फिर न पकड़ पाई पुलिस रइस बनारसी को

कानपुर। इब्ने हसन ज़ैदी। बाबूपुरवा थाना के ट्रांसपोर्ट नगर डिग्गी तालाब के पास तीन दिन पहले पुलिस की यूपी के कुख्यात् अपराधी रईस बनारसी से हुई थी मुठभेड़,क्राइम ब्राँच, एसटीएफ और शहर पुलिस ने जब उसकी घेराबंदी की तो बनारसी दरोगा पर फायर झोंक कर फरार हो गया था,रईस बनारसी पुलिस के हाथ लगते-लगते बच निकला तब से पुलिस और एसटीएफ उसे दबोचने के लिए लगी हुई है लेकिन वो अभी तक हाथ नहीं लग पाया है। वही सूत्रों की माने तो रईस पुलिस पर हमले के बाद सीधे एक सिविल लाइन में रहने वाले चमड़ा करोबारी के फ्लैट पर पंहुचा था और रातभर रुकने के बाद दूसरे दिन वहाँ से फरार हो गया था और पुलिस बाबूपुरवा, बेकनगंज,अनवरगंज और नौबस्ता मछरिया की खाक छानती रह गई थी अब एसटीएफ ने बनारसी के शरणदाता व्यापारी और उसकी शहर में रहने वाली माशुकाओं पर नज़र रखें हुये है। वही शहर में सुपारी किलर बनारसी की दस्तक से जरायम की दुनिया में भी खलबली मची हुई है

क्यों की सूत्रों के अनुसार रईस से ने शहर के 2 लोगों की सुपारी ले रखी है इसलिये शहर में खुनी गैंगवार की आशंका से इंकार नहीं किया

मोस्ट वांटेड सुपारी किलर रईस बनारसी के खिलाफ 3 दर्जन से अधिक गंभीर अपराधिक मामले दर्ज हैं। रईस पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया था। तबसे प्रदेश भर की पुलिस उसकी तलाश कर रही है। माना जा रहा था कि रईस का नया ठिकाना कानपुर ही है। सूत्रों की मानें तो बाबूपुरवा के ढकनापुरवा इलाके में रईस की प्रेमिका का भी घर है, जहां पर उसका अक्सर आना जाना रहता है। रईस ने 5 साल पहले भरी कचहरी में शानू ओलंगा की हत्या कर सनसनी फैला दी थी। रईस पर 50 हजार का इनाम है। पुलिस के साथ ही एसएसपी शलभ् माथुर ने भी बनारसी को पकड़ने के लिए एसटीएफ और क्राइम ब्रांच को भी जिम्मेदारी सौंपी है।

एसटीएफ ने रईस बनारसी की माशुकाओं को अपनी रडार पर लेकर उसे धर दबोचने की कयावद शुरू कर दी है। कुख्यात अपराधी रईस बनारसी इन दिनों पुलिस के साथ आंख मिचौली का खेल खेल रहा है। कभी दिखता तो कभी अचानक गायब हो जाता है। वही एसटीएफ द्वारा चमनगंज से रईस की एक माशुका को उठाने की चर्चा है जिससे पुलिस ने पूछताछ में भाई के हत्यारे को उतारा था मौत के घाट।

कानपुर में भाई नौशाद के हत्यारे शानू ओलंगा से बदला लेने की कसम खाने वाले रईस सिद्दीकी ने जब अपराध की दुनिया में कदम रखा तो उसने जुल्म के आसमान पर सबसे ऊपर अपना नाम लिखनें को ठान लिया उस समय उसको कुछ लोगों का ही सपोर्ट था लेकिन उसने कुछ ही समय में अपने आपराधिक जूनून के बल पर पूर्वान्चल के कुख्यात शार्प शूटर मुन्ना बजंरगी से सम्पर्क किया और उसके साथ काम शुरू किया। कुछ ही वक्त बाद अपना खुद का गैंग बनाकर उसने भाई की हत्या का बदला लिया। रईस बनारसी ने मोनू पहाड़ी और राजकुमार बिंद उर्फ मामा के साथ मिलकर भाई के हत्यारे शानू ओलंगा की हत्या कर दी थी। इसमें मोनू पहाड़ी के साथ देने के पीछे उसका टायसन से बदला लेना था। क्योंकि टायसन की मुखबिरी के चलते मोनू पहाड़ी के भी भाई की हत्या हुई थी।

