बड़ा खुलासा (भाग -1) –वाराणसी में कहा से और कैसे खेला जाता है मोबाइल लाटरी का खेल, “लक इंडिया” और “लक इंडिया आईपीएल” लाटरी की जाने पूरी जन्म कुण्डली
तारिक आज़मी
वाराणसी। लगभग पुरे देश में लाटरी प्रतिबंधित है। मगर वाराणसी शहर में लाटरी ने अपने मकडजाल को इस तरीके से फैला रखा है जिसको पुलिस भेद नही पा रही है। पुलिस केवल छापेमारी किया कहकर अपने कर्तव्यो की इतिश्री कर लेती है। मगर जिस गंभीरता से काम इस अपराध पर करना होता है अंततः वह काम नही हो पाता है। कह सकते है कि “चार दिन चर्चा उठेगी, इस सिंडिकेट को मिटायेगे, पांचवे दिन भूल कर दुसरे काम पर लग जायेगे” के तर्ज पर इस अपराध पर वाराणसी पुलिस आज तक इस अपराध पर काम करती रही है। इसी कारण शायद आज तक पुलिस इस सिंडिकेट को ब्रेक करने में नाकाम रही है।
पुलिस अगर कार्यवाही भी करती है तो छोटे छोटे खिलवाने वाले पकडे जाते रहे है। सुबह पकडे जाने पर जुआ एक्ट में चालान होता है और शाम को अथवा दुसरे दिन सुबह मुचलका भर कर रिहा हो जाते है। हमारा प्रयास है कि इस सिंडिकेट को जड़ से खत्म करने के लिए सीधे तने और पत्तियों पर नही बल्कि जड़ को ही नेस्तनाबूत किया जाए। इसी कड़ी में हमने इसकी जड़ के सम्बन्ध में ही जानकारी निकाल डाली। ठीक है थोडा मेहनत लगी, आईटी की पूरी टीम ने काम किया और आखिर तना नही बल्कि जड़ ही हाथो में आ गई। अब अगर पुलिस चाहे तो इन जड़ो पर वार करके केवल बनारस ही नही बल्कि पुरे पूर्वांचल में इस कारोबार को नेस्तनाबूत कर सकती है।
अभी तक छोटे छोटे खिलाडी पकडे जाते रहे है, एक दिन चालान फिर एक दिन आराम करना और फिर वही छोटा सा मोबाइल हाथ में लेकर काम पर लग जाना हो जाता है। अगर साइबर क्राइम की बात करे तो पुलिस के उस विभाग पर पहले ही वर्क लोड काफी है तो इस मामले में वह स्वतः संज्ञान लेकर काम क्यों करेगा। थानो के स्तर से कोई सहयोग इस विभाग से माँगा भी नही जाता है। जबकि मोबाइल लाटरी खिलवाने वाले खुल्लम खुल्ला इसकी वेब साईट बनवा कर काम करते है। इस सिंडिकेट को थोडा अन्दर तक जाकर पता करने का काम हमने ही कर डाला। कोई किसी पर भी आरोप प्रत्यारोप लगाये मगर हकीकत तो ये है कि इन सबसे ऊपर उठकर लाखो की प्रतिदिन इनकम रखने वाला ये सिंडिकेट किसी को भी खरीदने की क्षमता रखता है।
जाने लक इंडिया और लक इंडिया आईपीएल का सञ्चालन कहा से होता है
इस सिंडिकेट के द्वारा कई गुटों में लाटरी चल रही है। एक गुट “लक इंडिया” नाम से लाटरी चलवा रहा है जो हर पंद्रह मिनट में ड्रा करने का दावा करता है। ड्रा होना न होना क्या, मुख्य निर्देशक इस फिल्म का सभी के नंबर कलेक्ट करता है और जो सबसे कम नम्बर बुकिंग होती है उसको लकी नम्बर करार दे दिया जाता है। इस “लक इंडिया” को संचालित किया जाता है सिगरा थाना क्षेत्र के लल्लापुरा से। जहा से एक अपराधिक इतिहास रखने वाले व्यक्ति द्वारा इसका सञ्चालन होता है। इस “लक इंडिया” के कम्पटीशन में दूसरी लाटरी चल रही है “लक इंडिया आईपीएल” जिसको दालमंडी से संचालित किया जा रहा है। घर के अन्दर मुख्य संचालक जो खुद को भाजपा नेता चंदौली जनपद का बताता है और “गर्व से कहो हम भाजपा है” कहकर अपना काला कारोबार करता है, वह फेक्कन जैसे लोगो को अपने साथ लेकर इस “लक इंडिया आईपीएल” का सञ्चालन करता है। असगर मिठाई वाले के पास एक दूकान में विशेष रूप से इसका काउंटर अभी तीन दिनों पहले बनाया गया है। इस मुख्य संचालक के सम्बन्ध में दालमंडी के किसी भी संभ्रांत नागरिक से पुलिस पूछे तो वह खुद बता देगा कि किसने इस इलाके में सबसे पहले लाटरी खेलवाना शुरू किया था और अब वह फिर खेलवा रहा है। मगर पुलिस इसको आज तक हाथ नही लगा पाई है।
कहा से बनाया गया है इस दोनों वेब साईट को
