एक माँ का दर्द। 5 बेटे नही पाल पा रहे एक माँ को।
कानपुर। इब्ने हसन ज़ैदी। जब हमको बेटा होता है तो हम कितने खुश होते है। ढोल ताशे बजते है। बच्चे का बाप तो खुद को संयुक्त राष्ट्र संघ का अध्यक्ष बनने जैसी अनुभूती करता है। खूब लाड प्यार से बेटे को जवान करते है। बेटे की शादी करते है। फिर जब बेटे की जीवन साथी उसके ज़िन्दगी में उसकी जीवन निर्देशनी बन कर आती है तो माँ बाप को घर का एक कोना मिलता है। कही बाप मर गया तो माँ फिर एक बड़ी बोझ बन जाती है। एक माँ अपने पति के मरने के बाद 5 बच्चों को पाल लेती है, मगर 5 बच्चे मिलकर बाप के मरने के बाद एक माँ को नहीं पाल पाते है। 6000 करोड़ की संपत्ति इस दुनिया में छोड़ कर जाने वाले पति की पत्नी को 2 बेटे 6-6 महीने सेवा की बात करने लगते है।
ये आज संसार का एक कुरूप चेहरे के तौर पर देखा जा सकता है।
ऐसा ही हुवा कुछ कानपुर की एक बुज़ुर्ग माहिला केतकी के साथ। केतकी ने कभी सोचा नही होगा कि उसके पांच बेटे होने के बाद भी उसे बुढ़ापा मन्दिर में और फुटपाथ पर काटना पडेगा। अब बेबस वृद्धा भगवान् की चौखट पर अपनी किस्मत को कोस रही है। यह कहानी है गोविंदनगर थानाक्षेत्र के न्यू लेबर कालोनी में रहने वाली केतकी देवी शुक्ला की जिनके शिक्षक पति का 2008 में निधन हो गया था। लेकिन केतकी ने सोचा कि अपने पांच बेटो के सहारे अब वह अपनी बची हुई जिंदगी काट लेगी।
केतकी देवी के अनुसार उनके चार बेटे गाव में जबकी बड़ा बेटा राज नारायण और उसकी पत्नी सरला शहर का मकान उनके नाम करने का लगातार दबाव डाल रहे थे जबकि वह हर बेटे को हिस्सा देना चाहती थी। जिससे नाराज होकर बेटे व बहु ने उन्हें बीती 25 जनवरी को घर से निकाल दिया था, तब से वह दर दर भटक रही है।
रविवार रात केतकी दादानगर इलाके में स्थित एक मंदिर में न्याय के लिए बैठ गयी तो लोगो की भीड लग गयी हर कोई केतकी का दर्द देख कर दुखी हो गया। पुलिस भी मौके पर पहुंची और वृद्धा का दर्द जाना पर, बहु और बेटे तैयार नही है कि माँ उनके घर आये, अब ऐसे में वृद्धा दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है। किसी के पास केतकी के दर्द का इलाज नहीं है।
ऐसा ही हुवा कुछ कानपुर की एक बुज़ुर्ग माहिला केतकी के साथ। केतकी ने कभी सोचा नही होगा कि उसके पांच बेटे होने के बाद भी उसे बुढ़ापा मन्दिर में और फुटपाथ पर काटना पडेगा। अब बेबस वृद्धा भगवान् की चौखट पर अपनी किस्मत को कोस रही है। यह कहानी है गोविंदनगर थानाक्षेत्र के न्यू लेबर कालोनी में रहने वाली केतकी देवी शुक्ला की जिनके शिक्षक पति का 2008 में निधन हो गया था। लेकिन केतकी ने सोचा कि अपने पांच बेटो के सहारे अब वह अपनी बची हुई जिंदगी काट लेगी।
केतकी देवी के अनुसार उनके चार बेटे गाव में जबकी बड़ा बेटा राज नारायण और उसकी पत्नी सरला शहर का मकान उनके नाम करने का लगातार दबाव डाल रहे थे जबकि वह हर बेटे को हिस्सा देना चाहती थी। जिससे नाराज होकर बेटे व बहु ने उन्हें बीती 25 जनवरी को घर से निकाल दिया था, तब से वह दर दर भटक रही है।
रविवार रात केतकी दादानगर इलाके में स्थित एक मंदिर में न्याय के लिए बैठ गयी तो लोगो की भीड लग गयी हर कोई केतकी का दर्द देख कर दुखी हो गया। पुलिस भी मौके पर पहुंची और वृद्धा का दर्द जाना पर, बहु और बेटे तैयार नही है कि माँ उनके घर आये, अब ऐसे में वृद्धा दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है। किसी के पास केतकी के दर्द का इलाज नहीं है।