आगरा के बाद अब कानपुर के मालखाने से गायब हुआ 15 ग्राम सोना और 12 सौ ग्राम चांदी, किसी को नहीं पता पिछले 17 सालो में कब गायब हुआ यह मुकदमाती माल
आदिल अहमद / मो0 कुमेल
कानपुर। आगरा के जगदीशपुरा थाना परिसर में स्थित मालखाने से हुई चोरी की घटना ने उत्तर प्रदेश पुलिस की जमकर किरकिरी किया। अभी यह मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि कानपूर के घाटमपुर कोतवाली के मालखाने से वर्ष 2003 में एक डकैती के मामले में बरामद 15 ग्राम सोना और 12 सौ ग्राम चांदी मालखाने से गायब हो गयी। 2003 में ज़ब्त यह माल कब गायब हुआ इसकी जानकरी किसी को नहीं है। माल मुकदमाती गायब है। यह जानकारी तब सामने आई, जब अदालत में इसकी सुनवाई शरू हुई। माल मुकदमाती गायब होने की जानकारी जब अदालत को मिली तो नाराज़ अदालत ने दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्यवाही के लिए डीजीपी, आईजी कानपुर व कानपूर के एसपी आउटर को पत्र लिखा। वही माल मुकदमाती गायब होने की जानकरी से महकमे में हडकंप मचा हुआ है।
बताते चले कि कानपुर-चित्रकूट रूट की पैसेंजर ट्रेन में 13 जून 2003 को डकैती पड़ी थी। ट्रेन में यात्रियों से मारपीट कर लूट की गई थी। बदमाश घाटमपुर में रेलवे क्रासिंग से पहले जहानाबाद रोड के पास ट्रेन से कूदकर भाग गए थे। इसमें तत्कालीन घाटमपुर कोतवाली के एसओ तेजपाल सिंह ने लूट की रिपोर्ट दर्ज की थी।
उन्होंने घटना का खुलासा करते हुए फर्रुखाबाद के मेरापुर ब्रह्मपुर निवासी मुन्नालाल, सूरजपाल, सोबरन, मोहर सिंह, मलखान, शिशुपाल, राजाराम, सर्वेश आदि नौ लोगों को गिरफ्तार किया था। ये सभी घुमंतू जाति के लोग हैं। इनके पास से पुलिस ने लूट की चार अटैची, कपड़े व मंगलसूत्र, अंगूठी, झुमका, चेन व कान के बाला मिलाकर 15 ग्राम सोने व पायल, करधनी, हथफूल आदि 12 सौ ग्राम चांदी के जेवरात बरामद किए थे।
पुलिस ने सामान को सील कर मालखाने में सुरक्षित रखवाया। मामले की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश सप्तम कनिष्क कुमार सिंह की कोर्ट में चल रही है। कोर्ट ने माल मुकदमाती तलब किया तो कोतवाली से मालखाने में सामान न होने की सूचना भेजी गई। इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई। सहायक शासकीय अधिवक्ता धनंजय पांडेय ने बताया कि मालखाना से माल मुकदमाती कीमती जेवरात गायब हो जाना गंभीर विषय है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है। साथ ही जांच के लिए डीजीपी, आईजी कानपुर व एसपी आउटर को पत्र लिखकर कार्रवाई के लिए निर्देश दिए गए हैं।
इस मामले में खुलासा उस समय हुआ जब मुक़दमे के विवेचक रहे तत्कालीन एसओ कोतवाली घाटमपुर तेजपाल सिंह, जो अब रिटायर हो चुके है। वह अपना बयान देने कल बुधवार को अदालत में पेश हुए। उन्होंने बुधवार को कोर्ट के समक्ष बयान दिया कि माल सील करके सुरक्षित मालखाने में रखवाया गया था। अब सवाल ये है कि कोतवाली में 2003 से लेकर अब तक करीब दस हेड मोहर्रिर बदल चुके हैं। जांच का विषय ये है कि किस हेड मोहर्रिर ने चार्ज छोड़ते वक्त ये माल नहीं रिसीव कराया। पुलिस सूत्रों की माने तो कोतवाली में 2007 के बाद कई हेड मोहर्रिर ने कागजों में चार्ज लेकर मौके पर माल की गिनती नहीं की। उनमें से कई हेड मोहर्रिर रिटायर हो चुके होंगे। वैसे इस प्रकरण की जांच फिलहाल तत्कालीन एसओ और तत्कालीन हेड मोहर्रिर पर केन्द्रित है।