वाराणसी जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को सपा ने दिया अदालत में चुनौती, अदालत ने जारी किया नोटिस और दिया अगली तारीख 6 अगस्त
ए जावेद
वाराणसी। वाराणसी जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनावों में मिली भाजपा को निर्विरोध जीत अब अदालत के दरवाज़े पर पहुच गई है। डिस्ट्रिक जज के अदालत में दाखिल हुई याचिका सपा प्रत्याशी चंदा यादव के तरफ से दाखिल की गई है जिसके अधिवक्ता अभय नाथ यादव है। अदालत ने इस मामले में अदालत ने चुनाव याचिका की सुनवाई स्वीकार करने के लिए पक्षकार बनाए गए यूपी सरकार, डीएम/निर्वाचन अधिकारी और निर्वाचित अध्यक्ष पूनम मौर्य को विशेष वाहक के जरिए नोटिस तामिला कराने का आदेश भी दिया।
सपा प्रत्याशी चंदा यादव की ओर से अधिवक्ता अभयनाथ यादव द्वारा चुनाव याचिका जिला पंचायत नियमावली 1994 के नियम 33 के तहत दाखिल की गई है। चुनाव याचिका में कहा गया है कि जिस आधार पर सपा प्रत्याशी का नामांकन खारिज किया गया, उसमें जो शपथपत्र दाखिल किया गया था, उसमें नोटरी अधिवक्ता के नवीनीकरण नहीं होने का कारण बताया गया। अदालत में कहा गया कि नामांकन खारिज होने के लिए नोटरी अधिवक्ता का नवीनीकरण होना या नहीं होना, कोई आधार नहीं है।
अधिवक्ता ने यह भी कहा कि यूपी जिला पंचायत नियमावली 1994 नियम 10(4) में तकनीकी आधार पर नामांकन निरस्त नहीं किया जा सकता। डीएम ने तकनीकी आधार पर नामांकन खारिज किया है जो अवैधानिक है। याचिका में यह जिक्र किया गया कि नोटरी अधिवक्ता ने नोटरी लाइसेंस समाप्त होने के तीन माह पूर्व नवीनीकरण शुल्क जमा करने के साथ जिला जज वाराणसी से अनुमोदित कराकर नवीनीकरण प्रार्थनापत्र दिया था और नोटरी अधिवक्ता का लाइसेंस निरस्त नहीं है बल्कि नवीनीकरण विचाराधीन है।
याची ने कहा है कि ऐसे में नामांकन खारिज किया जाना गलत है। अदालत से याचना की गई कि चंदा यादव के नामांकन खारिज का आदेश निरस्त हो। निर्वाचित अध्यक्ष पूनम मौर्य के चुनाव को निरस्त करने के साथ नए सिरे से वाराणसी जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव कराया जाए। अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई के बाद कहा कि याचिका को ग्रायहता के बिंदु पर सुना गया। प्रकीर्ण वाद के रूप में दर्ज हो और विपक्षी को नोटिस जारी हो और सुनवाई की अगली तारीख 6 अगस्त नियत की जाती है।