“कोमल है कमज़ोर नही, शक्ति का नाम ही नारी है” को चरितार्थ करती इस्पेक्टर संध्या सिंह

ए0 जावेद

वाराणसी। नारी को अबला शब्द से कुछ लोग नवाजते है। उसको नाज़ुक और कमज़ोर समाज कर दुनिया की आधी आबादी नारी के सम्मान को कही न कही से ठेस पहुचाते है। जो नारी को कमज़ोर, अबला और नाज़ुक समझते है उनको एक मर्तबा जाकर चेतगंज थाना प्रभारी इस्पेक्टर संध्या सिंह को देख लेना चाहिए। इस्पेक्टर संध्या सिंह को देखकर ये तो ज़रूर ध्यान आ जायेगा कि शक्ति का वास्तविक नाम ही नारी है।

गोरखपुर के निवासी भरत सिंह के घर जब बिटिया पैदा हुई तो अपने इलाके में उन्होने मिठाइयो को बाटा था। ये वह समय था जब लोग बेटे होने की ख़ुशी में मिठाई बाटते है। मगर न्यायप्रिय और समाज के लिए चितित रहने वाले भरत सिंह ने उस समय मिठाई बाट कर समाज को एक सन्देश दिया कि “बेटी भी बेटो से कम नही है।” उन्होंने प्यार से अपनी इस नन्ही सी गुडिया को संध्या नाम दिया। संध्या सिंह की परवरिश भी उसी परिवेश में हुई जिसमे बेटे को जितना मान सम्मान और स्नेह मिलता है उतना ही बेटी को भी मान सम्मान स्नेह मिला।

संध्या सिह ने अपने पिता की इच्छा भी पूरी किया। एक बेटी होकर भी उन्होंने अपने पिता को आजीवन एक बेटे जैसा सहारा दिया। पढ़ लिख कर संध्या सिंह ने पुलिस की नौकरी ज्वाइन किया और एसआई के पद पर सुशोभित हुई। नौकरी के दरमियान संध्या सिंह की पोस्टिंग 8 साल बलिया जनपद में रही। यहाँ उन्होंने कई थानों की थानेदारी की जिम्मेवारी उठाई। संध्या सिंह के पोस्टिंग के दरमियान कालेज जाने वाली लडकिया उनको अपना आइडियल और रोल मॉडल मानती थी। यहाँ पोस्टिंग के दरमियान शासन द्वारा संध्या सिंह के सराहनीय कार्यो हेतु कई मैडल और प्रशस्ति पत्र दिया।

संध्या सिंह की पोस्टिंग जिस इलाके में भी रही वहा के शोहदे और रोड साइड रोमियो इलाका छोड़ कर या तो भाग जाते थे अथवा शराफत की ज़िन्दगी जीते थे। इन्हें बलिया में ही लेडी सिंघम का खिताब मिला। अमूमन लोग इन्हें लेडी सिंघम ही कहते है आज भी। संध्या सिंह की बलिया के बाद पोस्टिंग वाराणसी के रमना चौकी पर बतौर चौकी इंचार्ज हुई। बतौर चौकी इंचार्ज रहते हुवे इन्होने कई अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा। हर एक पुलिस ओपरेशन का नेतृत्व यह खुद ही करती थी।

अक्टूबर 2019 में संध्या सिंह द्वारा देवरिया जनपद निवासी कुख्यात धर्मेन्द्र सेठ को गिरफ्तार किया था। धर्मेन्द्र सेठ एक शातिर अपराधी था और चालबाज़ किस्म का था। लंका पुलिस के लिए सरदर्द बन चुका धर्मेन्द्र आखिर चढ़ा भी संध्या सिंह के हत्थे। चालान जाते समय धर्मेन्द्र सेठ मेडिकल के दरमियान पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया। उसकी फरारी की जानकारी मिलने के बाद संध्या सिंह ने उसकी गिरफ़्तारी के लिए ज़मीन आसमान एक कर डाला और महज़ चंद घंटो के अन्दर ही मंडुआडीह से आखिर धर्मेन्द्र सेठ पकड़ा गया। ये सफलता भले ही मंडुआडीह के खाते में लिखी गई मगर हकीकत में धर्मेन्द्र की गिरफ्तारी के लिए संध्या सिंह ने पहले ही मिनट में कोशिश जारी कर दिया था।

इसी प्रकार जनवरी माह में चेतगंज थाना क्षेत्र का फरार अपराधी जो एक वर्ष से फरार चल रहा था की गिरफ़्तारी संध्या सिंह ने थाना प्रभार मिलने के बाद ही कर डाला। जब फरार मनीष पाण्डेय को गिरफ्तार किया गया तो वह खुद अचम्भित रह गया था। फरारी के दरमियान वह शहर में ही ठिकाना बनाये हुवे था। इसी दरमियान संध्या सिंह को इसकी जानकारी मिली कि वह पहाड़िया क्षेत्र में एक दूकान पर अक्सर आकर बैठता थे, इस दरमियान किसी ने इसकी जानकारी लेडी सिंघम को प्रदान कर दिया। लोकेशन पाकर संध्या सिंह ने खुद टीम का नेतृत्व करते हुवे वहा छापा मारा और मनीष पाण्डेय को गिरफ्तार कर लिया। ये गिरफ़्तारी संध्या सिंह के रिकार्ड में दमदार गिरफ़्तारी थी। चेतगंज क्षेत्र में विगत दस दिनों में दो सेक्स रैकेट का सफल खुलासा करते हुवे संध्या सिंह ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि महिला अपराध में वह बेस्ट है।

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