लखनऊ। शाहरुख़ खान। एक तरफ यहां राजधानी में यातायात पुलिस लोगो को यातायात नियमों के प्रति जागरुक करने के लिये जी जान से जुटी हुई है। वही कुछ हैं कि सुधरने को तैयार ही नही। पैसों की हनक इतनी कि पहले तो गाड़ी ही नही रोकते और दौड़ा कर रुकवा भी ली तो काट दो चालान कितने का काटोगे कह कर कर्मचारी को बेइज्जत करते हैं।
सोमवार को ऐसा ही कुछ देखने को मिला पी.जी से बंगला बाजार रोड पर, जब गंज प्रभारी प्रेम शंकर शाही ने पी.जी आई की ओर से आ रही एक चार पहिया गाड़ी (यूपी 32 जीके 4214) की नम्बर प्लेट पर राम लिखा देख गाड़ी को रोकने का प्रयास किया। तो चालक ने बड़ी ही तेज रफ्तार में गाड़ी को बंगला बाजार की ओर मोड़ लिया। करीब चार किलो मीटर पीछा करने के बाद जब उसे रोका गया था।
चालक ने पैसे का रौब झाड़ते हुये कहा कि कितने का चालान हैं पकाड़ो पैसे और जाने दो। टीजी प्रभारी प्रेम शंकर शाही ने बताया कि चालक राहुल मिश्रा गिट्टी मोरंग का थोक का ठेकेदार है। राहुल के पिताजी समाज कल्याण विभाग बापू भवन में किसी श्रेष्ठ पद पर तैनात हैं। राहुल का पहले भी कई बार गलत नम्बर प्लेट को लेकर चालान हो चुका है। लेकिन वह हर बार जुर्माना भर कर पुन: वहीं नम्बर प्लेट लगा लेता हैं। हर बार रोके जाने पर वह पैसों की हनक दिखाता हैं और जुर्माना देकर यातायात विभाग को मुंह चिड़ाता हैं। यातायात विभाग के एक अधिकारी ने नाम न लिखने की शर्त पर कहा कि ये यातायात विभाग का दुर्भाग्य हैं कि किसी भी अपराध को रोकने के लिये हम पूरी तरह जिम्मेदार तो हैं पर सक्षम नही। सारे नियम कानून निम्न वर्ग के लोगों के लिये परेशानी का कारण होते हैं, उच्च वर्ग के लोगा के लिये नही। यदि नीयमों को शख्त बनाया जाता हैं तो उसका सीधा असर आम जन्ता पर पड़ता है। जो रोज हजारों रूपय कमाता हैं उसके लिये 100 पच्चास रूपय कुछ नही।
एमबी एक्ट नियम
मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार किसी भी गाड़ी केे रजिस्टेशन नम्बर को गाड़ी की नम्बर प्लेट पर अंकित करने का एक मानक है। लेकिन कुछ लोग इसका उल्लघंन करते हुये उसमे फेर बदल करते हैं जैंसे 214 को राम 4141 को पापा 786 को बड़ा करना आदि लिखवा लेते हैं। जो एमबी एक्ट नियम का सीधा सीधा उल्लघंन हैं। नियमत: इसका न्यून्तम जुर्माना 100 रूपय हैं, जो हर वार अपराध के साथ बढ़ता हैं। लेकिन पैसों की हनक रखने वाले लोग इसे आसानी से देकर यातायात विभाग को मुंह चिड़ा कर चले जाते हैं।
यातायात निर्देशक अनिल अग्रवाल करते हैं कि अभी तक यातायात पुलिस के पास ऐसी कोई तकनीक नही हैं कि वह गाड़ी या चालक द्बारा किये गये अपराधों का ब्योरा निकाल सके। लेकिन जल्द ही हम एक ऐप तैयार कर रहे हैं जिसके जरिये हम किसी भी रजिस्टेशन या लाइसेन्स पर होने वाले अपराधों का विवरण प्राप्त कर सकेगें। जिससे कर्मचारी ऐसे अपराधियों पर अकुश लगाने के लिये मौके पर समन शुल्क न काट कर उसका चालान कर पायेगे। जिस पर संबन्धित कोर्ट द्बारा दंड तय किया जा सकेगा।