सुबह-ए-बनारस संस्था के कार्यक्रम मास्क नहीं तो टोकेंगे, कोरोना को रोकेंगे पर विशेष – “बुरा न माने मुकेश जी तनिक तारिक़ आज़मी की मोरबतियाँ पर भी ध्यान दे डाले”

तारिक़ आज़मी

वाराणसी। वाराणसी के एक अगनी संस्था सुबह-ए-बनारस अक्सर समसमयिक मुद्दों पर अपनी बेबाक प्रतिक्रिया और कार्यो के लिए मशहूर है। वैसे तो इस संस्था के द्वारा अक्सर ही कुछ न कुछ लीक से हटकर आम जनमानस के जागरूकता के लिए प्रयास किया जाता है जो सराहनीय है। मगर इस बार अपने सराहनीय प्रयास से ही वह खुद कटाक्ष का मुद्दा बन गए है। हुआ कुछ इस तरह की सुबह-ए-बनारस के सदस्यों के द्वारा आज शहर बनारस में बिना मास्क के दिखाई देने वाले कुछ लोगो की कटाक्ष के रूप से सांकेतिक आरती उतारी और इस कार्यक्रम से सम्बन्धित अपना प्रेस नोट फोटो सहित सोशल मीडिया पर वायरल किया जो अब खुद कटाक्ष का एक हिस्सा बन बैठा है।

हुआ कुछ इस प्रकार कि वाराणसी में कोरोना के तेजी से बढ़ते प्रभाव को देखते हुए सामाजिक संस्था सुबह-ए-बनारस क्लब के अध्यक्ष एवं उद्यमी मुकेश जायसवाल, समाजसेवी विजय कपूर के नेतृत्व में विशेश्वरगंज-जतनबर स्थित दूध मंडी में दूर-दराज से बिना मास्क लगाकर आए दुग्ध विक्रेताओ से बढ़ते कोरोना के प्रभाव को देखते हुए कटाक्ष स्वरूप आरती उतार कर हाथ जोड़कर विनती किया गया कि वह मास्क लगाकर दूध का विक्रय करें क्योंकि आपके द्वारा बेचा गया दूध कितने घरों में जाता है। भगवान ना करे अगर आप संक्रमित है, तो आपकी वजह से कोई और परिवार भी संक्रमण का शिकार हो सकता है इसलिए आप जब भी दूध बेचे मगर मास्क लगाकर ही बेचे। साथ ही साथ दूध खरीदने आए आगन्तुको से भी निवेदन किया गया। कि वह अपने-अपने घरों  अपने चिर परिचितों और भाई बंधुओं से हाथ जोड़कर जागरूकता हेतु विनती करें की वह जब भी घर के बाहर निकले कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए निकले और प्रशासन द्वारा निर्देशित सोशल डिस्टेंसिंग और मुंह पर मास्क लगाने की आदेशों का कड़ाई से पालन करें।

कार्यक्रम में मुकेश जायसवाल ने अपील किया कि हमें कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीन लगाने के बावजूद सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन करना होगा। तभी हम सफलतापूर्वक कोरोना से लड़ सकते हैं। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से मुकेश जायसवाल, विजय कपूर, अमरेश जायसवाल, नंदकुमार टोपी वाले, अनिल केसरी, प्रदीप गुप्त, राजेश केसरी, पंकज पाठक, डॉ मनोज यादव, सुनील अहमद खान, राजेश श्रीवास्तव, सहित कई लोग शामिल थे।

अब आते है मोरबतियाँ पर

सुनील जायसवाल और उनके साथी विजय कपूर ने अपनी संस्था के सदस्यों के साथ जो प्रयास किया वह वाकई काबिल-ए-तारीफ हो सकता था। मगर शायद नसीहत के पहले खुद को भी उस पैमाने पर खड़ा करना होता है। सुनील साहब और कपूर साहब आप लोगो को सोशल डिस्टेंस का पालन करने की नसीहत आज दिए जो बेहद ज़रूरी है। खौफ पैदा होता है ये भीड़ देख कर। मगर ये सोशल डिस्टेंस सिर्फ आम नागरिको के लिए नहीं आपके संस्था के ऊपर भी लागू होता है। आपके द्वारा प्रचारित और प्रसारित फोटो आपको भेज रहा हु। सोशल डिस्टेंस शुन्य है भाई साहब।

सुनील जी, कपूर साहब वैसे बुरा न माने, आपने लोगो को मास्क न पहनने पर उनकी कटाक्ष सहित आरती उतारी। तनिक इस फोटो को गौर से देखे और खुद के संस्था के सदस्यों की भी आरती थोडा उतार ले। लोगो को कोरोना का खतरा मुह, नाक से होने का सबसे अधिक डर रहता है। मगर आपके द्वारा पहने हुवे मास्क का भी कोई मतलब नही बनता है क्योकि इस मास्क से नुरानी चेहरा-ए-मुबारक फोटो में दिखाने के लिए मुह नाक तो बंद नही है बल्कि एक सज्जन की ठोढ़ी ढकी ज़रुर है। नाक तो आपकी भी मास्क से खुली है साहब और आपके कुछ साथियों को छोड़ कर सबकी खुली है।

भाई साहब, मास्क के साथ भी फोटो खुबसूरत आते है। प्रयास करके देखिये। वैसे सोशल डिस्टेंस को मेंटेन करने के लिए आपका किया गया जागरूकता हेतु प्रयास वाकई उत्तम है। मगर साहब तनिक इस सोशल डिस्टेंस का पालन संस्था के स्वयं के लोगो से करवा लिया होता तो और भी सोने पर सुहागा हो गया होता। साहब, दो गज की दुरी, मास्क है ज़रूरी। मगर मास्क मुह और नाक को ढके तभी उसकी ज़रूरत होती है पूरी। न कि ठोढ़ी ढककर मास्क की फार्मेलिटी पूरी करवाने से मास्क की ज़रूरत पूरी नही हो जाती है। नसीहत देना अच्छी बात है। मगर अमल भी उस पर कर लेना थोडा और भी बढ़िया बात होगी। हम अपने सुधि पाठको से आग्रह पूर्वक अपील करते है कि कोरोना की भयावहता को समझे। मास्क लगाये। हाथो को अच्छे तरीके से बार बार धोये और मास्क से मुह और नाक ढके न कि ठोढ़ी को ढक कर काम चलाये। ध्यान रखे मास्क मज़बूरी नही बल्कि आपके और आपके अपनों की सुरक्षा हेतु ज़रूरी है।

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