तो सामने होंगी पुलिस की नाकामियां

आगरा। शीतल सिंह माया। प्रदेश पुलिस के मुखिया जावीद अहमद शनिवार को ताज महोत्सव में शिरकत करने आ रहे हैं। वे अपराधों की समीक्षा के लिए सर्किट हाउस में बैठक करेंगे। आगरा पुलिस के अफसरों के लिए यह कठिन क्लास होगी। दरअसल, जिले में अपराध तो बढ़े ही हैं, पुलिस की साख भी गिरी है। बड़ी वारदात होते ही लोग पुलिस पर भरोसा करने के बजाय हंगामा शुरू कर देते हैं।।
पिछले तीन-चार महीनों में पुलिस के गुड वर्क की लिस्ट में सिर्फ तीन मामले हैं। एत्मादपुर का अनेक सिंह हत्याकांड, कागारौल की 50 लाख की लूट और फतेहपुर सीकरी में कब्र खोदकर महिला की लाश से छेड़छाड़ का खुलासा।

इनके अलावा पुलिस कोई बड़ा केस नहीं खोल पाई। इधर फुलट्टी में सराफ धन कुमार जैन पर हमले के बाद पहले सराफा और फिर पूरा आगरा बंद रहा। छात्र बिट्टू के अपहरण पर कमला नगर के बाजार बंद रखे गए। अब लिपिक सतेंद्र की हत्या के बाद आठ दिन से विवि कर्मचारी हड़ताल पर हैं। पुलिस से भरोसा इसलिए कम हो रहा है क्योंकि न तो वारदात रुक रहीं और न ही खुल पा रही हैं। 
एक बदमाश भी न पकड़ पाए
पृथ्वीनाथ पुलिस चौकी के पास तीन बदमाशों ने सराफ संजय वर्मा की हत्या की। साहसी युवक अनिल गुप्ता ने लोगों के साथ मिलकर दो को पकड़ा। फरार हुए मास्टरमाउंड गोला बघेल को एक माह बाद भीपुुलिस पकड़ नहीं पाई है।
बलवाइयों की तलाश में ढिलाई
नाई की मंडी, सैयदपाड़ा, ईदगाह कठघर और फतेहाबाद में बड़े बवाल हुए। इनमें 100 से ज्यादा आरोपी हैं। गिरफ्तारी अब तक 30 की भी नहीं हो पाई है। इस ढिलाई से बलवाई जेल जाने से बचने के रास्ते ढूंढ रहे हैं।
राज बनकर रह गईं ये वारदात
खंदारी का ग्रोवर दंपति हत्याकांड, लॉयर्स कॉलोनी की डकैती, मऊ रोड की लूट, कमला नगर से बिट्टू का अपहरण, फतेहपुर सीकरी का डबल मर्डर, खंदौली की बैंक डकैती जैसे बड़े मामलों में पुलिस के हाथ खाली हैं। डीजीपी ने इन पर सवाल किए, तो अफसरों के लिए जवाब देना मुश्किल होगा।

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