पुलिस अधिक्षक यातायात- साहेब एक नज़र ईधर भी। जाम के झाम में बाबा भोले की नगरी काशी।


                                  तारिक़ आज़मी की कलम से
साहेब ये बनारस है। लोग कहते है मिटटी भी जहा की पारस है उस शहर का नाम बनारस है। आइये नावांगन्तुक पुलिस अधीक्षक यातायात महोदय आपको काशी के दर्शन पर लिए चलते है। भगवान शिव के त्रिशूल पर बसा यह शहर अपने आप में ही एक सृष्टि है। यहाँ की अल्हड़ता, मदमस्ती, वो गंगा का निर्मल जल, सुबह की कचौड़ी जलेबी पुरे ब्रह्माण्ड में कही नहीं मिलेगी साहेब। एक दिन में इसका दर्शन असंभव है काशी के संपूर्ण दर्शन को तो यह एक जीवन भी कम पड़ेगा। आइये साहेब आपको एक एक इलाका थोडा थोडा दिखाते है।

यह विशेश्वरगंज है साहेब। इसकी सड़के पहले से ही पतली थी चलना दुश्वार था। फिर बना बीच में डिवाइडर। ये डिवाइडर रोड के नियम तो फॉलो करवा देता है साहेब मगर सड़क जाम का झाम भी फैला देता है। सड़क एक तो पहले ही पतली है। उस पर 4 फिट से ज़्यादा का ये अतिक्रमण और फिर ये अवैध पार्किंग। सब मिलकर राहगीरों को सिर्फ परेशान ही करते है। ट्राली चालक जहा मर्ज़ी अपनी ट्राली खड़ी कर देंगे और लोडिंग अनलोडिंग करना शुरू। अगर कही टेम्पो से लोडिंग अनलोडिंग हो रही है तब तो बगल से सिर्फ रिक्शा ही निकल सकता है।
इसके थोडा सा आगे बढ़कर आप मछोदरी पार्क से बाए यानि पुराना कसाईबाड़ा की तरफ मुड जायेगे तो यातायात नियमो की धज्जिया उड़ते आँखों से देख लेंगे साहेब आप। हमेशा 5-6 ट्रक आपको सड़क पर ही खड़ी मिल जायेगी। एक तो सड़क पतली उस पर कूड़ाखाना का ढेर बची खुची कमी ट्रको की अवैध पार्किंग पूरी कर देती है।
साहेब आपके पूर्ववर्ति साहेब ने भी जनता को आश्वासन दिया था कि आऊंगा और सब अवैध पार्किंग का चालान काट दुँगा सब सुधर जायेगे।
मगर साहेब वो नहीं आये। खुद किसी और कुर्सी पर चले गए मगर पुरे कार्यकाल में यातायात सुधारने की कसम खाये हुवे साहेब इस इलाके में नहीं आये। शायद उनको पता होगा। पहली सुधार की कड़ी में व्यापारियो का ध्यान, फिर व्यापारी नेताओ का ध्यान और सब मिलाकर सत्ता के गलियारे में इन व्यापारी नेताओ की पकड़। बस साहेब यही एक दिक्कत है।
हम तो साहेब कलम के सिपाही है। हमको क्या आँखे बंद कर लेते है एक बार और। हमको इस इलाके से निकलना होता है साहेब तो जाम का झाम देख कर पतली गल्ली पकड़ लेते है।
अब क्या करे साहेब। हम ठहरे छोटे से कलमकार। हम क्या कर सकते है। हम सिस्टम तो है नहीं बस उसका छोटा सा हिस्सा है साहेब। हमको जो दिखा लिख दिया। मगर एक बात तो साफ़ है साहेब जनता कहती भी है। एक साहेब आये थे। बाबा थे वो नाम के ही। खूब हथौड़ा चलवाए थे शहर में। बस अपने होश में वही एक याद है जिन्होंने अपनी छाप छोड़ा इस इलाके पर। लोग खुद अपने हाथो से अपना अतिक्रमण तोड़ने लगे थे। मगर वो नगर निगम से सम्बंधित थे। आज तक यातायात पुलिस ने इस इलाके में अपनी कार्यवाही नहीं दिखाई। जबकि ज़मीनी हकीकत ये है साहेब कि अगर नियमानुसार अवैध पार्किंग पर कार्यवाही यहाँ हो गई तो किसी भी यातायात माह का टारगेट एक ही दिन में पूरा हो जायेगा।
साहेब आज आपको एक इलाका घुमाया है। समय समय पर काशी के इलाके घुमाता रहूँगा साहेब।

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