खौफ का दूसरा नाम है मोस्ट वांटेड इनामिया बदमाश गिरधारी, पढ़े अनटोल्ड स्टोरी
तारिक आज़मी
वाराणसी। बबलू सिंह हत्याकांड के लगभग 14 महीने बाद गिरधारी आज भी फरार है। गिरधारी के अपराधिक इतिहास को देखे तो शुरू के अपराधिक घटनाओं के बाद कभी इसको पुलिस गिरफ्तार नही कर पाई है। हमेशा इसके ऊपर इनाम घोषित होने के बाद यह किसी न किसी तरीके से अदालत में सरेंडर कर देता है। पिछली बार भी गिरधारी ने अदालत में सरेंडर किया था। सूत्र बताते है कि सरेंडर के पहले गिरधारी नकाब पहन कर पुलिस को चकमा देता हुआ सरेंडर कर गया था। जबकि पुलिस ने कोर्ट परिसर के आस पास पूरा जाल बिछा रखा था। मगर इस जाल को तोड़ कर गिरधारी अदालत में सरेंडर कर गया था।
शुरू होने के पहले खत्म हुई राजनैतिक पारी
सफेदपोशो की सरपरस्ती मिलने के बाद गिरधारी ने बनारस से अपने परिवार को हटाना बेहतर समझा था। इसकी खातिर गिरधारी ने मुहमदाबाद गोहाना के भीदड में एक ज़मीन अपनी माँ के नाम से खरीदी। इसके बाद वह अपनी माँ के नाम पर राजनैतिक पारी शुरू करना चाहता था। मगर ऐसा हो नहीं पाया। खुद की माँ को ग्राम प्रधान का चुनाव लड़वाने की चाहत इसकी धरी रह गई और नामांकन निरस्त हो गया। इस दरमियान सूत्र बताते है कि किन्ट्टू सिंह के संपर्क में आने के बाद उसने अपनी दोस्ती की खातिर अपनी राजनैतिक पारी का समापन खुद कर दिया। इसके बाद से इसने राजनैतिक पारी खेलने के बजाये एक एक बड़ी टीम का बड़ा खिलाडी बनकर अपना रुतबा उसने बना लिया है।
सूत्रों की माने तो मऊ जनपद के मुहमदाबाद गोहाना थाना क्षेत्र का हर एक व्यक्ति करीब करीब गिरधारी को जानता और पहचानता है। मगर गिरधारी पर सफ़ेदपोश के वरदहस्त के कारण कोई इसके काम में न तो टांग अडाता है और न ही इसके खिलाफ कोई जबान खोलता है। यदि किसी जगह गिरधारी बैठा है और आप आसपास पूछे तो कोई आपको बताएगा नही बल्कि उलटे गिरधारी को जाकर बता देगा कि कोई आपको पूछ रहा है। भीदड से गिरधारी पर कार्यवाही कर लेना एक बड़ी बात होगी।
पकड़ा गया गिरधारी तो हो सकते है कई सफेदपोश बेनकाब
गिरधारी को पकड़ने के लिए वाराणसी ही नहीं बल्कि पुरे पूर्वांचल की पुलिस टीम काम पर लगी है। अगर गिरधारी पकड़ में आता है तो कई सफेदपोश बेनकाब होने की पूरी उम्मीद है। पुलिस अपने इस प्रयास में अभी तक सफल तो नही हो पाई है। वही इसको गिरफ़्तार करने के लिए एक बार भारत भूषण ने अपने टीम के साथ इसको घेरने की कोशिश किया था। इसका काफी करीबी निशाने पर था। छापेमारी भी हुई मगर मात्र दस मिनट के फासले से ये फरार होने में कामयाब हुआ।
वही एक बार इसको तत्कालीन क्राइम ब्रांच प्रभारी विक्रम सिंह ने भी अपनी टीम के साथ घेरने की कोशिश किया था। मगर रेत की तरह गिरधारी फिसल गया था। मगर इस दरमियान एक बात तो पूरी तरीके से पुख्ता है कि विक्रम सिंह ने काफी बड़ी जद्दोजेहद के बाद गिरधारी का नाम नितेश सिंह बबलू हत्याकांड में खोला था। इस जद्दोजेहद के बाद नाम तो खुला मगर गिरफ़्तारी गिरधारी की होना दूर की बात रही। विक्रम सिंह का ही गैर जनपद स्थानांतरण हो गया। कई खबरनवीसो ने इस खबर पर जोर दिया और दमदार खबरे भी लिखी। जमकर गिरधारी का फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ मगर गिरधारी आज भी फरार है।
शिवपुर थाना प्रभारी ने लिया था गिरधारी के भाई को हिरासत में
तत्कालीन शिवपुर थाना प्रभारी ने गिरधारी के भाई को हिरासत में लिया था। पूछताछ का क्रम जारी हुआ। गिरधारी एक पेशेवर अपराधी होने के नाते इतना तो ज़रूर जानता है कि उसके भाई पर कोई मामला बनता नही है, तो गिरधारी पर इसका कोई दबाव नही पड़ा। सूत्र बताते है कि आखिर पुलिस को ही दबाव में इसके भाई को छोड़ देना पड़ा। जबकि उस समय पुलिस इसके भाई को बतौर शरणदाता हिरासत में ले सकती थी। मगर थाने पर अच्छे खासे लोगो की आमदरफत हो चुकी थी।
अंडरग्राउंड है गिरधारी
इसके बाद से गिरधारी अंडरग्राउंड है और किसी को कोई जानकारी नही है। पुलिस को गिरधारी की तलाश है। नितेश सिंह बबलू की आत्मा भी इसकी गिरफ्तारी की बाट जोह रही है ताकि उसकी मौत का खुलासा हो सके और सफ़ेदपोशो का नाम सामने आ सके। दूसरी तरफ भीदड में गिरधारी के दिखाई देने की सुगबुगाहट तो है। मगर इतने घने गाव की जानकारी सटीक होने के बाद भी पुलिस वहा से इसकी गिरफ़्तारी से बचना चाहेगी।
दूसरी तरफ सूत्र बताते है कि गिरधारी को सरेंडर करवा कर उसकी मामले के ठंडा हो जाने के बाद ज़मानत करवाने का भी अरमान काफी ने पाल रखा है। अक्सर ही अफवाहे गिरधारी के सरेंडर की उडती है। मगर शाम होते होते इन बातो पर विराम लग जा रहा है। शायद शेर आया शेर आया के तर्ज पर ये भी चल रहा हो। अब देखना होगा कि गिरधारी को पुलिस इस बार गिरफ्तार कर पाती है अथवा फिर से वह सरेंडर करके पुलिस की सख्त होने वाली पूछताछ से फिर बच जायेगा।