” डॉन” को भी पीछे छोड़ा सपाइयो ने नियमो और आचार संहिता उलंघन में।

नामांकन को जाती सपा प्रत्याशी मीना सिंह
वाराणसी। तारिक़ आज़मी। नियमो की धज्जिया उड़ान तो कोई वाराणसी समाजवादी पार्टी के लोगो से सीखे। सत्ता की हनक ही है जो नियमो की खुल्लम खुल्ला धज्जिया उड़ाई जाती है और प्रशासन केवल मूक दर्शक बना रहता है। सपा मुखिया और मुख्यमंत्री जितना भी कार्यकर्ताओ को नियमो का पालन करने का पाठ पढ़ाये, मगर कार्यकर्ता और पदाधिकारी है कि नियमो को ताख पर रखने का कोई मौका नहीं छोड़ते है। कभी कभी तो यह अहसास होता है कि मौका छोड़ना नहीं बल्कि मौका तलाशते है कि कहा कहा नियमो की धज्जिया उड़ाई जाए।

इसका आज एक उदहारण वाराणसी में देखने को मिला जब विधान परिषद चुनाव हेतु सपा प्रत्याशी मीना सिंह परचा दाखिला हेतु वाराणसी मुख्यालय पहुची। सपा प्रत्याशी के नामांकन हेतु मंडल के सभी सपा पदाधिकारियो ने अपना ज़ोर दिखाया और एक अच्छी खासी भीड़ मुख्यालय पर उपस्थित हो गई। सपा के ज़िले के सभी चर्चित चेहरों के साथ मंत्री सुरेन्द्र पटेल भी नामांकन करवाने हेतु आये थे। नामांकन नामांकन जुलूस मुख्यालय पंहुचा और लगभग सभी नामांकन स्थल पहुच गए। मुख्यालय के आसपास के सभी मार्ग जाम हो गए। वाहनों की बेतरतीब पार्किंग हुई।
 यही तक ही नहीं नामांकन कक्ष में नियम है की प्रत्याशी, प्रत्याशी का अधिवक्ता और कुल दस प्रस्तावक नामांकन कक्ष में दाखिल होते है। नियमो को दरकिनार कर पार्टी कार्यकर्ता और पदाधिकारी अति उत्साह में कक्ष के अंदर घुस गए। भीड़ की कुछ ऐसी स्थिति थी कि नामांकन कक्ष में खड़े होने की जगह नहीं थी।
नामांकन दाखिला के बाद जुलूस की शक्ल में कार्यकर्ता बाहर निकले और फिर शुरू हुई मुख्यालय पर सभा। घंटो चली सभा बीच सड़क पर और नेता भाषण देते रहे श्रोता सुनते रहे। इसी बीच मीना सिंह एक और सेट में परचा दाखिल करने नामांकन कक्ष हेतु गई इस बार भी लगभग 50 के करीब कार्यकर्ता कक्ष के अंदर गए। प्रत्याशी के नामांकन करने के बाद शुरू हुवा लच पैकेट का वितरण और सभी को पूड़ी सब्ज़ी का पैकेट मिला। ग्रहण भी किया सभी ने उसी जगह और फिर समाप्त हुई सभा।
सभा में ज़िलाध्यक्ष से लेकर महानगर अध्यक्ष के साथ राज्य मंत्री सुरेन्द्र पटेल सभी ने संबोधित किया। मगर किसी ने यह ध्यान देंने की ज़हमत नहीं उठाई कि आचार संहिता लगी है मुख्यालय पर है और लाऊडस्पीकर का प्रयोग भी हो रहा है। प्रशासन इस पर आपत्ति कर खुद को विवादों में नहीं डालना चाहता, जबकि इस सभा के लिए किसी प्रकर की अनुमति न लिए जाने की जानकारी  सूत्रो द्वारा संज्ञान में आ रही है।
ऐसा नहीं है कि केवल सपा प्रत्याशी द्वारा ही नियमो को ताख पर रखा गया है बल्कि डॉन के नामांकन में भी नियमो की अनदेखी हुई है। अब देखने वाली बात यह होगी कि चुनाव आयोग इस सम्बन्ध में वीडियो रेकार्डिंग से संज्ञान लेता है या नहीं।

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