 जरायम की दुनिया में रईस को रईस बनारसी नाम मिला।
अनवरगंज के हीरामन का पुरवा से अपराध की दुनिया में आने वाले वाले रईस सिद्दीकी उर्फ रईस बनारसी कुख्यात हत्यारा और लुटेरा है। भाई की हत्या के बाद पनाहगार बने ननिहाल (बनारस) में समानांतर गैंग तैयार कर लिया। जिसका मुख्य पेशा मुंगेर (बिहार) से पिस्टल व कारतूस की तस्करी और लूट व हत्या बन गया। हीरामन का पुरवा में भाई नौशाद के हत्यारे शानू ओलंगा से बदला लेने की कसम खाने वाले रईस सिद्दीकी ने वाराणसी के दशाश्वमेघ घाट के खालिसपुरा मकान न. डी 33/191 स्थित ननिहाल में पनाह ली। जहां उसने बच्चा यादव,अवधेश सिंह, बाले पटेल, पंकज उर्फ नाटे और कटेसर (रामनगर) के जावेद खां को मिलाकर गैंग बना लिया। यह गैंग कानपुर के डी 2 गैंग के समानांतर वाराणसी में सम्राज्य स्थापित करने में जुट गया। बनारस में रहने के कारण अपराध की दुनिया के लोग उसको रईस बनारसी पुकारने लगें। गैंग चलाने के लिए उसने लूट व हत्या के साथ मुंगेर (बिहार) से विदेशी असलहों की तस्करी शुरू कर दी। बिहार से यह असलहे रुई, कबाड़ और भूसे के ट्रकों में छिपाकर प्रदेश में लाये जाते हैं। 4 वर्ष से कानपुर पुलिस की नजरों से ओझल रईस बनारसी ने मोनू पहाड़ी के साथ कानपुर में भाई के हत्यारे शानू ओलंगा की हत्या कर दी थी। इसमें मोनू पहाड़ी के साथ देने के पीछे उसका टायसन से बदला लेना था। जिसकी मुखबिरी के चलते डी-टू गैंग के मुखिया अतीक के भाई तौफीक और रफीक की हत्या हुई थी। अतीक का भाई अफजाल आजकल राजस्थान में असलहा तस्करी का धंधा कर रहा था। मोनू पहाड़ी उसकी सरपरस्ती में था। इसके चलते ही दोनों में शानू ओलंगा के बदले टायसन की मौत की डील पक्की हुई। शानू की हत्या के बाद रईस ज्यादा बनारस में ही रहता था। वही उसकी गिरफ्तारी भी हुई।
पुलिस वर्दी का इस्तेमाल
रईस बनारसी इतना शातिर है कि वह तस्करी व लूट करने में पुलिस की वर्दी का इस्तेमाल करता है। इसका खुलासा 2007 में बनारस में पेट्रोल पंप मालिक की हत्या में गिरफ्तारी के बाद हुआ था। अनुमान लगाया जा रहा है कि वीआईपी रोड पर शानू ओलंगा की हत्या में भी उसने खाकी वर्दी का प्रयोग किया, जिससे कोई उस पर शक न कर सके। हथुआ मार्केट में पेट्रोल पंप मालिक की हत्या कर 3.5 लाख की लूट की थी।
हाथ से निकला सुपारी किलर, अब मोस्ट वॉन्टेड की ‘माशुकाओं’ पर ख़ाकी की नजर।
शेख सलीम फाटक (चेतगंज) में लोहता के व्यापारी को गोली मारकर लूट। रामकटोरा के पास व्यापारी को गोली मारकर लूट का प्रयास। लक्सा के पास व्यापारी को गोली मारकर दो लाख की लूट। मुखबिरी के शक में दशाश्वमेघ क्षेत्र में साथी दीपू वर्मा की हत्या। रेवड़ी तालाब के पास साड़ी कारोबारी संग दो लाख की लूट।बेकनगंज (कानपुर) में राजा शोएब की हत्या में भी चर्चा में BBVआया लेकिन मामले में नाम नहीं आया। वरुणापुल स्थित असलहा दुकान संचालक भाजयुमो नेता विवेक सिंह को गोली मारी।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *