथ है तो एसपी ने कहा, ‘हमारी जांच उस दिशा में चल रही है। हमने उपेंद्र सिंह सहित दो लोगों को हिरासत में लिया है, जो शहाबुद्दीन के लिए काम करते थे। सिंह का नाम पिछले साल सिवान भाजपा एमपी के प्रेस एडवाइजर श्रीकांत बिहारी की हत्या में भी आया था। हमने अभी एफआईआर में किसी का नाम दर्ज नहीं किया है, लेकिन जल्द ही दोषियों को पकड़ लिया जाएगा। हम यह भी जांच कर रहे हैं कि घटनास्थल के पास प्राइवेट सीसीटीवी कैमरे में 11 मई से कोई रिकॉॉर्डिंग क्यों नहीं हुई। यह कोई तकनीकी खराबी है या फिर जान बूझकर डिलिट की गई है। हम सीसीटीवी रिकॉर्ड्स फोरेंसिक लैब में भेज रहे हैं ताकि यह पता लग पाए कि सीसीटीवी के काम नहीं करने के पीछे क्या वजह है। अगर इसकी रिकॉर्डिंग डिलिट की गई है तो उसे दोबारा से निकाला जा सकता है। हम दूसरे प्राइवेट सीसीटीवी फुटेज भी खंगाल रहे हैं।’ साथ ही एसपी ने बताया कि रंजन ने पुलिस को ऐसी कोई जानकारी नहीं दी थी कि उनकी जान को खतरा है।
सिवान के एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि राजदेव रंजन ने अपने पत्रकारिता के 22 साल के करियर में शहाबुद्दीन के विधायकी के दिनों से लेकर अब तक की सिवान की कई बड़ी घटनाएं कवर की हैं। साथ ही बताया, ‘रंजन अक्सर अपने नाम(बायलाइन) से खबरें प्रकाशित नहीं करवाते थे। लेकिन जब भी वे कोई बड़ी खबर करते थे तो वह शहाबुद्दीन और उसके लोगों पर होती थी।’ साथ ही उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले सिवान के हिंदुस्‍तान के पूर्व ब्यूरो चीफ रविंद्र प्रसाद वर्मा भी गोलियां चलाई गई थीं, लेकिन वे बच गए। राजदेव पर साल 2005 में भी सिवान ऑफिस के बाहर हमला किया गया था, लेकिन उसकी कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई थी।
पिछले चार महीनों में राजदेव के नाम से छपी खबरों के खंगालने पर उनकी पंचायत चुनाव में महिलाओं द्वारा भारी मतदान करने, मोहम्मद शहाबुद्दीन से संबंधित मामलों की कोर्ट सुनवाई और कुछ सॉफ्ट खबरें मिली हैं। हिंदुस्तान ऑफिस बॉय राकेश कुमार ने बताया कि वे शुक्रवार को करीब 5.30 बजे शाम को ऑफिस आए थे और 7.30 बजे निकल गए थे। वे अक्सर ऑफिस से सीधे चार किलोमीटर दूर महादेव मिशन कम्पाउंड स्थित अपने घर जाते थे। उस दिन कथित तौर पर राजदेव को एक कॉल आई थी और वे फल मंडी गए, जहां उन्हें गोली मार दी गई।

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