वैसे तो पुलिस और साइबर क्राइम ने कभी गंभीरता से काम नही किया है इस मुद्दे पर। हमने इसके काफी गहरे जाकर जानकारी हासिल किया। इन दोनों वेब साईट को कहा से बनाया गया। कौन वेब डिजाईनर इस तरीके की वेब साईट बना कर उपलब्ध करवाया। इस जानकारी को हासिल करने में हमारी आईटी टीम ने हमारा काफी योगदान दिया। हमारी आईटी टीम ने इसकी जानकारी निकाल कर जो दिया उसके अनुसार दोनों वेब साईट “गो-डैडी” से खरीदी गई है। दोनों के डोमिन यहाँ से खरीदे गये है। बहुत बड़ी वेब साईट नही है। सिम्पल टेम्पलेट है। दोनों टेम्पलेट एक जैसे ही मिलते जुलते है।
इस वेब साईट “लक इंडिया” की डोमिन को उत्तर प्रदेश से आपरेट किया जा रहा है। यही से इसको खरीदा भी गया है। इस कंपनी ने इस डोमिन पर अपनी प्राईवेसी हिडेन कर रखा है। केवल हमको एक मोबाइल नम्बर प्राप्त हुआ है जो वेब साईट पर भी मेंशन है। वह मोबाइल नम्बर 9831636032 ट्रूकालर पर कस्टमर सर्विस (अंकित तिवारी) के नाम से आ रहा है। जब हमने बात किया तो इस नंबर पर पहले तो वेब साईट बनाने का काम करने की बात की गई मगर तुरंत ही कहा गया कि नही हम लोग तो सिंपल इंसान है वेब साईट नही बनाते है। आन लाइन लाटरी के जगत में “लक इंडिया” सबसे पुरानी साईट है जो वर्ष 2010 से आपरेट हो रही है। यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि इसी समय दालमंडी इलाके में लाटरी का कारोबार शुरू हुआ था जो लगभग 7-8 साल चला था। ये डोमिन 18 जून 2010 में खरीदा गया था। दालमंडी के किसी भी जानकार से पुलिस अगर पूछे तो ये बात साफ़ हो जाएगी कि लक इंडिया लाटरी दालमंडी में वर्ष 2010 में एक युवक ने शुरू करवाया था. जिससे इसका सम्बन्ध इस साईट से मिलता हुआ दिखाई दे रहा है.
हमारी आईटी टीम ने “लक इंडिया आईपीएल” की भी जन्म कुंडली निकाली। दालमंडी में लाटरी फिर से शुरू हो जाने की चर्चा जून में सामने आई थी। इस साईट के डोमिन को कथित रूप से कर्नाटक के ईमेल mail@voltstonegroup.com के द्वारा खरीदा गया था। ये डोमिन 10 मई 2021 को “गो-डैडी” से खरीदा गया था। इस साईट को 27 मई को बनकर तैयार किया गया था। वाल्टस्टोन ग्रुप नाम के वेब डिजाईनर के द्वारा डोमिन बुक किया गया था। साईट का टेम्पलेट एक जैसा होने के कारण इस बात से इनकार नही किया जा सकता है कि साईट का डोमेन पर्चेस करने वाले व्यक्ति ने अपनी डिटेल गलत डाला हो। बहरहाल, “लक इंडिया आईपीएल” की साईट बनने के का समय और दालमंडी में लाटरी शुरू होने का समय यदि देखा जाए तो कहानी खुद-ब-खुद समझ आ जाएगी। दालमंडी में जुलाई से लाटरी का कारोबार दुबारा शुरू होने की बात सामने आई है। इसका सौदा दालमंडी, लल्लापुरा, सरैया, मुहाने तक लग रहा है। इसकी पकड़ पड़ाव से लेकर रामनगर तक भी होने की जानकारी सामने आई है।
क्या पुलिस की है कमी ?
बेशक अमूमन लोग समझेगे कि ये पुलिस महकमे की कमी है। बड़े आरोप फिर सिगरा पुलिस और चौक पुलिस पर लगेगे। मगर हकीकत ये है कि चौक पुलिस को तो कही से कटघरे में आप खड़ा ही नही कर सकते है। इसका साफ़ साफ़ कारण दो है। पहला कारण है कि खेलवाने वाला मुख्य संचालक व्यक्ति खुद पर्दे के पीछे घर के अन्दर बैठा रहता है। दूसरा कारण है खेलवाने वाला व्यक्ति जो पर्दे के बाहर है वह सकरी गलियों का बादशाह रहता है और पुलिस के आने से पहले इधर उधर हो जाता है। दालमंडी हो या फिर फेक्कन का राजगीर टोला यहाँ से किसी को ऐसे रंगे हाथ पकड़ लेना आसान नही है।
मगर सिगरा और लक्सा पुलिस को इस आरोपों से बाहर नही किया जा सकता है। सबसे खुल्लम खुल्ला सिगरा के लल्लापुरा, काजीपुरा खुर्द की कब्रिस्तानो और चाय की दूकान पर चलता है। भले वह लाडू डाक्टर की तकिया हो या फिर बरवातले की तकिया हो। खुल्लम खुल्ला लाटरी होती है। फैंटम आती ही नही है।इस इलाके में. चाय वाला लाडू की तकिया का चंद महीनो में अमीर हो चूका है। भीड़ का आलम बताता है कि या तो ये गलत काम करता है या फिर इसकी चाय में चरस जैसा कोई नशा है जो सब खिचे चले आते है। मगर हकीकत ये है कि न चरस न गलत काम, इसके मकान की छत पर खुल्लम खुल्ला लाटरी चलती है। जिसके लालच में कस्टमर यानी जुआड़ी यहाँ चाय पर चाय पिया करते है। मगर पुलिस को इसकी कानोकान भनक नही है। नही यकीन हो तो आप स्थानीय चौकी प्रभारी से पूछ ले।