दरोगा जी स्मैकिया को स्मैक पिला रहे। अपनी सुरक्षा स्वयं करे।

– खरी खरी – बात हम कहने को हमेंशा मशहूर थे तो आज कैसे सच न लिखू। हा अगर आपको सच नहीं पता तो जान ले मगर हम तो खरी खरी सुनाएंगे। और वो ये है कि आप अपनी सुरक्षा खुद ही करें, पुलिस अपराधियों को स्‍मैक पिलाने में व्‍यस्‍त है

भाई हम तो खरी खरी कहते हैं आपको बुरी लगे तो मत पढो, कोई जबरदस्‍ती तो है नहीं। बात आज दोपहर की है साऊथ कानपुर के एक थाने में बने चबूतरे पर एक दरोगा जी हवालात में बन्‍द मुलज़िम को स्‍मैक पिलवाने का धर्मार्थ कार्य कर रहे थे। अब कर रहे थे तो कर रहे थे इसमें नयी बात क्‍या है। हो सकता है ये उनका पार्टटाइम बिजनेस हो, अब इस मंहगाई के ज़माने में पुलिस की नौकरी से गुज़ारा कहां होता है।

सब अच्‍छा भला चल रहा था कि वहां पर एक नये नये पत्रकार महोदय पहुंच गये, पुराने होते तो शायद मामले को कैश करवा लेते। पर ये तो नये वाले थे, ख़बर बना कर देश सुधारने का नया नया जुनून चढा था। न दुआ न सलाम बस आते ही मोबाइल निकाल कर स्‍मैक पिलवाने का वीडियो बनाने का प्रयास करने लगे। अपने दरोगा जी ने अपार फुर्ती दिखाते हुये इनको वो जोर का धक्‍का मारा कि नानी याद आ गयीं। आप ही बताइये कि इसमें दरोगा जी की क्‍या गलती, अब किसी के पेट पर लात मारोगे तो चिल्‍लायेगा ही न, क्‍या जरूरत थी बडी अम्‍मा बनने की। खैर धक्‍का खा कर पत्रकार महोदय ने दरोगा जी को कानून, लोकतंत्र का चौथा स्‍तम्‍भ और संविधान जैसे भारी भरकम शब्‍दों का ज्ञान कराया तो दरोगा जी को याद आया कि देश में तो कानून का राज है और पत्रकार महोदय कहीं केजरीवाल का अनुसरण करते हुये रायता न फैला दें। भाई अपने दरोगा जी भी पुराना चावल थे, एैसी लीपापोती करी मामले पर की पत्रकार महोदय भी शीशे में उतर ही गये और आपसी सहमति से मामला रफादफा हो गया। वो तो मान गये पर हमें तो खरी खरी कहने की आदत है, आपको बुरी लगे तो मत पढो, कोई जबरदस्‍ती तो है नहीं मगर हम तो सच ही लिखेगे।

(साभार-पुनीत निगम, संपादक खुलासा द विज़न)

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