चला डीएम द्वारा ट्रांसफर का चाबुक, मची खलबली।
फिलहाल पंचायत सचिव अपनी नई तैनाती को लेकर पैन्डिंग कार्य निपटाने में लगे हुये हैं।
विदित होकि जिले में 721 ग्राम पंचायतें हैं जिनकी जिम्मेदारी 85 ग्राम पंचायत सचिव/ग्राम विकास अधिकारियों पर हैं। इस प्रकार एक-एक सचिव/ग्राम विेकास अधिकारी पर कई-कई ग्राम पंचायतों का जिम्मा है। जिले के आला अफसरों ने पंचायत सचिवों की तमाम शिकायतें करते हुए उनके साथ कार्यकर पाने में असमर्थता जतायी थी। तब मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी मासूम अली सरवर ने सीडीओ को सभी ग्राम पंचायत सचिव/ग्राम विकास अधिकारियों की तैनाती आदि के बारे में सूची बनाने का निर्देश दिया था। बाद में डीएम, सीडीओ डीडीओ आदि की मौजूदगी में गा्रम पंचायत सचिवों व ग्राम विकास अधिकारियों की तैनाती में व्यापक स्तर से फेरबदल कर दिया गया। मजे की बात यह रही कि जिस पर्ची सिस्टम से सचिवों की तैनाती तय की गयी उस सिस्टम में पर्ची भी सचिवों, विकास अधिकारियों से ही उठवायी गयी। सितम्बर 2015 के बाद पुनः शत प्रतिशत स्थानान्तरण करके व्यवस्था परिवर्तन कर व्यवस्थ बनाने का जो प्रयास किया गया वह किसी के भी गले नहीं उतर रहा है। क्योंकि सौ फीसदी तैनाती में फेरबदल से व्यवस्था बनने से ज्यादा व्यवस्था प्रभवित होने की प्रबल संभावना जतायी जा रही है। सवाल यह उठ रहे हैं कि एक लम्बे समय से एक ही जगह पर जमे सचिवों के लिये दोषी कौन है? पूर्व में भी तमाम शिकायतें होती रही हैं परन्तु कार्यवाही अमल में नहीं लायी गयी। यही नहीं तमाम घोटालों के उजागर हो जाने के बाद भी सहानुभूतिपूर्वक समझौता कर लिया गया। आखिर क्यों? फिलहाल नयी तैनाती को लेकर ग्राम पंचायत सचिव/ग्राम विकास अधिकारियों में हड़कम्प मचा हुआ है और उक्त अधिकारी गुपचुप तरीके से ट्रांसफर रूकवाने को जोड़ तोड़ में लगे हुये हैं। वहीं अब उन्होंने मौके की नजाकत को भांपते हुए पैन्डिंग कार्य निपटाना भी शुरू कर दिया है। देखना यह है कि इस व्यापक उलट फेर का ऊँट किस करवट बैठता है।