और स्थापित हो गई मंदिर में दस्यु सरगना की मूर्ति।
फतेहपुर। तारिक़ आज़मी। समय कितना बदल गया है। लोग अफज़ल गुरु जैसे आतंकवादियो की जय बोलते है। नाथू राम गोडसे को तो कुछ लोग हीरो बना रहे है। बात यही तक नहीं रुकी। अब दस्यु सरगना की मंदिर का भी निर्माण होने लगा है। जी समाचार एकदम अचंभित करने वाला है। आप ज़रूर चौक जायेगे यह जानकार की एक मंदिर का निर्माण हुवा है जिसमे दस्यु सरगना के साथ उसकी पत्नी और माँ-बाप की मूर्ति की स्थापना हुई है। क्या कहेगे। शायद समाज की एक सोच कहेगे कि लंबे समय तक आतंक का पर्याय रहा दस्यु सरगना शिव कुमार पटेल उर्फ़ ददुवा की अब पूजा होगी।
जी हा फ़तेहपुर ज़िले के ग्राम कबरहा में हनुमान मंदिर की स्थापना हुई है। इसका अनावरण करने शिवपाल यादव को आना था। मगर अंतिम समय में शिवपाल यादव का कार्यक्रम निरस्त हो गया। इसके पहले पांच फरवरी को ददुआ सहित चार लोगों की मूर्ति मंदिर परिसर में लाई गई। नौ फरवरी की रात को ददुआ के माता-पिता की मूर्ति तो लगा दी गई, लेकिन ददुआ व उसकी पत्नी की मूर्ति रोक दी गई। शिवपाल यादव द्वारा कार्यक्रम को देखते हुवे इस मूर्ति की स्थापना रोक दिया था आयोजको ने। भंडारे में शिवपाल यादव का कार्यक्रम मिल जाने के बाद आयोजक अपना पूरा ध्यान सियासी जमीन मजबूत करने में लगाना चाहते थे। अंतिम समय में एसडीएम व कोतवाल ने कबरहा पहुंचकर हेलीपैड की व्यवस्था भी देखी थी। इसी दरमियान शनिवार को प्रदेश सरकार के दुग्ध विकास मंत्री राममूर्ति वर्मा ने कबरहा पहुंच कर मंदिर में माथा टेका। तब तक ददुवा की मूर्ति नहीं स्थापित हुई थी। आयोजक बालकुमार ने दुग्ध विकास मंत्री को ददुवा माता-पिता की मंदिर हाल में लगी मूर्ति दिखाई। उस पूरे दिन हवन-पूजन का कार्यक्रम चलता रहा और शाम से भंडारे के लिए प्रसाद तैयार करने के लिए कड़ाही चढ़ गई। प्रांगण में वीआईपी के लिए अलग से पंडाल बनाया गया था। इसके अतिरिक्त आम जनता के लिए 19 पंडालों में एक साथ संगत-पंगत में खाने की व्यवस्था रही। एक पंडाल की जिम्मेदारी एक गांव को दी गई थी। लेकिन अंतिम समय में शिवपाल यादव के कार्यक्रम के स्थगित होने की सूचना मिलते के साथ ही आयोजको ने ददुवा और उसकी पत्नी की मूर्ति को हाल में ही स्थापित कर दी गई है।”
आइये आपको ददुवा के इतिहास के सम्बन्ध में बताते है। ददुवा उर्फ़ शिव कुमार पटेल एसटीएफ और उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ एक मुठभेड़ में 22 जुलाई 2007 को अपने साथियो सहित मारा गया था। इसके पूर्व लगभग 3 दशक तक दस्यु सरगना का क्षेत्र में आतंक था। ददुवा का पहली बार किसी अपराध में नाम 16 मई 1978 में आया था जब पिता की मौत का बदला लेने के लिए ददुवा ने जगन्नाथ की हत्या की थी। इस हत्या के बाद ददुवा सीताराम गैंग का सदस्य बन गया। सीताराम के जेल जाने के बाद उसने राजा रंगोली गैंग का सदस्य बन गया। 1983 में इस गैंग का मुखिया राजा मारा गया, और इसका मुख्य साथी गया कुर्मी ने आत्म समर्पण करने के बाद सूरज भान गिरोह का मुखिया बना और कुछ माह बाद ही व पकड़ा गया और फिर ददुवा ने अपना गिरोह बना लिया।
ददुवा अपने परिवार को राजनैतिक पृष्टभूमि का बनाना चाहता था। इसमें वह काफी हद तक सफल भी था। ददुवा के मुठभेड़ के समय उसका पुत्र वीर सिंह पटेल कर्वी ग्राम का चेयरमैन था जबकि भाई बलकुमार पटेल सांसद और बेटी चिरौंजी देवीं पटेल धाता (फतेहपुर) से ब्लाक प्रमुख और भतीजा श्रीराम पटेल विधायक थे।